दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
इस हफ्ते टिप्पणी में कथा प्रतापी राजा की. यह कथा इसलिए जरूरी है ताकि आपको आज की टिप्पणी का संदर्भ आसानी से समझ आ जाए. कहानी का सार यह है कि राजा को एक शहर में लगी आग बुझाने का शऊर भले नहीं पता है लेकिन दूसरे शहर में आग लगाने का और पहले वाले से ध्यान भटकाने का शऊर बहुत अच्छी तरह से पता है. हरियाणा के मेवात में फैली हिंसा के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा भड़की. इसमें छह लोगों की मौत हो गई. दस से ज्यादा लोग घायल हुए. हरियाणा पुलिस ने 41 एफआईआर दर्ज की हैं. डेढ़ हजार से अधिक लोगों को अभियुक्त बनाया है.
इस हफ्ते हम विशेष रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की बात करेंगे. देश की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी अंतरराष्ट्रीय ईएसजी प्रोटोकॉल का पालन करने का दावा करती है. ईएसजी यानी एनवायरमेंटल सस्टेनबिलिटी एंड गवर्ननेंस. इस प्रोटोकॉल के तहत बिग कारपोरेट कंपनियां दुनिया भर से फंड रेज़ करने से पहले अपने निवेशकों को भरोसा देती है कि उनकी कंपनी पर्यावरण और मानवाधिकारों का पूरी तरह से पालन करती है. 2022-23 की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की एनुअल रिपोर्ट में कुल 18 बार मानवाधिकारों के संरक्षण का जिक्र आया है. खुद कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंंबानी अपने कीनोट एड्रेस में कहते हैं- हमारा इस बात पर पूरा जोर है कि हमारे कर्मचारी, ग्राहक, सहयोगी और स्थानीय समुदायों के मानवाधिकार पूरी तरह से सुरक्षित रहें.”
अब आप इसे रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के एक चैनल न्यूज़ 18 इंडिया और इसके एंकर अमन चोपड़ा के नजरिए से देखिए. यहां अमन चोपड़ा हर दिन मुसलमानों के खिलाफ नफरत की हदें पार करता है, बहुसंख्यकों को भड़काता है, गलत सूचनाएं देता है, फाइनल सलूशन जैसे शब्द का इस्तेमाल करता है, मुसलमानों के मानवाधिकारों की धज्जी उड़ाता है. लेकिन ईएसजी प्रोटोकॉल का पालन करने का दावा करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज़ उसे ऐसा करने की पूरी छूट देता है. हिटलर का फाइनल सलूशन वाला फार्मूला मानवता के प्रति सबसे बड़े अपराध के रूप में गिना जाता है. लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज़ अमन चोपड़ा इस आपराधिक शब्द का भी इस्तेाल खुलेआम करता है.
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