आर्कटिक इलाके में इन दिनों के सामान्य तापमान से पारा 30 डिग्री सेंटीग्रेड ऊपर चल रहा है. उत्तरी ध्रुव का तापमान गलन बिंदु के आसपास आ गया है और मार्च के मध्य में ऐसा होना बेहद असामान्य है.
यह असामान्य इसलिए भी है क्योंकि पहले कभी भी दोनों ध्रुवों में एक साथ बर्फ पिघलनी शुरू नहीं होती थी. वैज्ञानिक इससे हैरत में हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ मेइन्स क्लाइमेट रीएनालाइजर के मुताबिक शुक्रवार को अंटार्कटिका महादेश का औसत तापमान 4.8 डिग्री सेंटीग्रेड था जो 1979 और 2000 के बीच के बेसलाइन तापमान से कहीं अधिक था. पूरा आर्कटिक वृत्त भी 1979 से 2000 के बीच के औसत से 3.3 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक गर्म रहा.
दूर से हमें यह बेशक खतरे की बात न लग रही हो, पर सचाई यही है कि हम सब वैश्विक संकट के बदतरीन दौर में प्रवेश कर चुके हैं. हमारे लिए मंदिर, हिजाब, त्योहार के आगे चिड़िया, फूल, कीट, तापमान सब नजरअंदाज करने लायक मसले हो सकते हैं, पर यह लापरवाही अगले पांच साल में ही महंगी पड़ने वाली है. लिख कर रख लीजिए, ताकि सनद रहे और वक्त पड़ने पर काम आए.
(साभार- जनपथ)
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