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एनएल चर्चा 259: खालिस्तान को लेकर लंदन में प्रदर्शन, अमृतपाल की फरारी और राहुल गांधी

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

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इस हफ्ते चर्चा में बातचीत के मुख्य विषय अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह की तलाश में जुटी पंजाब पुलिस, लंदन में भारतीय दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों का हमला, राहुल गांधी को चार साल पुराने मानहानि मामले में अदालत द्वारा सुनाई गई सजा रहे. इसके अलावा दिल्ली में लगाए गए पोस्टर ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’ पर दिल्ली पुलिस की फुर्ती, अफगानिस्तान में आया भूकंप, जिसके भारत में भी महसूस किए गए झटके. वहीं, धरती का तापमान औसत से 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाने, कन्नड़ अभिनेता चेतन को हिंदुत्व पर ट्वीट को लेकर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने, राजस्थान विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया जाने, जिसके तहत सभी सरकारी और कुछ निजी संस्थानों में मरीजों को मुफ्त इलाज मिलेगा, दिल्ली के जंतर-मंतर पर असाध्य रोग डीएमडी को लेकर जमा हुए लोग और सरकार से सुविधाओं की मांग आदि सुर्खियों का भी जिक्र हुआ.

बतौर मेहमान इस चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार रूही खान, शिव इंदर सिंह, हृदयेश जोशी और सह-संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. चर्चा का संचालन अतुल चौरसिया ने किया.

चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल रूही से सवाल करते हैं, अमृतपाल सिंह के नजरिए से जो पंजाब और दुनिया भर में जो हालात पैदा हुए हैं, जिसके बाद लंदन में भारतीय दूतावास से भारत के राष्ट्रीय ध्वज को हटाया गया और खालिस्तान समर्थक वहां प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में अब वहां के ताजा हालात क्या हैं? 

इस सवाल के जवाब में रूही कहती हैं, “यह जो हो रहा है वह लंदन में पहली बार नहीं हुआ है, अब वजह अमृतपाल की गिरफ्तारी की कोशिश है लेकिन एक लंबे समय से खालिस्तान की मांग का मुद्दा भारत के बाहर पक रहा है और यूके बड़ा ही महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, प्रवासी भारतीय पॉलिटिक्स के लिए. सिख डायस्पोरा के एक सेक्शन में खालिस्तान की मांग एक कांस्टेंट थीम रही है सालों से. अमृतपाल की गिरफ्तारी को लेकर इस मूवमेंट में ज्यादा जोश आ गया है.”

इसी मुद्दे पर हृदयेश कहते हैं, “यूके में सिख समुदाय इतना ज्यादा है और उनका काफी प्रभाव है. लेकिन एक बड़ा तबका ऐसा है, जो कभी हिंदुस्तान नहीं आना चाहता और यदि उनकी खालिस्तान की मांग पूरी भी हो जाती है तब भी वह शायद नहीं आएगा. लेकिन वह वहीं से बंटवारे की मांगों में अपना समर्थन देते हैं चाहे वे यूके में हो या कनाडा में.”

इस विषय पर शार्दूल कहते हैं, “बिना किसी किन्तु-परन्तु के इस खालिस्तान की मांग की आलोचना होनी चाहिए. भारत की एकता और संप्रभुता पर कोई डिबेट नहीं है. नम्रता का अर्थ यह नहीं होता है कि सिंह (शेर) घास से दोस्ती कर ले. आप अपने ढोल बजाइए लेकिन यह बात किसी डिबेट के भी लायक नहीं है.”

पंजाब के जमीनी हालात पर शिव इंदर सिंह कहते हैं, “तथाकथित नेशनल मीडिया और विदेशों से जो ख़बरें आ रही हैं और मैंने जो जमीन पर रहकर महसूस किया तो मुझे यह सारा परिदृश्य देखकर गालिब याद आए कि वह कहते हैं, 

हैरां हूं दिल को रोऊं कि पीटूं जिगर को मैं, मक़्दूर हो तो साथ रखूं नौहागर को मैं. 

छोड़ा न रश्क ने कि तिरे घर का नाम लूं, हर इक से पूछता हूं कि जाऊं किधर को मैं.’ 

पंजाब में हालत कुछ अलग ही हैं. मैंने नौ जिले कवर किए और देखा कि पुलिस की तैनाती थी जिले की सीमाओं पर लेकिन कोई विशेष चेकिंग नहीं हो रही थी.”

इसके अलावा राहुल गांधी को अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के मामले समेत अन्य मुद्दों पर विस्तार से बात हुई. सुनिए पूरी बातचीत- 

टाइमकोड्स

00:00:00 - 00:15:20  - हेडलाइंस व जरूरी सूचनाएं

00:15:25 - 00:53:41  - अमृतपाल सिंह और खालिस्तान की मांग  

00:53:45 - 01:01:36 - राहुल गांधी को सजा 

01:03:58 - सलाह और सुझाव

पत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए

शार्दूल कात्यायन 

यूएन की आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट

न्यूयॉर्क टाइम्स की डॉक्यूमेंट्री- द आर्मी वी हैड 

सीरीजः द लास्ट ऑफ अस (पहले यह सीरीज नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध थी, लेकिन अब वहां नहीं है. अब आप इसे एचबीओ पर देख सकते हैं)  

हृदयेश जोशी

आईपीसीसी की रिपोर्ट से समरी फॉर पॉलिसी मेकर्स  

रामचंद्र गुहा की किताब- डेमोक्रेट्स एंड डिसेंटर्स 

शिव इंदर सिंह

पीटर फ्रेडरिक की किताबः सिख कॉकस- सीज़ ने डेल्ही, सरेंडर इन वाशिंगटन

कारवां की रिपोर्टर, जतिंद्र कौर तुड़ की अमृतपाल पर रिपोर्ट 

राजमोहन गांधी की किताब पंजाब 

कुलदीप नैयर, खुशवंत सिंह की किताब ट्रैजडी ऑफ पंजाब

जीबीएस सिद्धू कि किताब खालिस्तानी कॉन्सपिरेसी 

रूही खान 

परवेज आलम, अर्चना शर्मा का पॉडकास्ट 

नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री- एमएच 370 - द प्लेन दैट दिसअपीयर 

ऑस्कर अवॉर्ड विजेता डॉक्यूमेंट्रीः द एलिफेंट व्हिसपरर्स 

अतुल चौरसिया

समीर चौगांवकर की किताब- ऑपरेशन शिवसेना- तख्तापलट से सत्ता तक 

रूही खान कि किताब-  एस्केप्डः ट्रू स्टोरी ऑफ इंडियन फ्यूजिटिव 

ट्रांसक्राइब - तस्नीम ज़ैदी

प्रोड्यूसर - चंचल गुप्ता

एडिटिंग - उमराव सिंह

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