टीवी की नौटंकी और स्वतंत्र मीडिया की जरूरत, प्रेस की आजादी पर विशेष एपिसोड

मीडिया को 'लोकतंत्र का चौथा स्तंभ' क्यों कहा जाता है. लोकतंत्र के बाकी तीन स्तंभों के कर्तव्य क्या हैं, और ये सब एक साथ कैसे काम करते हैं?

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इस हफ्ते जब भारत के चोटी के पहलवानों का भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों पर कार्रवाई की मांग करते हुए दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन जारी रहा, तब टाइम्स नाउ के पत्रकार दिल्ली के मुख्मंत्री अरविंद केजरीवाल की कार का पीछा कर रहे थे, आम आदमी पार्टी के लोगों के साथ हाथापाई कर रहे थे. वहीं सुधीर चौधरी कुश्ती संघ के प्रमुख का लॉलीपॉप इंटरव्यू करने में व्यस्त थे.

3 मई को प्रेस स्वतंत्रता दिवस था जिसने हमें यह सोचने पर मजबूर किया कि न्यूज़ की महत्ता क्या है और एक लोकतंत्र में फ्री प्रेस क्या मायने रखती है. इस साल रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी 2023 प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 180 देशों में 161 वें पायदान पर है. इस विशेष एपिसोड में इसको करीब से देखते हैं.

साथ ही इस कड़ी में समझते हैं कि मीडिया को 'लोकतंत्र का चौथा स्तंभ' क्यों कहा जाता है. लोकतंत्र के बाकी तीन स्तंभों के कर्तव्य क्या हैं, और ये सब एक साथ कैसे काम करते हैं.

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