ओडिशा ट्रेन हादसा: “जिनमें सांस थी उन्हें पहले निकाला गया ताकि वो जिंदा बच सकें”

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रेन के कोच में अंदर जो लाशें थीं वो एक के ऊपर एक पड़ी थीं और दृश्य बहुत दर्दनाक था. लाशें खून से लथपथ थीं, सबसे ज्यादा नुकसान जनरल बोगी में हुआ.

WrittenBy:बसंत कुमार
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शुक्रवार यानी 2 जून को हुए ओडिशा ट्रेन हादसे को तीन दिन हो गए हैं. बावजूद इसके वहां मलबा फैला हुआ है. एक तरफ जहां जेसीबी मशीनें मलबा साफ करने में लगी हैं तो वहीं रेलवे के कर्मचारी ट्रैक को ठीक करने में जुटे हैं, ताकि बाधित व्यवस्था सुचारू रूप से चालू की जा सके. घटना स्थल पर अभी भी काफी लोगों का सामान और उनके कपड़े मौजूद हैं. टकराने वाली तीनों ट्रेनों की बोगियां भी अभी वहीं पर पड़ी हुई हैं.

घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने न्यूज़लॉन्ड्री के साथ आखों देखा हाल साझा किया. आदर्श समिति के कार्यकर्ता संजय नायक बताते हैं कि ये दुर्घटना 7 से 7:30 बजे के बीच हुई थी, एक अन्य कार्यकर्ता बसंत कुमार कहते हैं कि अगर कटर समय से आया होता तो और भी लोगों की जान बचाई जा सकती थी. ट्रेन के कोच में अंदर जो लाशें थीं वो एक के ऊपर एक पड़ी थीं और दृश्य बहुत दर्दनाक था. लाशें खून से लथपथ थीं, सबसे ज्यादा नुकसान जनरल बोगी में हुआ. 

वहीं एनडीआरएफ की टीम ने बताया कि उन्होंने ट्रेन की बोगियों में फंसे काफी लोगों को बचाया. वह कहते हैं कि जो जीवित थे उन्हें पहले निकाला गया ताकि वो जिंदा बच सकें वहीं जिनकी मौत हो गई थी उनकों एम्स भुवनेश्वर और अलग-अलग अस्पतालों में रखा गया जहां उनका इलाज जारी है.

बता दें कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 275 लोगों की मौत हुई है और हजारों घायल हैं.

देखिए पूरी रिपोर्ट-

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