हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
इस हफ्ते चर्चा का मुख्य विषय हरियाणा के भिवानी में दो मुस्लिम युवकों की हत्या रही. इसके अलावा चर्चा में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की गिरफ्तारी, गृहमंत्रालय द्वारा सीबीआई को मनीष सिसोदिया की जांच करने की अनुमति, शिंदे गुट को मिला शिवसेना नाम और चुनाव चिन्ह, नागालैंड और मेघालय में होने वाले चुनावों, जावेद अख्तर द्वारा आतंकवाद पर पाकिस्तान की आलोचना, भयंकर संकट में घिरी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, जोशीमठ में मौजूदा हालात और दिल्ली में मेयर चुनाव के बाद से चल रहे हंगामे आदि सुर्खियों का भी ज़िक्र हुआ.
बतौर मेहमान इस चर्चा में पत्रकार व फैक्टचेकर विपुल कुमार, वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी और न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन जुड़े. संचालन अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल चर्चा की शुरुआत में सवाल करते हैं, "हरियाणा पुलिस ने राजस्थान पुलिस पर एफआईआर दर्ज कर ली है कि राजस्थान पुलिस ने आरोपियों में से एक की पत्नी के साथ मारपीट की. ये जो एक स्टेट बनाम स्टेट बनाकर इस तरह के मामलों में देखा जा रहा है, एक स्टेट की पुलिस को दूसरे के सामने खड़ा कर दिया गया है, क्या ये एक तरह की अराजक स्थिति बना रहा है?"
इस पर जवाब देते हुए हृदयेश कहते हैं, "जब कभी भी मुझे पत्रकारिता के छात्रों को पढ़ाने के लिए बुलाया जाता है, तो मैं उन्हें कहता हूं कि एक पत्रकार का काम होता है कि वो समझे, संविधान कैसे काम करता है. यही बात बाकी नागरिकों के लिए भी लागू होती है. भारत एक राज्यों का समूह है तो अगर किसी आदमी पर एक राज्य में अपराधिक प्राथमिकी दर्ज हो रही है, तो दूसरे राज्य की पुलिस, चाहे वहां किसी भी दल की सरकार हो, उसका दायित्व है कि वह जांच में सहयोग करे."
विपुल अपनी बात रखते हुए कहते हैं, "इसमें सिर्फ हरियाणा पुलिस अपराधियों के साथ नहीं है. आप मोनू के विडियोज जाकर देखेंगे तो एक में उसके साथ यूपी पुलिस भी है. उसने खुद कैप्शन भी लिखा है कि आज हमारे साथ उत्तर प्रदेश पुलिस रही और गौतस्करों पर छापा किया गया. वो कितने ही हिंसात्मक वीडियो बनाता है, जिन्हें लाखों लोग देखते हैं. एक वीडियो है जिसे करीब साढ़े चार मिलियन लोगों ने देखा है, उसमें उसमें फायरिंग और चेसिंग भी हो रही है."
अपनी बात रखते हुए शार्दूल कहते हैं "हरियाणा सरकार ने ही गौरक्षक मंडली बनाई हुई है. इन्हें खुली छूट है कथित गौतस्करों को पकड़ने की. अगर ये राज्य की मदद भी कर रहे हैं तो क्या कोई नियमावली है जिससे तहत ये काम करते हैं? अगर ये एक हाथ दूर से स्टेट का हिस्सा भी बन रहे हैं, तो क्या इनके काम करने का तरीका निश्चित है? और इनकी योग्यता क्या है? क्या बस बजरंग दल का हिस्सा भर होना ही इनकी योग्यता है? और एक बात ये कि पुलिस चाहे तो इन्हें बिल्कुल पकड़ सकती है, लेकिन इन लोगों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है."
इसके अलावा चर्चा में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और भाजपा के अन्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ हो रही कार्यवाहियों और पाकिस्तान में जावेद अख्तर के बयान पर भी बातचीत हुई. सुनिए पूरी चर्चा.
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ट्रांसक्राइब - वंशज कुमार यादव
प्रोड्यूसर - चंचल गुप्ता
एडिटिंग - उमराव सिंह