दो जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में आयोजित एक सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में अब तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
दो जुलाई को उत्तर प्रदेश में हाथरस जिले के सिकन्द्राराऊ इलाके के पुलराई गांव में आयोजित एक सत्संग में मची भगदड़ से 121 लोगों की मौत हो गई. वहीं करीब 150 लोग घायल हो गए. यह सत्संग सूरजपाल नाम के कथावाचक का था जिन्हें लोग नारायण साकार हरि ऊर्फ भोले बाबा नाम से भी जानते हैं.
इस भगदड़ में उत्तर प्रदेश समेत मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के लोगों की भी मौत हुई. मृतकों में हरियाणा की चार महिलाएं शामिल हैं. हमने इन चारों परिवारों से मुलाकात की और जानने की कोशिश की कि आखिर हादसे के दौरान क्या हुआ था. क्या वो बाबा को किसी तरह का दोषी मानते हैं. इस सत्संग से जुड़े तमाम सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में आपको मिलेंगे.
हरियाणा के मृतकों में फरीदाबाद की रामनगर कॉलोनी की दो, फरीदाबाद के सेक्टर 22 की संजय कॉलोनी से एक और पलवल की न्यू कृष्णा कॉलोनी से एक महिला की मौत हुई है. जबकि रामनगर कॉलोनी की एक महिला घायल हो गईं.
इस हादसे से बचकर लौटीं, घायल महिला जलदेई कहती हैं, “हम सत्संग करके आ रहे थे. आरती वंदना के बाद लोगों में वहां से निकलने की होड़ मच गई. ऐसे में वहां दो खेत थे इनमें एक थोड़ा गहरे में थे. कुछ लोग उस गहरे में जा गिरे और पीछे से आ रही पब्लिक उनके ऊपर चढ़ गई. इसके बाद वहां भगदड़ मच गई. जो लोग उठ नहीं पाए उनकी जान चली गई.”
वे कहती हैं, "मैं भी फंस गई थी, मेरे ऊपर भी लोग चढ़ गए थे. लेकिन मेरा सिर बचा रहा जिस कारण मैं बच गई. मुझे काफी गुम चोटें आई हैं."
आगे सत्संग में जाने के सवाल पर वह कहती हैं कि मेरा दूसरा जन्म हुआ है अब मैं सत्संग में कभी नहीं जाऊंगी, लेकिन बाबा को मानती रहूंगी.
वहीं बचकर आईं एक अन्य महिला कहती हैं कि मैं आगे भी बाबा के सत्संग में जाती रहूंगी क्योंकि बाबा की कोई गलती नहीं है. सारी गलती सत्संग में आए लोगों की है.
वहीं मृतका तारादेवी के पति जगदीश कुमार कहते हैं कि हमें बाबा से कोई परेशानी नहीं है. न ही उनकी गलती है. बाबा ठीक हैं क्योंकि वह कभी भी किसी को कोई गलत राय नहीं देते हैं. जबकि एक अन्य पीड़ित परिवार ने बाबा को फांसी की सज़ा की मांग की.
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