दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्क्रीनिंग को अनुशासनहीनता मानते हुए दो छात्रों को प्रतिबंधित और छह छात्रों को माफी मांगने का नोटिस दिया है. इसके विरोध में छात्रों ने प्रदर्शन किया.
जनवरी में दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की पब्लिक स्क्रीनिंग को अनुशासन हीनता मानते हुए दो छात्रों लोकेश चुघ और रविन्द्र सिंह को नोटिस जारी किया. इसके अलावा अगले एक साल के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ-साथ देश के सभी विश्वविद्यालयों में किसी भी तरह की परीक्षा देने से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है. वहीं छह छात्रों को प्रशासन के सामने माफी मांगने को कहा गया है कि वह भविष्य में इस तरह की गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे.
इसके विरोध में 24 मार्च को करीब 30 छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी में प्रदर्शन किया. करीब 3 बजे शुरू हुए प्रदर्शन को पांच मिनट ही हुए थे कि तभी दिल्ली पुलिस और विश्वविद्यालय के गार्ड प्रदर्शन स्थल पर पहुंच गए और छात्रों को जबरन हिरासत में ले लिया. हिरासत में लेते वक्त छात्रों के साथ मारपीट भी की गई.
हिरासत में लेने के बाद छात्रों को बस में बैठा कर दिल्ली विश्वविद्यालय से दूर बुराड़ी थाने ले जाया गया.
विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिबंधित लॉ फैकेल्टी के छात्र रविंद्र सिंह ने बताया, "हम लोग विश्वविद्यालय के तानाशाही फरमान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन हमें पांच मिनट भी प्रदर्शन नहीं करने दिया गया और हमें मारपीट कर जबरन हिरासत में ले लिया गया है."
रविंद्र कहते हैं, "विश्वविद्यालय एक ऐसी जगह होती है, जहां पर हर तरह के विचारों को बराबर जगह दी जाती है लेकिन पिछले कुछ समय से विश्वविद्यालय को एक खास विचारधारा का गढ़ बनाने की कोशिश की जा रही है. जिसके खिलाफ हम लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं."
वहीं, विश्वविद्यालय में स्नातक की छात्रा बादल भी इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा हिरासत में ली गईं. वह कहती हैं, "हमारे साथ दिल्ली पुलिस और विश्वविद्यालय के गार्ड मारपीट करते हैं क्योंकि हम लड़की होकर अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की बात करते हैं. क्या विश्वविद्यालय के अंदर एक लड़की अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की बात नहीं कर सकती."
स्नातक के छात्र आशुतोष को विश्वविद्यालय द्वारा माफी मांगने का नोटिस दिया गया है. आशुतोष ने हमें बताया, "हमने भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का आयोजन किया था. इसका हमें कोई पछतावा नहीं है. और न ही हम प्रशासन से माफी मांगने वाले हैं. हमने कोई गैरकानूनी काम नहीं किया है."
इस दौरान हम छात्रों के साथ पुलिस की गाड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय से बुराड़ी थाने तक मौजूद रहे.
बता दें कि जनवरी में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन कर दिया था. इसके बावजूद देश के तमाम विश्वविद्यालयों में छात्र इस डॉक्यूमेंट्री की पब्लिक स्क्रीनिंग कर रहे थे. जिसको लेकर जनवरी महीने में भी खूब हंगामा हुआ. दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी थी. 27 जनवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय में स्क्रीनिंग के बाद प्रशासन ने एक कमेटी बनाई थी. कमेटी के सुझाव को मानते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों पर यह अनुशासनात्मक कार्यवाही की है.
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