इस हादसे में बचे वृंदावन बारीक कहते हैं कि ट्रेन का एस- 3 डब्बा खत्म हो चुका था, और मेरे सामने जो जनरल डब्बा था वह भी कुचल गया था. बहुत सारे लोग प्लेटफार्म पर पड़े हुए थे, जिनके हाथ, पैर और मुंडी गायब थी.
ओडिशा में हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे को कवर करने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री की टीम ग्राउंड पर है. हादसे से जुड़ी खबरें और वीडियो हम लगातार प्रकाशित कर रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक इस हादसे में 275 लोगों की मौत बताई जा रही है. हालांकि स्थानीय लोगों और ट्रेन में सवार लोगों का कहना है कि यह आंकड़ा कम है जबकि मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है.
इस दौरान हमने कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर करने वाले और पूरे हादसे के चश्मदीद वृंदावन बारीक से बात की. वह कहते हैं, "मैं बालेश्वर से जाजपुर जा रहा था. हादसे में मेरे डिब्बे के 90 प्रतिशत लोग मर गए, बचे 10 फीसदी लोगों में से मैं एक हूं. पूरे डिब्बे में हम छह लोग जिंदा बचे हैं. जबकि मेरे डिब्बे एस 4 में करीब 200 लोग मौजूद थे."
वह कहते हैं, "एक्सीडेंट से पहले ही जैसे मुझे कुछ महसूस हुआ तो मैंने अच्छे से डिब्बे को पकड़ लिया था. लेकिन जैसे ही एक्सीडेंट का झटका लगा तो मेरा हाथ छूट गया, और मेरे सर में थोड़ी चोट लग गई. हमारी ट्रेन पलट गई थी. इसके बाद देखा तो किसी का हाथ कट गया किसी का पैर कट गया. इसके बाद मैं बहुत घबरा गया था. मैं इमरजेंसी विंडो से बाहर निकलकर आया, फिर मैंने 2-3 लोगों को और निकाला. ट्रेन का एस 3 डब्बा खत्म हो चुका था, और मेरे सामने जो जनरल डब्बा था वह भी कुचल गया था. बहुत सारे लोग प्लेटफार्म पर पड़े हुए थे, जिनके हाथ, पैर और मुंडी गायब थी."
वह आगे कहते हैं कि जनरल डिब्बे की बहुत बुरी स्थिति थी, चढ़ने की स्थिति नहीं थी. रिजर्वेशन वाला डिब्बा भी खचाखच भरा था. एस 2 और एस 3 में जो कन्टिंग जगह थी वहां बहुत सारे लोग खड़े थे.
सरकार 275 लोगों की मौत बता रही है? इस सवाल पर वह कहते हैं कि यह आंकड़ा ठीक नहीं है. यह प्रशासन और रेल डिपार्टमेंट की गलती है. इसके जिम्मेदार लोगों को तुरंत सस्पेंड कर देना चाहिए.
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