हत्या और रासुका के आरोपी से वकील बन खुद को बरी करने वाले शख्स की कहानी

अमित चौधरी को 18 साल की उम्र में जेल जाना पड़ा. करीब ढ़ाई साल बाद बाहर आने के बाद बीए- एलएलबी और एलएलएम की पढ़ाई की और पैरवी कर खुद को बेगुनाह साबित किया. 

WrittenBy:अवधेश कुमार
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बागपत जिले के किरठल गांव निवासी अमित चौधरी की कहानी काफी दिलचस्प है. 30 वर्षीय अमित कत्ल और रासुका जैसे गंभीर मामलों में साल 2011 में आरोपी बनाए गए थे. तब उनकी उम्र महज 18 साल थी. 23 सितंबर 2023 को उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर की ज़िला एवं सत्र न्यायालय ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया. खास बात ये है कि इस मामले की पैरवी चौधरी खुद कर रहे थे. अब इस केस में की गई अपील पर हाई कोर्ट में सुनवाई होगी. 

सितंबर 2023 को 12 साल बाद अदालत ने अमित चौधरी समेत 12 अभियुक्तों को इस मामले में बरी कर दिया. जबकि एक अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. वहीं, बाकी बचे चार की मौत हो चुकी है. 

अमित ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "12 अक्तूबर 2011 को शामली जनपद के थाना भवन क्षेत्र में एक पुलिसकर्मी कृष्णपाल सिंह की हत्या हुई. जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया था. पुलिसकर्मियों के हथियार भी लूट लिए गए थे. इस घटना को अंजाम देने वाले बदमाश फरार हो गए. तब मैं अपनी बहन के गांव आया हुआ था. इस मामले में 17 आरोपी बनाए गए, उनमें से एक मैं भी था. मैं सेना में जाने की तैयारी कर रहा था लेकिन इस घटना ने मेरी जिंदगी में भूचाल ला दिया." 

अमित बताते हैं, “तब मैं बीए का छात्र था. इस बीच करीब ढाई साल के लिए मुझे जेल जाना पड़ा. 14 मार्च 2014 को मुझे जमानत मिली. इसके बाद मैंने अपनी बीए की पढ़ाई पूरी की और बाद में एलएलबी और एलएलएम किया. 2019 में वकालत के लिए मेरठ ज़िला न्यायालय में रजिस्ट्रेशन कराया. फिर अदालत से इजाज़त के बाद मैं मुज़फ्फरनगर न्यायालय में अपने केस की पैरवी में पेश होने लगा. गंभीर आरोप लगने के बाद सगे संबंधियों ने भी रिश्ते खत्म कर लिए थे. लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी.” 

अमित अपने संघर्ष की कहानी बताते-बताते कई बार भावुक हो जाते हैं. जेल में रहने के दौरान जो प्रताड़ना, टॉर्चर उन्होंने झेला उसे उन्होंने हमसे विस्तार से साझा किया है.

अमित की पूरी कहानी जानने के लिए देखिए ये पूरा इंटरव्यू देखिए.

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