एनएल सारांश: मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव के मायने

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसी साल संसद के मानसून सत्र में मोदी सरकार ने राज्यसभा में चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति से जुड़ा बिल पेश किया.

WrittenBy:अवधेश कुमार
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पिछले दिनों चुनाव आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के प्रावधानों वाले विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी का माहौल है. 

दरअसल, केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र का एजेंडा जारी किया था. जिसमें आठ प्रमुख विषयों पर चर्चा होनी थी. इन्हीं में से एक मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का विधेयक भी शामिल था.

सत्र का एजेंडा जारी होने के बाद विपक्षी गठबंधन ने केंद्र के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बताया था. आरोप लगाया कि केंद्र, चुनाव आयोग जैसी संस्था को अपने नियंत्रण में करना चाहता है.

हालांकि, 18 सितंबर से 22 सिंतबर तक चले संसद के विशेष सत्र में इस विधेयक पर केंद्र सरकार आगे नहीं बढ़ी. तब अचानक से महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया और विशेष सत्र के घोषित एजेंडे पर कोई बात आगे नहीं बढ़ी. 

चलिए जानते हैं कि आखिर यह विधेयक क्या है, सुप्रीम कोर्ट का इसके बारे में क्या आदेश है और इसको लेकर विवाद क्यों हैं?

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