मणिपुर हिंसाः कुकी-मैती की जातीय जंग में वीरान हुआ एक गांव

सुगनू में 4 मई को एक शांति समिति बनाई गई थी जिसमें मैती, कुकी समेत सभी समुदाय के लोग शामिल थे. लेकिन हिंसा की आग ऐसी भड़की की अब पूरा गांव वीरान हो गया है.  

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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मणिपुर में काक्चिंग जिले के (सुगनू ब्लॉक) सेराव गांव में हिंसा के दौरान 400 से अधिक घरों को आग के हवाले कर दिया गया. अब यह गांव उजाड़ और भूतहा लगता है.  

आगजनी से पहले सुगनू में स्थिति सामान्य थी. भले ही मणिपुर में हिंसा की शुरुआत हो गई थी. इसी को देखते हुए सुगनू में पुलिस और कांग्रेस विधायक के. रंजित सिंह की मदद से एक शांति समिति बनाई गई. जिसमें सभी समुदायों के लोगों को शामिल किया गया. इस गांव में सिर्फ मैती और कुकी ही नहीं बल्कि नेपाली और बंगालियों के भी घर हैं. 

लेकिन 28 मई को सब कुछ बदल गया, जब लगभग 65 कुकी उपद्रवियों के एक समूह ने सेराव गांव में कथित तौर पर मैती समुदाय की संपत्ति को निशाना बनाया. इसके बाद अन्य क्षेत्रों में भी हिंसा भड़क उठी. सुगनू में दो हजाप से अधिक मैती बिष्णुपुर, काक्चिंग और इंफाल से आकर जमा हो गए. इनका उद्देश्य कुकी बहुल क्षेत्रों जैसे कि ज़ुवेंग और सिंगटम में हमला करना था. इसके बाद 150 से अधिक घर जला दिए गए और हिंसा में 10 लोग हताहत हुए. 

सेराव के एक निवासी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “जिनके घरों में आग लगाई गई थी, वो यहां से भाग गए और अभी तक नहीं लौटे हैं.  ये सब राहत शिविर में रह रहे हैं. कभी-कभी वे कॉल करते हैं और गांव को याद कर रोने लगते हैं. पहले हम सब लोग एक साथ खुशी से रहते थे लेकिन अब हमारा गांव जंगल बन चुका है.”

क्षेत्र में गठित ‘शांति समिति’ सामान्य स्थिति बनाए रखने में असफल क्यों हुई? हिंसा क्यों भड़की और सेराव पर हिंसा का क्या प्रभाव पड़ा, इन्हीं सब सवालों के जवाब हमने इस रिपोर्ट में तलाशने की कोशिश की है.

देखिए ये रिपोर्ट. 

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