अहमदाबाद के रहने वाले दर्शन सोलंकी की मौत 12 फरवरी को आईआईटी मुंबई में हुई थी. इसे आत्महत्या बताया गया लेकिन परिजनों का आरोप है कि उसे जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ रहा था. वो आत्महत्या नहीं कर सकता है.
12 फरवरी को अहमदाबाद के मणिनगर के रहने वाले रमेश भाई को एक फोन आया. यह फोन आईआईटी मुंबई से था, जहां उनका 18 वर्षीय बेटा तीन महीने पहले ही पढ़ने गया था. फोन पर उनसे कहा गया कि आपके बेटे दर्शन सोलंकी का एक्सीडेंट हो गया है, आप मुंबई आ जाइये. रमेश आनन-फानन में मुंबई के लिए निकले, जहां उन्हें बताया गया कि सोलंकी ने आत्महत्या कर ली है.
दर्शन ने मौत से एक घंटे पहले अपने पिता से बात की थी. वे बताते हैं, ‘‘उस दिन मेरी भतीजी का जन्मदिन था. उससे बात की. मैं उसे दो दिन बाद लेने जाने वाले था. काफी खुश था वो. कह रहा था कि जल्दी आना मुझे लेने, हम बुआ के घर जाएंगे, सब मौज करेंगे.’’
तो फिर थोड़ी ही देर बाद ऐसा क्या हुआ कि उसने जान दे दी. इस पर रमेश भाई कहते हैं, ‘‘हमें भी नहीं मालूम की एक घंटे में ऐसा क्या हुआ कि उसे ऐसा करना पड़ा या उसके साथ किसी ने ऐसा किया? मुझे ऐसा नहीं लग रहा कि वो आत्महत्या कर सकता है. मुझे तो लगता है कि उसे किसी ने मारा है, उसकी हत्या की है.’’
दर्शन की बड़ी बहन जाह्नवी न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहती हैं, “मेरे भाई के साथ जातिगत भेदभाव हो रहा था. उसने मुझे बताया था कि जिस रोज उसने स्कॉलरशिप के लिए फॉर्म भरा, उसके बाद से उसके दोस्तों का रवैया बदल गया. वे उसकी कोई मदद नहीं करते थे. उसे परेशान करते थे. हालांकि वो इतना कमजोर नहीं था कि आसानी से टूट जाता. उसे बहुत परेशान किया गया है.’’
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम जब अहमदाबाद में दर्शन के घर पहुंची तो रास्ते में जगह-जगह न्याय के लिए पोस्टर लगे थे. यहां कई दिनों तक लोगों ने प्रदर्शन भी किया था. उनके घर के पास रहने वाले अनटूभाई सोलंकी ने बताया, ‘‘वो पढ़ने में बहुत होशियार लड़का था, तभी उसका आईआईटी में एडमिशन हुआ. वो बेहद खुश था कि आईआईटी से पढ़ाई कर मैं अपने परिवार को बेहतर जीवन दूंगा. वो दबाव में आने वाला लड़का नहीं था. हमें आत्महत्या नहीं लग रही है.’’
अनटूभाई अपने मोबाइल में अन्य छात्रों की तस्वीरें दिखाते हुए कहते हैं, ‘‘यह कोई पहला मौका नहीं था जब किसी दलित छात्र ने आत्महत्या की है. इससे पहले रोहित वेमुला, पायल तड़वी के साथ क्या हुआ, ये तो पूरा देश जानता है. ये सब जातिगत भेदभाव के कारण इतना सख्त कदम उठाने को मजबूर हुए.’’
पतली गली से होकर हम दर्शन के घर पहुंचे. घटना के बाद से ही उनकी मां की तबीयत खराब चल रही है. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए वो भी हत्या की आशंका जताती हैं. वे कहती हैं कि जिन्होंने भी मेरे बेटे के साथ ऐसा किया है उन्हें फांसी की सजा दी जानी चाहिए.
घटना के समय आईआईटी मुंबई ने एक इंटरनल जांच कमेटी बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट के आधार पर इंडियन एक्सप्रेस ने खबर प्रकाशित की, जिसमें बताया गया है कि दर्शन के साथ जातिगत भेदभाव नहीं हुआ बल्कि खराब नंबरों ने उस पर असर डाला है.’’
दर्शन के मामले में भले ही इंटरनल कमेटी ने जातिगत भेदभाव से इंकार किया हो, लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं था जब किसी दलित छात्र ने आत्महत्या की है. भारत सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि आईआईटी और आईआईएम शिक्षा संस्थानों में साल 2014 से 2021 के बीच 122 खुदकुशी के मामले सामने आए. जिसमें 24 छात्र अनुसूचित जाति, 41 छात्र अन्य पिछड़े वर्गों और तीन छात्र अनुसूचित जनजातीय वर्ग से थे.
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