किसानों का कहना है कि एमएसपी की गारंटी से उन्हें फसल की बेहतर कीमत मिलेगी. वहीं, सरकार ने फिलहाल उनकी इस मांग पर कोई फैसला नहीं लिया है.
साल 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली पहुंचे थे. तब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गारंटी का कानून भी उनकी एक मांग थी. इस मांग पर जुलाई, 2022 में सरकार ने एमएसपी को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए एक समिति का गठन किया. हालांकि, अब तक इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है.
वहीं, किसान एक बार फिर से इस मांग को लेकर सड़कों पर हैं. किसानों का कहना है कि इससे उन्हें फसल की बेहतर कीमत मिलेगी. वहीं, सरकार ने फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया है.
मीडिया और सोशल मीडिया में एमएसपी की मांग को लेकर कई तर्क दिए जा रहे हैं. जैसे कि अगर सरकार कानून बना देती है तो उस पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा. कुछ का यह कहना है कि सरकार को किसान और बाजार के बीच में नहीं आना चाहिए. वहीं, कुछ कह रहे हैं कि एमएसपी गारंटी कानून लागू होने से खेती में विविधता खत्म हो जाएगी.
इन तमाम सवालों को लेकर हमने शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और कृषि अर्थशास्त्री देवेंद्र शर्मा से बात की. उन्होंने क्या कुछ कहा, जानने के लिए देखिए ये वीडियो रिपोर्ट.
General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.
Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?