शाहबाद डेयरी: बढ़ता अपराध, युवाओं में 'भाई' बनने का शौक और दिल्ली पुलिस की भूमिका

साक्षी हत्याकांड के बाद से ही घटनास्थल के आसपास के घरों में ताले लगे हैं. पूरे इलाके में तनाव की स्थिति है. 

WrittenBy:अवधेश कुमार
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दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके में हुए साक्षी हत्याकांड ने लोगों में खौफ पैदा कर दिया है. इलाके में हिंदूओं और मुस्लिमानों की एक बड़ी आबादी रहती है.  लेकिन इस हत्याकांड के बाद स्थानीय लोगों के चेहरे पर खौफ साफ देखा जा सकता है. इसका कारण है, घटना के बाद से ही एक धर्म विशेष के संगठनों का लगातार आना और उनकी समुदाय विशेष प्रति नफरत भरी बयानबाजी. 

जब न्यूज़लॉन्ड्री की टीम इस घटना के बारे में जानने और इलाके का माहौल समझने की कोशिश करने जा रही थी तो रास्ते में मिले ऑटो चालक कमलेश्वर पांडेय ने कहा, "ऐसे बंदे को तो तुरंत मार देना चाहिए था, उसे मौका नहीं देना चाहिए. वो मुसलमान था, हिंदू बनकर हिंदू लड़कियों को फंसाता था. ऐसे बंदे को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए."

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ऑटो ड्राइवर कमलेश्वर पांडेय

पांडेय आगे कहते हैं, “मैं 35 सालों से शाहबाद डेयरी इलाके में रह रहा हूं, लेकिन आज तक यहां पर ऐसा कोई कांड नहीं हुआ. जो अब हुआ है. लड़की को बहुत ही बेदर्दी से मारा गया है. वहां देखने वाले तमाशाबीन बने हुए थे. किसी ने मां का दूध नहीं पीया था इसलिए किसी ने बचाने की कोशिश नहीं की. अगर बचाने की कोशिश की होती तो कम से कम उस गली में 15-20 लोग आ जा रहे थे, आज वह लड़की जिंदा होती. अगर यही कांड उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में होता तो उसके घर पर बुलडोजर चल गया होता.’’

जब हम घटना स्थल पर पहुंचे तो वहां पर मीडिया का जमावड़ा था. यूट्यूबर और मीडियाकर्मी अपने-अपने तरीके से घटना को कवर कर रहे थे. ज्यादातर पत्रकार हमें ऐसे मिले जो इस घटना को ‘लव जिहाद’ का एंगल दे रहे थे.

आस्था मां

इस दौरान हमें हिंदू संगठन से ताल्लुक रखने वालीं आस्था मां मिलीं, जो जोर-जोर से एक मीडियाकर्मी से बात करते हुए कह रही थीं, “लड़कियों को ऑफिसर बना लो लेकिन उन्हें सनातन के बारे में मत बताओ, अपने भगवान के बारे में मत बताओ. जबकि इन (मुस्लिमों) लोगों को सबसे पहले शिक्षा दी जाती है कि ये हिंदू काफिर हैं, ये हमारे बीच में नहीं रहने चाहिए. कुछ भी करो कैसे भी करो ये काफिर खत्म होने चाहिएं. अगर ये शिक्षा हमारी बच्चियों को दी होती और अपने भगवानों के बारे में बताया होता तो आज जो ये साक्षी, निकिता, अंकिता, खुशी, श्रद्धा और काजल जिंदा होती. आज ये नौबत नहीं आती. लेकिन इन्हें ऐसे संस्कार ही नहीं मिले हैं.”

वे कहती हैं, “आज कल तो कोई अहमद आता है, रूद्राक्ष पहनता है, कलावा बांधता है, बाबू ने पिज्जा बर्गर खाना है, अब्दुल से रिचार्ज करवाना है, तो वो करवाएगा. उनको मां बाप से क्या मतलब है. उसको तो अब्दुल से मतलब है उसे यह नहीं पता कि 350-400 का रिचार्ज करवा कर वो तेरे साथ कितना बुरा करेगा.” 

साक्षी के घर के बाहर और गली में लगे भड़काऊ पोस्टर

इन पोस्टरों पर हिंदू महिलाओं को जागरूक करने की बात कही गई है. पोस्टर में कुछ मीडिया कर्मियों को भी निशाना बनाया गया है. साथ ही लिखा है- “जाग जाओ हिंदू बहनों, इससे पहले कोई आफताब-साहिल आपको भी मौत की नींद सुला दे. कब तक हम लोग ऐसे ही अपनी बहन बेटियों को लव जिहाद में मरते हुए देखते रहेंगे?”

पांच महीने में तीसरा हत्याकांड

इस इलाके का आपराधिक रिकॉर्ड जानने के लिए हमने घटनास्थल से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित शाहबाद डेयरी पुलिस स्टेशन का रुख किया. जहां हमें नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया गया कि इलाके में पिछले पांच महीनों में यह तीसरा हत्याकांड है. 

“इस साल का पहला हत्याकांड जनवरी महीने में हुआ था. तब एक 21 साल के लड़के की मौत हो गई गई थी और उसकी हत्या का आरोप उसके ही 4-5 दोस्तों पर लगा था. फिलहाल सभी आरोपी जेल में हैं. मृतक और सभी आरोपी जिगरी दोस्त थे, एक साथ खाना, उठना, बैठने वाला हिसाब था. उसे एक छोटा मोटा गैंग या उनका भाईचारा भी कह सकते हैं. 21 साल की उम्र में उस युवक पर 35 से 40 मुकदमें दर्ज थे. इनमें ज्यादातर चोरी के थे. उसका काम ही चोरी करना और नशा करना था.” एक पुलिसकर्मी ने कहा. 

दूसरे मर्डर के बारे में बताते हुए वह कहते हैं, “यह मामला करीब दो महीने पुराना है. इसकी उम्र भी करीब 20-22 साल की होगी. लेकिन हम मामले के बारे में इससे ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते हैं क्योंकि अभी जांच चल रही है. 

वहीं तीसरा, साक्षी हत्याकांड तो इस वक्त पूरे देश की जुबान पर है.

शाहबाद डेयरी थाना

अन्य मामलों के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि “यहां लड़की छेड़ने जैसा भी कभी कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है. न ही कोई नई उम्र के लड़कों के झगड़े का मामला सामने आया है. तीन साल से तो मैं देख रहा हूं. यहां सबसे ज्यादा मामले चोरी के आते हैं. थाने का रजिस्टर चोरी के मामलों से भरा पड़ा है. यहां पिछले पांच महीनों में चोरी के 579 मामले दर्ज हुए हैं. यह सब मोबाइल और छोटी-मोटी चोरियों से संबंधित हैं. यह सभी मामले 379 धारा के अंतर्गत आते हैं. वहीं स्नैचिंग के पिछले पांच महीनों में 12 मामले आए हैं.” उन्होंने कहा.

पुलिसकर्मी कहते हैं कि अगर रात में आप यहां से अकेले जाएंगे तो 50 प्रतिशत चांस हैं कि लोग आपको यहां लूट लेंगे, सामान छीन लेंगे. यही नहीं बुराड़ी से नांगलोई तक ये पूरा इलाका ऐसा ही है. 

जैसी हमें जानकारी मिली है कि यहां पर जुआ बहुत ज्यादा खेला जाता है, लेकिन उस हिसाब से यहां मामले कम दर्ज क्यों हैं?

इस सवाल पर वह कहते हैं कि यहां पर पिछले पांच महीने में जुए के तीन मामले दर्ज हुए हैं. दूसरी बात ये कि इन (जुआरियों) के भी सोर्स होते हैं. सारे गलत काम करने वाले पुलिस को जानते हैं और जैसे ही कोई पुलिसकर्मी दौरे पर जाता है तो उन्हें पहले ही पता चल जाता है कि पुलिस आ रही है, तो वो वहां से हट जाते हैं. ज्यादातर मामलों में ऐसे ही होता है.

वह आगे कहते हैं कि कभी आप बिना वजह के ही जेजे कॉलोनी, भलस्वा, जहांगीरपुरी, बवाना, मुकुंदपुर, प्रेम नगर, सुल्तानपुरी और मंगोलपुरी घुमिए, आपको कुछ पूछने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी आप सब नोटिस कर लेंगे. अपने आप समझ आ जाएगा कि ये इलाका कैसा है. आप ये भी कहेंगे कि इन इलाकों से तो शाहबाद डेयरी बहुत ठीक जगह है.  

थाने में मौजूद एक पुलिसकर्मी कहते हैं कि इस केस पर पूरे देश की मीडिया झुकी हुई है लेकिन हत्याकांड तो सारे नृशंश ही होते हैं. आप किसी भी हत्या को देख लीजिए आप सहम जाएंगे. ये केस सीसीटीवी में आ गया इसलिए लोगों को लग रहा है कि इतनी निर्दयता से भी हत्या होती है जबकि सारी हत्याएं ऐसे ही होती हैं.

पुलिस के खौफ का साया

इसके बाद हमने इलाके के कुछ युवाओं से भी इस क्षेत्र के बारे में जानने की कोशिश की. शाहबाद डेयरी के बी ब्लॉक निवासी और घटना स्थल से करीब 200 मीटर की दूरी पर रहने वाले 23 वर्षीय संजय कुमार (बदला नाम) कहते हैं कि यहां जिनके पास पैसा है, उनका ही बोलबाला है. जो गरीब हैं पुलिस उनको लपेटती (तंग करती) रहती है. यहां पुलिसवालों का व्यवहार बिल्कुल भी ठीक नहीं है. 

10वीं पास संजय कहते हैं, “मैंने पढ़ाई पर तो ज्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन जहां तक मुझे पता है हमारे संविधान में लिखा है कि हमको कहीं भी घूमने फिरने की आजादी है. लेकिन इस इलाके में रात को अगर 11 या 11:30 पर भी घूमते दिखाई दे गए तो पुलिस पकड़कर सीधे थाने में ले जाती है. और फिर कम से कम 500 रुपए लेकर ही छोड़ती है. जब से यह घटना हुई है तब से तो स्थिति ये है कि हम अपने घर के बाहर भी नहीं टहल सकते हैं. यहां पुलिस हम जैसे आम लोगों पर अपनी ताकत दिखा रही है.” 

संजय एक कंपनी के लिए डिलीवरी ब्वॉय का काम करते हैं. वह कहते हैं, “मैं रात को काम करके बारह-एक बजे तक आता हूं. लेकिन इस हत्याकांड के चलते नौकरी पर नहीं जा रहा हूं. मेरा 800 रुपए रोजाना का नुकसान हो रहा है. मुझे पता है कि अगर मैं जिस दिन भी लेट आया और पुलिस के हत्थे चढ़ गया तो मुझे सीधे पीटकर थाने में बंद कर देंगे या फिर पैसे लेकर छोड़ेंगे.”

संजय से बात करने के दौरान आस पास के कुछ अन्य युवा भी आ जाते हैं, वह भी संजय की हां में हां मिलाते हैं और पुलिस के व्यवहार पर सवाल उठाते हैं. इसी इलाके के आकाश और अभिनव ने भी हमसे इसी तरह की बातें साझा कीं.

साहिल खान का इंस्टाग्राम अकाउंट

साहिल का इंस्टाग्राम और निजी जीवन एक जैसा था

साक्षी की हत्या के आरोपी साहिल को करीब से जानने वाले रोहित कुमार ने हमें बताया कि जैसे साहिल इंस्टाग्राम पर दिखता है, वैसे ही वह अपने निजी जीवन में रहता है. उसे अय्याशी करने का शौक है. इससे पहले भी वह एक बार जेल जा चुका है. हालांकि, जब हमने पुलिस से इस बारे में पूछा तो बताया कि साहिल का पिछला कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक (द्वितीय वर्ष) की पढ़ाई कर रहे रोहित कहते हैं कि इस कांड में जिस प्रवीण का नाम आ रहा है, उस पर साक्षी ने एक महीने पहले ही रेप का आरोप लगाया था. उसके बाद साक्षी आरोपों से पलट गई. इस दौरान प्रवीण एक रात थाने में भी रहा था. फिर इन दोनों की दोस्ती टूट गई. 

करण कुमार भी साहिल को जानते हैं. वह कहते हैं, साहिल को ‘भाई’ बनने का शौक हैं. वह नशे का भी आदी था. 

साक्षी के पिता से नाराज रहते थे मोहल्ले के लोग

साक्षी के ताऊ और घर के बगल में ही रहने वाले 56 वर्षीय ब्रजलाल कहते हैं,
“घटना के दिन हम काम पर गए हुए थे. किसी ने आकर बताया कि साक्षी को मार दिया है. साक्षी की मां उसे देखने गईं, इसके बाद पुलिस आ गई.” 

मालूम हो कि साक्षी ने अभी 10वीं पास की थी. बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती थी. एक छोटा भाई है, जो 7वीं में पढ़ता है. साक्षी की मां एक कंपनी में काम करती हैं. पिता राज मिस्त्री का काम करते हैं. 

ब्रजलाल आगे कहते हैं, “साक्षी का पिता मेरा छोटा भाई है, लेकिन वह दारू पीकर हमेशा गाली गलौज करता है. मोहल्ले में उससे कोई भी बात नहीं करता, वह सबको गाली देता है. कभी कभी वह मुझे भी गाली दे देता था. पूरे मोहल्ले में उसका विरोध है. आते-जाते वह हमेशा गाली गलौज करता हुआ ही निकलता है. नशे का आदी है.” 

56 वर्षीय ब्रजलाल चार भाइयों में सबसे बड़े हैं. उत्तर प्रदेश के जिला अंबेडकर नगर के रहने वाला यह परिवार सन् 1980 में दिल्ली आया था. इनके सबसे छोटे भाई अभी भी गांव में ही रहते हैं जबकि बाकी के तीन भाई दिल्ली में ही रहकर काम करते हैं. 

वह कहते हैं, “मैं साइकिल से कबाड़ की फेरी करता हूं. मुझसे छोटा भाई इंद्र राज एक दूसरे ब्लॉक में रहता है और फैक्ट्री में काम करता है. तीसरे नंबर पर साक्षी के पिता जनक राज हैं. वहीं चौथे नंबर का भाई मुकेश कुमार गांव में ही टेलर है.”

साक्षी के पिता कहते हैं कि मैंने कभी साहिल को नहीं देखा था. न कभी घर के आसपास, न बाजार में और न ही कभी उसकी सहेलियों ने मुझे उसके बारे में बताया था. इसके बारे में मैं बिल्कुल नहीं जानता था अगर जानता तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता. 

साक्षी के पिता ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि घटना वाले दिन साक्षी की सहेली के भतीजे का जन्मदिन था. वह दोनों उसी के लिए बाजार से सामान लेकर लौट रही थीं. तभी उसने अपनी सहेली से कहा कि वह बाथरूम जाकर आ रही है. जब वह लौट रही थी तभी साहिल से कुछ कहासुनी हुई और उसकी हत्या हो गई. उसकी सहेली भावना ने आकर ही साक्षी की हत्या की बात बताई. 

लव जिहाद के सवाल पर वह कहते हैं, “जब मैं साहिल को जानता ही नहीं था तो मैं कैसे बताऊं, लेकिन मुझे लगा कि यह गलत है क्योंकि कोई भी मुसलमान रुद्राक्ष की माला नहीं पहन सकता है. जब मुझे पता चला तो यह गलत लगा. हो सकता है कि साक्षी को साहिल ने गुमराह किया हो लेकिन मुझे कभी साक्षी ने ऐसा नहीं बताया था. मैं चाहता हूं कि जैसे उसने मेरी बेटी को बेरहमी से मारा है तो उसको फांसी की सजा होनी चाहिए.”

साक्षी के पिता लव जिहाद जैसी किसी भी बात से इंकार करते हैं. वहीं हिंदू संगठन नारेबाजी करते हुए उनके घर पहुंच रहे हैं. इससे लोगों में खौफ का माहौल बना हुआ है. कई लोगों का कहना है कि यहां टीवी वाले भी ज्यादातर इसे लव जिहाद बता रहे हैं. इसके चलते इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है.

साक्षी के चचेरे भाई मनीराम भी लव जिहाद जैसी बात से इनकार करते हैं. वह कहते हैं कि आज कल लोग शौक के चलते कुछ भी पहन लेते हैं, नाम भी बदल लेते हैं. इसलिए किसी पर भी भरोसा नहीं कर सकते हैं. वैसे इससे ज्यादा इस बारे में हम कुछ नहीं कह सकते हैं.

बता दें कि 28 मई की रात 8 बजकर 45 मिनट पर 16 वर्षीय नाबालिग लड़की साक्षी पर साहिल नाम के एक युवक ने बार-बार चाकू से वार और बाद में पत्थर से कुचल कल मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद आरोपी साहिल को बुलंदशहर से उसकी बुआ के घर से गिरफ्तार कर लिया था. इस घटना का सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद देश भर की नजर इस हत्याकांड पर है. फिलहाल अदालत ने आरोपी की पुलिस हिरासत गुरुवार को तीन और दिनों के लिए बढ़ा दी है. जहां उससे पूछताछ जारी है.

इलाके में तनाव की स्थिति 

“मुस्लिमों में डर है कि कहीं बाहरी आदमी बुलवाकर हमें मरवा न दें क्योंकि वहां बीजेपी समेत कई दलों के लोग आ रहे हैं. कुछ लोग आए थे तो कह रहे थे कि अगर फांसी नहीं हुई तो हम खुद हथियार उठा लेंगे.” नाम नहीं छापने की शर्त पर एक मुस्लिम युवक ने कहा. 

साक्षी के पड़ोसी अनवर (बदला नाम) कहते हैं कि यहां पर हिंदू संगठन के लोग आए थे. भड़काऊ पोस्टर लगा कर गए हैं.

वह कहते हैं, “मैं मकैनिक का काम करता हूं लेकिन माहौल बिगड़ने के डर की वजह से काम पर नहीं जा रहा हूं. क्योंकि यहां काफी लोग हिंदू बनाम मुस्लिम करने के चक्कर में लगे हैं. यहां जो भी आ रहा है वो अब सीधे यही कह रहा है कि ये लव जिहाद का मामला है, मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को फंसा रहे हैं. नफरत पैदा हो रही है. जिन्होंने यह पोस्टर लगाए हैं वह यहां नारे लगा रहे थे कि ‘मुल्लों तुम होश में आओ’.” 

24 घंटे शराब, गांजा, स्मैक उपलब्ध

वहीं इसी इलाके के रहने वाले आफताब कहते हैं कि यहां लड़कों को ‘भाई’ बनने का बहुत शौक है. लड़ाई झगड़ा तो आम बात है. इलाके में शराब किसी भी समय मिल जाती है. गांजा-स्मैक भी यहां आसानी से मिल जाती है. वे आरोप लगाते हैं कि पुलिस को सब पता है लेकिन जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं करती जबकि यहां दिन में भी लोग दारू पीकर घूमते रहते हैं. इन झुग्गियों में जुआ, शराब, गांजा बहुत आसानी से उपलब्ध है.

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