‘एनडीटीवी की संपादकीय नीति में कोई बदलाव नहीं होगा': अडानी ग्रुप के टेकओवर के बाद पहली बैठक

अडानी ग्रुप की तरफ से संजय पुगलिया, वरिष्ठ पत्रकार सेंथिल चेंगलवारायण के साथ एनडीटीवी स्टाफ के टाउनहॉल में कर्मचारियों ने अपनी चिंताएं जाहिर की.

Article image

अडानी ग्रुप द्वारा एनडीटीवी के अधिग्रहण के बाद बुधवार को पहली बार नए अधिकारियों के साथ एक टाउनहॉल का आयोजन हुआ. दिल्ली स्थित अर्चना कॉम्पलेक्स के स्टूडियो 'सी' में हुई इस बैठक में एनडीटीवी के तमाम कर्मचारी और पत्रकार शामिल हुए. 

इस बैठक में एनडीटीवी के शीर्ष पदाधिकारी व अडानी ग्रुप के तरफ से एएमजी मीडिया नेटवर्क के सीईओ संजय पुगलिया और वरिष्ठ पत्रकार सेंथिल चेंगलवारायण समेत कई अन्य अधिकारी भी शामिल हुए. 

टाउनहॉल में मौजूद कर्मचारियों के मुताबिक इसकी शुरुआत एनडीटीवी ग्रुप की प्रेसिडेंट सुपर्णा सिंह ने की. उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए नई टीम से परिचय करवाया. यह बैठक करीब एक घंटे चली, जिसमें मौजूदा कर्मचारियों के कई सवालों का नए प्रबंधन ने जवाब दिया.

टाउनहॉल में मौजूद एनडीटीवी के एक कर्मचारी ने हमें बताया, "बैठक में संजय पुगलिया ने कहा कि एनडीटीवी की संपादकीय नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा. जैसा है, वैसा ही रहेगा.”

एनडीटीवी में कर्मचारियों की कमी का एक पुराना मामला है, जिसको लेकर अडानी ग्रुप की टीम से सवाल पूछा गया. इसका जवाब देते हुए नए प्रबंधन ने कहा कि आने वाले दिनों में लोगों की भर्तियां शुरू हो जाएंगी. साथ ही स्पष्ट किया गया कि कंपनी में किसी तरह की छंटनी नहीं होगी. 

एक कर्मचारी ने सवाल उठाया कि एनडीटीवी में बीजेपी के नेता नहीं आते हैं, और साथ ही जो गेस्ट शामिल होते हैं उन्हें क्या आने वाले दिनों में भुगतान किया जाएगा? इस पर संजय पुगलिया ने कहा, “भाजपा के लोगों को चैनल में बुलाने की कोशिश की जाएगी. गेस्ट को भुगतान करने पर भविष्य में विचार किया जाएगा.”

यह बैठक दोपहर में करीब 3 बजे शुरू हुई, जो एक घंटे से ज्यादा चली. बैठक को लेकर एनडीटीवी इंडिया के एक कर्मचारी बताते हैं कि संजय पुगलिया और उनके साथ आए सदस्यों ने सवालों का कोई सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश की.

संपादकीय टीम में काम करने वाली एक पत्रकार ने टाउनहॉल में सवाल उठाया कि वहां अधिकतर लोग काम की आजादी के लिए काम करते हैं, क्या यह आजादी आगे भी जारी रहेगी? इसका जवाब देते हुए पुगलिया ने कहा, “एनडीटीवी अपनी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है. इससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा. जैसा काम करते हैं, करते रहिए. आप अपने आइडिया लेकर आएं. हम उसमें मदद करेंगे. काम को बेहतर बनाएंगे.”

बातचीत में कर्मचारियों की सैलरी का मुद्दा भी उठा. उस पर बात करते हुए पुगलिया ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि कर्मचारियों की सैलरी कई सालों से नहीं बढ़ी है. उन्होंने एनडीटीवी में सैलरी बढ़ाने को लेकर कोई नियम न होने पर हैरानी भी जताई. 

इससे पहले एनडीटीवी इंडिया और एनडीटीवी प्रॉफिट के पूर्व मैनेजिंग एडिटर औनिन्द्यो चक्रवर्ती ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा था, “अडानी की मीडिया में कोई खास मौजूदगी नहीं है. हो सकता है वह एनडीटीवी प्रॉफिट को फिर से लॉन्च करें, क्योंकि अंबानी के पास सीएनबीसी टीवी-18 बिजनेस चैनल है.”

आज की बैठक में पुगलिया ने इशारों-इशारों में बताया कि चूंकि अडानी ग्रुप देश का प्रमुख औद्योगिक समूह है, इसलिए आने वाले दिनों में एनडीटीवी प्रॉफिट चैनल फिर से शुरू हो सकता है. 

कर्मचारियों द्वारा पूछे गए ज्यादातर सवालों का जवाब संजय पुगलिया ने ही दिया. वहीं कुछ सवालों का जवाब सेंथिल ने भी दिया. बता दें कि संजय पुगलिया और सेंथिल चेंगलवारायण को 23 दिसंबर को एनडीटीवी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में अतिरिक्त निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था.  

एनडीटीवी के दिल्ली स्थित अर्चना कॉम्प्लेक्स के ऑफिस को बदलने को लेकर भी सवाल पूछा गया. इसके जवाब में टीम के सदस्यों को आश्वस्त किया गया कि फिलहाल तो यह पता ही एनडीटीवी की पहचान है, इसलिए इसे कायम रखा जाएगा. लेकिन आने वाले दिनों में कुछ भी हो सकता है. 

हमने इस बैठक को लेकर संजय पुगलिया से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हमें कोई जवाब नहीं दिया.

दिलचस्प बात यह रही कि इस बैठक में किसी ने भी रॉय दंपति की कोई चर्चा नहीं की.

Also see
article imageएनडीटीवी: ओपन ऑफर 294 पर रॉय दंपती को मिले 342 रुपए प्रति शेयर
article imageअडानी का एनडीटीवी: प्रणय रॉय के बिना क्या है एनडीटीवी?
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like