उज़्बेकिस्तानी लड़कियां अक्टूबर 2021 में खुशी-खुशी जॉब के लिए भारत आई थीं, लेकिन इनके साथ जो यहां हुआ उसका इन्हें कतई भी अंदाजा नहीं था.
मानव तस्करी की शिकार इन तीनों लड़कियों की कहानी भयावह है. मूल रूप से उज़्बेकिस्तान की रहने वाली इन युवतियों ने बिना वीजा के अक्टूबर 2021 में नेपाल के रास्ते भारत में एंट्री की थी. जब ये नेपाल के रास्ते बिहार पहुंचीं तो इन्हें पुलिस ने पकड़ लिया. इसके बाद इन्हें जेल और डिटेंशन सेंटर में रहना पड़ा. भारत में स्थित उज़्बेकिस्तान के दूतावास, मानवाधिकार संगठन और परिवार की कड़ी मशक्कत के बाद वो रिहा हो सकी हैं. इस रिहाई की खुशी और बीते दिनों का दर्द इनके चेहरे पर साफ देखा जा सकता है.
युवतियों का दावा है कि जेल और डिटेंशन सेंटर में रहने के दौरान इनसे कई लोगों ने शारीरिक संबंध बनाने की मांग की. मना करने पर पीटा और यातनाएं दीं. इसके चलते इन्होंने अपने हाथों की नसें काटी और कई बार आत्महत्या के प्रयास किए.
यहां तक की हाजीपुर के डिटेंशन सेंटर में रहने के दौरान इन्हें इनके परिवार से बात तक नहीं करने दी गई. जबकि भारत में जेल में बंद अपराधी को भी अपने परिवार से बात करने का अधिकार है. इन्हें हर रोज अपमानित किया जाता था, ताने मारे जाते थे कि भारत में वेश्यावृत्ति का धंधा करने आई हो.
बता दें कि बातचीत में जिन महिलाओं के नाम ये लड़कियां ले रही हैं वो पहले से ही भारत में देह व्यापार और मानव तस्करी के मुकदमों में वांटेड हैं. फिलहार ये लड़कियां 14 जुलाई को अपने वतन वापस लौट गई हैं.
एक-एक कर सुनिए इनकी कहानी.
देखिए पूरी बातचीत का वीडियो-