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एनएल चर्चा 304: मोदी सरकार का अंतरिम बजट, नीतीश का यू-टर्न और विपक्षी नेताओं पर ईडी की कार्रवाई 

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

     

इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया मोदी सरकार का अंतरिम बजट, ईडी की कई विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से गए भाजपा के साथ, जमीन के बदले नौकरी के मामले में लालू यादव और तेजस्वी यादव से पूछताछ, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा से पूछताछ और अरविंद केजरीवाल को पांचवी बार समन जारी किया जाना आदि रहे.

इसके अलावा दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भाजपा का एक दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 10 साल की जेल और भ्रष्टाचार के मामले में 180 देशों में 93वें स्थान पर पहुंचा भारत आदि ख़बरें भी हफ्ते की सुर्खियों में शामिल रहीं.

वहीं, वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी तहखाने में पूजा करने का दिया आदेश, मद्रास हाईकोर्ट ने पलानी मंदिर में ध्वजस्तंभ से आगे गैर हिन्दुओं को नहीं प्रवेश करने का दिया निर्देश और चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली को लेकर विवाद आदि ख़बरें भी हफ्तेभर तक सुर्खियों में बनी रही. 

इस हफ्ते चर्चा में अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार शामिल हुए. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री टीम से हृदयेश जोशी और स्तंभकार आनंद वर्धन ने चर्चा में हिस्सा लिया. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मोदी सरकार का अंतरिम बजट पेश किए जाने को लेकर अतुल सवाल करते हैं, “इससे पहले बजट में सरकारें आमतौर पर कुछ लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा करती रहीं हैं, इस बार कोई नई घोषणा नहीं, कोई योजना नहीं, टैक्स में कोई रियायत नहीं है. वो आश्वस्त है कि जनता में उसकी एक विश्वसनीयता बनी हुई है कि वो वापस सत्ता में आ रही है. इसलिए इस बजट में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. कुल मिलाकर इस बजट को किस नजरिए से देखें, आपका पहला आंकलन?”

इसके जवाब में प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं, “एक दिन पहले राष्ट्रपति ने अपने भाषण में सरकार की 10 साल की बहुत सारी उपलब्धियां गिनाईं और ये भी कहा कि जो पहले के 10 साल हैं, उससे ये दस साल बेहतर गुजरे हैं. उन्होंने बताया कि सरकार ने महिलाओं, आदिवासियों और दलितों समेत सभी वर्गों के लिए कुछ न कुछ किया है. उनको अब ये लगता है कि इतना कुछ तो कर दिया है, इसलिए अब कुछ और करने की जरूरत नहीं है. तो इसलिए हमें ये देखना है कि उनका जो भविष्य का अनुमान है, क्या वो ये बजट पूरा करता है या नहीं करता. ये भी देखना है कि सरकार ने जो कहा है कि हम 2047 तक एक विकसित देश हो जाएंगे तो क्या ये बजट उस दिशा में जाता है. साथ ही बजट कितना पारदर्शी है यानी जो भी समस्याएं हैं इसमें उनका हल है या नही.”

सुनिए पूरी चर्चा-

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