प्रतिद्वंद्वी चैनलों के प्रसारण में दख़लंदाज़ी फिर गाली गलौज और फिर प्रदीप भंडारी को जड़ा गया थप्पड़. यह सब मुंबई के कोलाबा स्थित नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), कार्यालय के बाहर हुआ.
मुंबई के कोलाबा में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो या एनसीबी के कार्यालय के बाहर सुशांत सिंह राजपूत मामले के चारों ओर हो रही मीडिया की नौटंकी, रिपब्लिक भारत के संपादक प्रदीप भंडारी को थप्पड़ जड़े जाने के साथ रसातल में पहुंच गई. इस गर्त की संतति प्रदीप भंडारी के दूसरे पत्रकारों को "अपमानित करने", हाथापाई और कुछ बेचारे पुलिसकर्मियों द्वारा बीच-बचाव की कोशिश से हुई.
सुशांत सिंह राजपूत की जून में हुई मृत्यु के चारों ओर हुई घटिया पत्रकारिता में यह घटना एक नया अध्याय है. न्यूज़लॉन्ड्री ने वहां मौजूद चार पत्रकारों से बात की. उन्होंने अपना नाम सार्वजनिक न करने की इच्छा जाहिर करते हुए एनसीबी ऑफिस के बाहर के घटनाक्रम का पूरा विवरण हमें दिया.
सुबह से ही मीडिया के लोग, सुशांत सिंह की मृत्यु की जांच में बाहर आए "ड्रग्स जाल" को कवर करने के लिए वहां पर एकत्रित थे. सुबह करीब 9:00 बजे फैशन डिजाइनर सिमोन खमबाटा पूछताछ के लिए दफ्तर में दाखिल हुईं और वहां मौजूद पत्रकार और उनकी कैमरा टीमें वीडियो लेने के लिए गेट के आसपास जमा हो गईं.
एक टीवी चैनल में काम करने वाले पत्रकार ने हमें बताया: "जब मैं वहां खड़ा था, मैंने एनडीटीवी के संवाददाता को रिपब्लिक के संवाददाता से अपने फ्रेम में न आने के लिए कहते हुए देखा. मैंने एनसीबी बिल्डिंग के सामने खड़े होने के लिए सड़क पार कर ली. जब मैं और पत्रकारों से बात कर रहा था मैंने फिर से एनडीटीवी के संवाददाता को रिपब्लिक के संवाददाता से अपने फ्रेम में न दाखिल होने का अनुरोध करते हुए देखा."
इस पत्रकार ने हमें बताया कि जिस रिपब्लिक के संवाददाता की बात वह कर रहे हैं, वो प्रदीप भंडारी हैं जो वहां से सीधा प्रसारण कर रहे थे. यह पत्रकार कहते हैं: "वह(प्रदीप) इतनी ज़ोर ज़ोर से बोलते हैं कि आप उन्हें 25 मीटर दूर से भी सुन सकते हैं. अपने सीधे प्रसारण के दौरान उन्होंने कहा, 'अभी-अभी सिमोन खमबाटा अंदर गई हैं और हम आपको दे रहे हैं खबर, चाय-बिस्किट वाले पत्रकार आपको खबर नहीं देंगे, हम आपको देंगे खबर.'"
कथिततौर पर इस क्षण प्रदीप भंडारी दूसरे संवाददाताओं की तरफ इशारा करते हुए बोल रहे थे और वे फिर से एनडीटीवी के संवाददाता के फ्रेम में आ गए. यह पत्रकार बताते हैं "एनडीटीवी के संवाददाता उनकी तरफ गए और ऐसा न करने के लिए उन्हें फिर कहा. बाकी संवाददाता जो भंडारी के 'चाय-बिस्किट' तानों से आहत थे, उन्हें लगा कि एनडीटीवी के संवाददाता भंडारी के समीप इन बातों पर आपत्ति जताने जा रहे हैं. क्योंकि सभी लोग इन बातों से आहत थे इसीलिए सब भंडारी की तरफ चल पड़े."
यहां आकर यह मामला स्पष्ट नहीं रहता. यह पत्रकार न्यूजलॉन्ड्री को बताते हैं कि, बाकी संवाददाता और प्रदीप भंडारी एक दूसरे को गालियां देने लगे जिनका पटाक्षेप उनमें से "एक के द्वारा" प्रदीप को थप्पड़ जड़े जाने से हुआ. इस पत्रकार के कथनानुसार, "फिर बाकी संवाददाता जैसे रिपब्लिक के सोहेल सैयद, एनडीटीवी के सुनील सिंह और टाइम्स नाउ के इमरान, झगड़े को रोकने के लिए बीच में कूद पड़े."
यह पत्रकार दावा करते हैं कि प्रदीप भंडारी को लगा एनडीटीवी के संवाददाता उनकी तरफ "आक्रामक" रूप से बढ़ रहे हैं. वे कहते हैं कि वह एनडीटीवी के संवाददाता को पिछले 12 वर्षों से जानते हैं और, "वह ऐसा व्यक्ति नहीं है जो किसी की तरफ हमला करने के लिए बढ़ेगा." वे यह कहते हैं कि भंडारी के ऊपर हमला नहीं होना चाहिए था. परंतु तुरंत ही यह भी जोड़ते हैं कि प्रदीप भंडारी के द्वारा दूसरे पत्रकारों के ऊपर "तानाकशी" या उन्हें "अपमानित" करने की यह पहली घटना नहीं है.
सुबह 11:00 बजे के आसपास रिपब्लिक भारत के सीधे प्रसारण को हमने देखा, उसमें आप प्रदीप भंडारी के मुंह से दूसरे संवाददाताओं के लिए "चाय-बिस्किट" का प्रयोग सुन सकते हैं. इस प्रसारण में वह कहते हैं: "रिपब्लिक मीडिया के साथ सच्चाई का समुंदर है, इनके साथ ट्रक्स का समंदर है, जनता ने सच्चाई के समुंदर को चूस किया है. यह फुद्दू (डरपोक बताने के लिए अपमानजनक लैंगिक भेदी शब्द) क्या बताएंगे."
वहां मौजूद एक दूसरे पत्रकार यह कहते हुए सहमति जताते हैं कि प्रदीप भंडारी को "सीधे प्रसारण के दौरान ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने और यहां से वहां कूदने" की आदत है. सुबह भी उनके कैमरा फ्रेम में वह बार-बार दाख़िल हो रहे थे. वे कहते हैं: "बहुत बार ये हरकतें सीधे प्रसारण की कोशिश कर रहे दूसरे संवाददाताओं के काम में विघ्न डालती हैं. मैं खुद भी एक बार उनसे अपनी आवाज नीचे रखने के लिए कह चुका हूं. और आज उसने एनडीटीवी संवाददाता के फ्रेम के बिल्कुल पीछे खड़े होकर चिल्लाना शुरू कर दिया."
वे आगे बताते हैं कि जब प्रदीप से हटने के लिए कहा गया तो उन्होंने जवाब दिया: "तुम लोग कुछ नहीं कर सकते. तुम लोगों को चले जाना चाहिए." इस पत्रकार ने एनडीटीवी के संवाददाता को समझा बुझा दिया, पर यह भी माना कि प्रदीप के "चाय-बिस्किट" तानों को सुनकर उन्हें भी "गुस्सा आ गया."
वे कहते हैं: "उसने हमारी तरफ इशारा किया और हमें 'चाय-बिस्किट पत्रकार' कहां जो अपने चैनलों के लिए टीआरपी भी नहीं ला सकते. मैंने उससे पूछा कि वह अपने ही साथियों की बेज्जती क्यों कर रहा है. बाकी लोग भी इसमें कूद पड़े और अचानक सारा मामला हाथ से निकल गया. बाकी लोग भी गालियां देने लगे, रिपब्लिक का सीधा प्रसारण होने लगा. प्रदीप दूसरों संवाददाताओं को गालियां देने लगा और उसने एक आदमी को पीछे से खींचा, जिसके बाद उस पर हमला हुआ. बाद में पुलिस ने भी इस मामले में दखल दिया."
प्रदीप भंडारी को चांटा मारने वाले संवाददाता ने भी न्यूज़लॉन्ड्री से बात की. सोशल मीडिया पर हो रही गप्पबाज़ी से अलग यह संवाददाता न तो एबीपी न्यूज़ से है और न ही एनडीटीवी से. हमने उनके अनुरोध पर उनकी पहचान गुप्त रखी है. वह कहते हैं: "वो सीधा प्रसारण करने लगे और उन्होंने कहा कि एनडीटीवी के संवाददाता कुंठित हैं, क्यों यहां 'चाय-बिस्किट' खाने आते हैं. मैंने जाकर उनसे अपना व्यवहार ठीक रखने के लिए कहा तो उन्होंने मुझे गालियां देना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने उन्हें थप्पड़ जड़ दिया."
अपनी भूल को स्वीकारते हुए इस पत्रकार ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से प्रदीप "दूसरे संवाददाताओं को अपमानित" करते रहे हैं. वे कहते हैं: "वह दूसरे पत्रकारों के लिए आपत्तिजनक भाषा प्रयोग करते हैं. मैं किसी भी असहाय व्यक्ति या अपने ही क्षेत्र के किसी व्यक्ति से झगड़ा करने में बिल्कुल भी विश्वास नहीं रखता, पर ये सारी हदें पार कर चुके हैं."
प्रदीप भंडारी ने अपनी टिप्पणी देने के लिए न्यूजलॉन्ड्री के किसी भी अनुरोध का जवाब नहीं दिया. ट्विटर पर उन्होंने अपने को "घेर कर मारने का प्रयास करने वाले गुंडे पत्रकारों" को लताड़ा. उन्होंने एनडीटीवी और एबीपी न्यूज के पत्रकारों पर उन्हें सच बोलने से रोकने के लिए हमला करने का आरोप लगाया.