किसान प्रदर्शनकारी हरजीत सिंह कहते हैं कि वे अपने नेताओं के आदेश का इंतज़ार कर रहे हैं. अगर उनकी बात नहीं मानी जाती तो वे दिल्ली तो जाकर रहेंगे.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत कुल 12 मांगों को लेकर किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं. इस बार प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों को शंभू बॉर्डर पर ही रोक दिया गया है. किसान आगे न बढ़ें, इसके लेकर भारी पुलिस बल और अर्धसैनिक बल के जवान मौजूद हैं. वहीं, सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई में कई किसान बुरी तरह जख्मी हुए हैं.
एक तरफ जहां सुरक्षा बलों द्वारा सख्ती बरती जा रही है और किसी भी हाल में किसानों को दिल्ली नहीं आने देना चाहते हैं. वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्रियों से किसान नेताओं की बात चल रही है. अब तक तीन दौर की बातचीत हुई है. चौथी बैठक 18 फरवरी को होनी है.
दिल्ली पहुंचने के इरादे के साथ निकले किसान बीते छह दिन से शंभू बॉर्डर पर हैं. क्या वो दिल्ली जाएंगे? पुलिस-फोर्स की तरफ से की गई कार्रवाई कितनी जायज है? सरकार आखिर एमएसपी पर कानून क्यों नहीं बना रही है? इन तमाम सवालों पर हमने शम्भू बॉर्डर पर मौजूद किसानों से बात की.
यहां हमारी मुलाकात नौजवान किसान प्रदर्शनकारी हरजीत सिंह से हुई. सिंह सरहिंद के रहने वाले हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘जितने सुरक्षा बल यहां मौजूद हैं, उतने तो भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर पर नहीं होते हैं. क्या हमें अपनी मांग रखने का हक़ नहीं है? हम सिर्फ अपने लिए एमसएसपी पर कानून की मांग तो नहीं कर रहे हैं.’’
सिंह आगे कहते हैं, ‘‘कुछ नौजवान दिल्ली जाने की जिद्द किए हैं.उनका गरम खून है लेकिन हम अपने नेताओं के आदेश का इंतज़ार कर रहे हैं. अगर हमारी बात नहीं मानी जाती तो हम दिल्ली तो जायेंगे और अगर सरकार मान लेती है तो हम वापस लौट जायेंगे. दिल्ली जाने की हमने कसम नहीं खाई है.’’
हमने शंभू बॉर्डर पर मौजूद अन्य किसानों से भी बात की. देखिए ये वीडियो रिपोर्ट.