एनएल सारांश: मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव के मायने

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसी साल संसद के मानसून सत्र में मोदी सरकार ने राज्यसभा में चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति से जुड़ा बिल पेश किया.

   bookmark_add
  • whatsapp
  • copy

पिछले दिनों चुनाव आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के प्रावधानों वाले विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी का माहौल है. 

दरअसल, केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र का एजेंडा जारी किया था. जिसमें आठ प्रमुख विषयों पर चर्चा होनी थी. इन्हीं में से एक मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का विधेयक भी शामिल था.

सत्र का एजेंडा जारी होने के बाद विपक्षी गठबंधन ने केंद्र के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बताया था. आरोप लगाया कि केंद्र, चुनाव आयोग जैसी संस्था को अपने नियंत्रण में करना चाहता है.

हालांकि, 18 सितंबर से 22 सिंतबर तक चले संसद के विशेष सत्र में इस विधेयक पर केंद्र सरकार आगे नहीं बढ़ी. तब अचानक से महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया और विशेष सत्र के घोषित एजेंडे पर कोई बात आगे नहीं बढ़ी. 

चलिए जानते हैं कि आखिर यह विधेयक क्या है, सुप्रीम कोर्ट का इसके बारे में क्या आदेश है और इसको लेकर विवाद क्यों हैं?

Also see
एनएल सारांश: वीवीपैट स्लिप की गिनती की मांग और चुनाव आयोग का जवाब
एनएल सारांश: इंडिया बनाम भारत या इंडिया अर्थात भारत ?
newslaundry logo

Pay to keep news free

Complaining about the media is easy and often justified. But hey, it’s the model that’s flawed.

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like