हमारे साथ बातचीत में पुष्पेंद्र सरोज ने अपने चुनाव लड़ने के फैसले, राजनीतिक विजन और देश की राजनीति में युवाओं की भूमिका पर विस्तार से बात की.
पुष्पेंद्र सरोज भारतीय संसद के सबसे युवा सदस्य हैं. यहां तक की उन्होंने मार्च में लोकसभा चुनाव की घोषणा से 2 सप्ताह पहले ही 25 साल की उम्र पूरी की, जो लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए जरूरी है.
समाजवादी पार्टी के टिकट पर उत्तर प्रदेश के कौशांबी लोकसभा से पुष्पेंद्र सरोज ने भारतीय जनता पार्टी के दो बार के सांसद विनोद सोनकर को एक लाख से ज्यादा वोटो से हराकर जीत दर्ज की. हमारे साथ बातचीत में पुष्पेंद्र सरोज ने अपने चुनाव लड़ने के फैसले, अपने राजनीतिक विजन और देश की राजनीति में युवाओं की भूमिका पर विस्तार से बात की.
देश में मौजूदा राजनीति पर सरोज कहते हैं, “देश में नफरत की राजनीति नहीं होनी चाहिए. पिछले 10 साल से देश में एक डर का माहौल बनाया गया है जिसकी वजह से आज एक आम चाय वाला भी बोलने से डरता है. देश में इस तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए.”
वह यूएपीए जैसे कानून पर कड़ी आपत्ति जताते हैं. उमर खालिद जैसे युवाओं को जेल में डाले जाने पर वह कहते हैं, “भाजपा विपक्ष के नेताओं और यहां तक की मीडिया के खिलाफ यूएपीए को एक टूल की तरह इस्तेमाल कर रही है. यह देश की संस्थाओं का दुरुपयोग है.”
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के रिकॉर्ड जीत के लिए वह भाजपा के शासन में बढ़ती महंगाई बेरोजगारी को जिम्मेदार मानते हैं. वहीं अयोध्या में समाजवादी पार्टी की जीत के लिए वह योगी सरकार के बुलडोजर मॉडल को जिम्मेदार मानते हैं.
वह कहते हैं कि अयोध्या में रातों-रात लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाया गया. उन्हें उनके घर से सामान तक नहीं निकलने दिया गया. राजनीति के लिए अयोध्या के लोगों के निजी समस्याओं को दरकिनार किया गया जिसकी वजह से भाजपा को अयोध्या में हार का सामना करना पड़ा.
देखिए हमारी यह खास बातचीत.
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