‘द केरल स्टोरी’ के रिलीज होने के बाद से ही देशभर में एक बहस सी छिड़ी है. जानिए सिनेमाघरों से फिल्म देखकर निकल रहे लोगों की क्या राय बन रही है?
‘द केरल स्टोरी’ फिल्म रिलीज होने के बाद से ही विवादों में है. इस पर भी बहस उसी तरह छिड़ी है, जैसे पहले ‘द कश्मीर फाइल्स’ की रिलीज के वक्त हुआ था. फिल्म को लेकर लोग दो धड़ों में बंट गए हैं. जहां एक धड़ा फिल्म को प्रोपेगेंडा बता रहा है तो वहीं दूसरा धड़ा इस फिल्म को सच बताने और प्रमोट करने में लगा है. यहां तक कि पीएम मोदी ने भी इस फिल्म के जरिए कर्नाटक चुनावों में लोगों को लुभाने की कोशिश की. इतना ही नहीं बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया. जबकि पश्चिम बंगाल में फिल्म पर रोक लगा दी गई है.
फिल्म के डॉयरेक्टर सुदीप्तो सेन ने इसे सच्ची घटना के तौर पर पेश किया है. हालांकि 'द केरल स्टोरी' का ट्रेलर रिलीज होते ही विवादों में आ गया. इसमें दावा किया गया कि केरल की 32 हजार महिलाएं आईएसआईएस में शामिल हो गई हैं. जब अदालत ने फिल्म के निर्माता से पूछा कि 32 हजार का आंकड़ा कहां से आया, तो वो जिसे अब तक तथ्य बता रहे थे, उसका जिक्र ट्रेलर से हटाने को राजी हो गए.
यानी फिल्म के डायरेक्टर ने कोर्ट में मामला जाने के बाद 32000 की संख्या को 3 से रिप्लेस कर दिया.
फिल्म में भले दावा 32 हजार का हो लेकिन सच यह है कि आंकड़ों के मुताबिक केरल से सिर्फ छह महिलाएं ही आईएसआईएस में शामिल हुईं, इनमें से भी तीन मुस्लिम दो क्रिश्चियन और मात्र एक महिला हिंदू है.
लोगों की इस फिल्म को देखने के बाद क्या धारणा बनी यह जानने के लिए हमने भी यह फिल्म देखी और सिनेमाघरों में आए लोगों से बात की, कि आखिर इस फिल्म के बारे में वह क्या सोचते हैं?
फिल्म को देखने के बाद हमें ज्यादातर लोग भारी गुस्से में दिखे. युवाओं का एक झुंड जय श्री राम के नारे लगा रहा था तो वहीं कुछ युवाओं ने मुस्लिम समुदाय को गालियां दीं.
ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है और फिल्म की एक-एक बात सही है. उनको लगता है कि केरल ही नहीं बल्कि देश भर में मुस्लिम, हिंदू लड़कियों को बहकाकर उनको फंसाने की कोशिश करते हैं और बाद में उनके साथ गलत व्यवहार करते हैं.
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