दिल्ली में 16 मार्च को पसमांदा समाज के बच्चों के लिए शिक्षा व रोज़गार के अवसरों को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के आयोजकों और भागीदार, दोनों में ही भाजपा के कार्यकर्ता शामिल रहे, इसलिए इस कार्यक्रम के राजनीतिक पहलू को नकारा नहीं जा सकता.
भाजपा का कहना है कि देश के 24 करोड़ मुसलमानों में 85 फीसदी पसमांदा मुसमान हैं, शायद इसी को देखते हुए पार्टी उन्हें एक वोटबैंक के तौर पर लुभाने का प्रयास कर रही है. लेकिन भाजपा के कथित पसमांदा नुमाइंदे गौरक्षा के नाम पर लिंचिंग से हुई मौतों और मौलाना आज़ाद फेलोशिप को हटाए जाने जैसे कदम पर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं देते. ऐसे में क्या भारतीय जनता पार्टी के इस आउटरीच प्रोग्राम का लाभ 2024 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिलेगा?
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