उत्तरकाशी: ‘लव जिहाद’ पर हंगामा जारी, अब तक 41 मुस्लिम परिवारों ने छोड़ा पुरोला शहर

हिंदुत्ववादी संगठनों के अतिवादी रवैये और धमकियों के चलते अब तक 35 मुस्लिम परिवारों स्थाई और 6 मुस्लिम परिवार अस्थाई रूप से शहर को छोड़कर जा चुके हैं.

WrittenBy:अनमोल प्रितम
Date:
   

उत्तरकाशी के पुरोला शहर में हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा मुस्लिमों के प्रति अपनाए गए अतिवादी रवैये और हंगामे की संभावना को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने गत 14 और 15 जून को भारी पुलिस सुरक्षाबल तैनात कर धारा-144 लगा दी थी. बावजूद, यहां से 35 मुस्लिम परिवारों ने स्थाई और 6 मुस्लिम परिवारों ने अस्थाई रूप से शहर को छोड़ दिया है.

दरअसल, उत्तरकाशी के स्थानीय हिंदुत्ववादी संगठनों ने ‘लव जिहाद’ का आरोप लगाते हुए 15 जून को पुरोला में हिंदू महापंचायत करने का ऐलान किया था. साथ ही मुस्लिम समुदाय के दुकानदारों को चेतावनी दी थी कि वह पंचायत से पहले शहर छोड़कर चले जाएं. 

मालूम हो कि इस मामले में 29 मई को पुरोला शहर में हिंदुत्ववादी संगठनों ने लव जिहाद के खिलाफ एक रैली निकाली थी. उस दौरान मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाकर उनकी दुकानों में तोड़फोड़ की गई. जिसके कारण मुस्लिम समुदाय के दुकानदार परिवार सहित शहर से पलायन करने लगे थे. 15 जून तक आते-आते शहर के सभी मुस्लिम परिवार शहर छोड़ चुके थे, जिनमें ज्यादातर परिवार स्थाई रूप से पुरोला को अलविदा कह गए हैं.

पुराना में कपड़े की दुकान चलाने वाले सलीम के पिता शकील करीब 40 वर्ष पहले सहारनपुर के एक छोटे से गांव से पुरोला में आए थे. यहां धीरे-धीरे व्यापार बढ़ाया और फिर यहीं पर बस गए. शकील के गुजर जाने के बाद उनके बेटे सलीम दुकान संभालने लगे. सलीम बताते हैं, “29 मई की तोड़फोड़ के बाद मैं बहुत डर गया था. मुझे मेरे शुभचिंतकों ने बोला कि तुम यहां से चले जाओ, नहीं तो दिक्कत हो सकती है. मुझे अपने बच्चों की फिक्र हो रही थी. अगले दिन मैंने दुकान खाली की और परिवार के साथ शहर छोड़ दिया."

इसी तरह अशरफ के पिता बाले खान करीब पांच दशक पहले बिजनौर से पुरोला आए थे. शुरुआत में कुछ सालों तक रुई धुनाई का काम किया. फिर कपड़े की दुकान खोली.यहीं पर घर बनाया और बच्चों की शादी की. लेकिन शहर में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के चलते उनके घर पर भी ताला लगा है.

बाले खान के पड़ोसी संदेश ने बताया, “14 जून की सुबह बाले खान और उनके बेटे अशरफ पूरे परिवार सहित यहां से चले गए. हालांकि, कहां गए हैं, इस बारे में कुछ नहीं पता.” 

पुरोला नगर पंचायत के अध्यक्ष हरिमोहन नेगी मुस्लिमों के यहां से पलायन करने की वजह भी बताते हैं. वे कहते हैं, “मुस्लिम व्यापारी यहां से इसलिए चले गए क्योंकि माहौल खराब हुआ और उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस होने लगा.” वे आगे कहते हैं, “व्यापार करने की सब को आजादी है लेकिन यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि जहां व्यापार कर रहे हैं, वहां के माहौल को दूषित ना किया जाए. जैसे यहां एक शख्स ने सामाजिक सौहार्द को खराब किया तो नतीजा पूरे समुदाय को भुगतना पड़ा."

करीब 18000 की आबादी वाले इस शहर में दो सौ से ढाई सौ लोग मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते थे. 14 तारीख की सुबह तक इनमें से ज्यादातर लोग शहर छोड़ चुके थे.

इसके पीछे कुछ लोग 29 मई की रैली के बाद मुस्लिमों की दुकानों पर लगाए गए उन पोस्टर्स को भी वजह मानते हैं. जिनमें उन्हें 15 जून से पहले शहर छोड़ देने की धमकी दी गई थी.

मुस्लिम समुदाय के इस पलायन पर पुरोला के विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं, “हमने किसी को शहर छोड़कर जाने को नहीं कहा. जो गया है, वह अपनी मर्जी से गया है.” 

धमकी भरे पोस्टरों को लेकर वे मुसलमानों पर ही आरोप लगाते हैं. वे कहते हैं, “ये पोस्टर मुसलमानों ने खुद ही अपनी दुकानों पर लगाए थे ताकि हिंदुओं को बदनाम किया जा सके."

वहीं, पुरोला से भाजपा महामंत्री राहुल देव नौटियाल पलायन को सही मानते हैं. वह कहते हैं, “कुछ लोग हमारी देवभूमि को दूषित कर रहे हैं. यहां आकर वे ‘लैंड जिहाद’ और ‘लव जिहाद’ करते हैं, इसलिए यह अच्छा हुआ कि वे यहां से चले गए.”

बताते चलें कि पुलिस ने 15 जून को होने वाली ‘हिंदू महापंचायत’ को अनुमति नहीं दी थी. इस बारे में जानकारी देते हुए पुरोला के एसडीएम देव आनंद शर्मा ने बताया कि हमने हिंदू पक्ष से बात करके उनकी सहमति से पंचायत रद्द करवा दी है. हम जल्द ही मुस्लिम समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे.

वहीं, उत्तरकाशी के सर्किल ऑफिसर पुष्पेंद्र सिंह ने बताया, “29 मई को हुई घटना के संबंध में जांच की जा रही है. शहर में कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए लगातार मार्च किया जा रहा है और धारा 144 लगाई गई है.” 

इस मामले पर और जानकारी के लिए देखिए हमारी ये वीडियो रिपोर्ट.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
Also see
article imageपुरोला उत्तराखंड कांड: जुबान और दुकान, सब जगह ताला
article imageडिजिटल हिंदू कॉन्क्लेव: फिजिकल से डिजिटल तक नफरत फैलाते हिंदुत्व के हरकारे
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like