हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषयोंं में अभिनेत्री कंगना रनौत और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अभद्र टिप्पणी के लिए कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत व भाजपा नेता दिलीप घोष को चुनाव आयोग की ओर से जारी किया गया नोटिस और भारतीय लोकतंत्र का नया सूचकांक बनाने पर विचार कर रही सरकार ने इसके लिए ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन को संपर्क किया आदि रहे.
इसके अलावा बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत, कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा पर फिर से टैक्स टेररिज्म का आरोप लगाया, आबकारी नीति मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिमांड की अवधि 1 अप्रैल तक बढ़ाई, आबकारी नीति मामले में ईडी ने पूछताछ के लिए आम आदमी पार्टी के गोवा प्रमुख अमित पालेकर को नोटिस जारी किया, बिहार में आरजेडी व कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर अटकी बात और ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) उल्लंघन मामले में तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा को नोटिस जारी किया आदि ख़बरें भी हफ्ते भर की सुर्खियों में शामिल रहीं.
वहीं, पैसों की कमी के चलते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चुनाव लड़ने से इनकार किया, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रिपोर्ट जारी कर बताया कि देश में टीबी के मामले दर्ज होने की दर बढ़ी व 95 प्रतिशत लोगों को मिल रहा इलाज, रूस की राजधानी मॉस्को में एक कॉन्सर्ट हॉल में हुए आतंकी हमले में करीब 135 लोगों की मौत व 100 से अधिक घायल, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से आर्म्स फोर्स एक्ट हटाने पर विचार कर रही है और मार्च के दूसरे हफ्ते में ही कई जगहों पर तापमान 41 डिग्री के पार पहुंचा आदि ख़बरों ने भी हफ्तेभर तक लोगों का ध्यान खींचा.
इस हफ्ते चर्चा में नेत्री फाउंडेशन की संस्थापक कांक्षी अग्रवाल शामिल हुईं. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री से मनीषा पांडे, हृदयेश जोशी और आनंद वर्धन ने हिस्सा लिया. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा के प्रमुख विषय कंगना रनौत और ममता बनर्जी पर अभद्र टिप्पणी के लिए सुप्रिया श्रीनेत व दिलीप घोष को चुनाव आयोग द्वारा नोटिस जारी किए जाने को लेकर अतुल सवाल करते हैं, “इस मामले में तो ये है कि महिलाओं ने ही महिलाओं पर एक टिप्पणी की है. लेकिन साधारण तौर पर एक स्थिति ऐसी भी होती है कि जब कोई महिला नेता आती है तो सोशल मीडिया पर एक हंटिंग की समस्या दिखती है. यह एक बड़ी समस्या है कि ऐसे में एक नए इंसान के लिए या किसी नई महिला के लिए कितनी जगह बचती है और ये जो स्थिति है राजनीति में इतना मुश्किल क्यों है? राजनीति में जब भी कोई महिला आती है तो उसको इसी नजर से क्यों देखा जाता है या उसके साथ इसी तरह से व्यवहार किया जाता है. क्या यह केवल एक असुरक्षा है कि उसको पहले ही इतना डरा दो कि वो मैदान छोड़ कर चला जाए?”
इसके जवाब में मनीषा पांडे कहती हैं, “राजनीति में ज्यादातर महिलाएं राजनीतिक परिवार से आती हैं. हालांकि अगर हम ममता बनर्जी और मायावती की बात करें तो वो सेल्फ मेड हैं. जो महिलाएं राजनीतिक परिवार से आती हैं, उनको भी ये सब सहना पड़ता है. ये ज्यादातर उन महिलाओं के साथ होता है जो फिल्म क्षेत्र से राजनीति में आती हैं जैसे स्मृति ईरानी. उन्हें तमाम तरीके की चीजें कही जाती हैं जैसे कि नौटंकीवाली या नाचने-गाने वाली. कंगना रनौत पिछले चार साल से इसका ऑडिशन दे रही थीं कि कब वो बीजेपी सांसद बन जाएं. इस लंबी ऑडिशन में उन्होंने बहुत कुछ बोला है और मृणाल पांडे को एक पत्रकार होने के तौर पर ये पता होना चाहिए कि आप मंडी शब्द का प्रयोग किस प्रकार कर रहे हैं और इसका क्या मतलब हो सकता है या फिर कोई मतलब ही नहीं बनता है कि आप उनके बारे में ऐसा कुछ बोलें.”
सुनिए पूरी चर्चा-
नोट: इस हफ्ते चर्चा पेवॉल के पीछे नहीं है. अपने फेवरेट पॉडकास्ट प्लेटफॉर्म से चर्चा सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.
टाइम कोड्स
00 - 04:12 - इंट्रो और जरूरी सूचना
04:13 - 21:37 - सुर्खियां
21:38 - 54:56 - कंगना रनौत और ममता बनर्जी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए सुप्रिया श्रीनेत व दिलीप घोष को चुनाव आयोग ने जारी किया नोटिस
54:57 - 1:08:32 - दर्शकों के सवाल-जवाब
1:08:33 - 1:18:20 - सब्सक्राइबर्स के मेल
1:18:21 - 1:32:12 - लोकतंत्र का नया सूचकांक बनाने पर विचार कर रही भारत सरकार
1:32:13 - 1:43:23 - सलाह और सुझाव
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एडिटिंग: उमराव सिंह