हिंसा शुरू होने के बाद दोनों ने पहले मैती राहत शिविर में शरण ली लेकिन जैसे ही पता चला कि युवती कुकी है तो उसे लोगों ने बाहर निकाल दिया.
मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की भेंट एक हंसता-खेलता परिवार चढ़ गया. एक कुकी पत्नि और मैती पति पिछले 3 महीने से एक-दूसरे से दूर और अलग-अलग रहने को मजबूर हैं. उन्हें ये भी नहीं पता कि वे दोबारा कभी मिल भी पाएंगे या नहीं. इतना ही नहीं पत्नी नागाहोईचोंग 8 महीने की गर्भवती हैं. पहले से इस दंपत्ति के 2 बच्चे हैं. जो फिलहाल मां के साथ रह रहे हैं. वहीं, पति जतिन मजबूरी में सिवाय रोने और पत्नी को याद करने के अलावा कुछ कर नहीं पा रहे हैं.
इस स्टोरी में हमने यही जानने की कोशिश की कि आखिर कैसे एक परिवार इस जातीय हिंसा में बिखर गया. कैसे दोनों अपनी जान की सलामती के लिए एक-दूसरे से न सिर्फ दूर बल्कि अलग-अलग रहने को मजबूर हैं. हमने ये भी जाना कि आखिर इनका प्यार कैसे शुरू हुआ और अब प्यार के बीच दीवार बनी जातीय हिंसा पर ये क्या सोचते हैं. देखिए ये वीडियो रिपोर्ट.