हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
इस हफ्ते चर्चा का मुख्य विषय तुर्की में भूकंप से मची तबाही व अडाणी पर लगे आरोपों पर संसद में मचा हंगामा रहे. इसके अलावा सुर्खियों में देश भर के न्यायालयों में लंबित मामलों, उच्चतम न्यायालय में नए न्यायाधीशों की नियुक्ति, सरकार द्वारा 2018 से अब तक 178 चैनलों पर लगे प्रतिबंध, महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने पर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सुप्रीम कोर्ट में टिप्पणी, रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर फिर बढ़ाए जाने, जामिया दंगा मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने खटखटाया उच्च न्यायालय का दरवाजा, सरकारी विभाग का 14 फरवरी को गाय आलिंगन दिवस मनाने का आदेश वापस, असम में नई तेल पाइप लाइन से वनों व वन्य जीवों को क्षति, पत्रकार राणा अय्यूब की उच्चतम न्यायालय याचिका खारिज और किसी भी महिला कैदी की विर्जिनिटी जांच करना असंवैधानिक आदि का जिक्र हुआ.
चर्चा के इस अंक में हमारे साथ बतौर मेहमान वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी, तुर्की से वरिष्ठ पत्रकार इफ्तिखार गिलानी और न्यूज़लॉन्ड्री के सह - संपादक शार्दूल कात्यायन जुड़े. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल तुर्की के हालात पर बात करते हुए इफ्तिखार से पूछते हैं, “बताया जाता है कि भूकंप का पहला झटका रिक्टर पैमाने पर 7.8 मैग्नीट्यूड का था और इसका केंद्र गज़ियान्तेप शहर से 20-22 किलोमीटर दूर था, और उस इलाके के आस-पास जैसा हम आ रही खबरों और तस्वीरों से समझ पा रहे हैं कि बड़े पैमाने पर तबाही हुई है और उसके बाद आया आफ्टर शॉक भी लगभग उसी तीव्रता का था. क्या आप हमें बता सकते हैं वहां के ताजा हालात क्या हैं? और किस तरह से सरकार इस तबाही से निपटने की कोशिश कर रही है?”
अतुल के सवाल पर इफ्तिखार कहते हैं कि, “1934 के बाद पहली बार इस तरह की तबाही यहां आई है. मैंने अपने पिछले 30 साल के करियर के दौरान तीन भूकंपों को कवर किया है. पहला 1993 में लातूर में किया था, फिर भुज में, उसके बाद कश्मीर में. कश्मीर में 100 किलोमीटर का इलाका भूकंप की जद में था तो वहीं लातूर में उसके बगल का जिला उस्मानाबाद, इसी तरह गुजरात में भुज और कच्छ जद में थे. यहां भले ही कश्मीर के 86,000 लोगों की मौत की तुलना में कम मौतें हों, लेकिन भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो 11 प्रांत तुर्की के और 5 प्रांत सीरिया के इस तरह प्रभावित हुए हैं जिसे सर्वनाश कह सकते हैं आप.”
अतुल के सवाल पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए आलोक जोशी कहते हैं, “जैसा कि इफ्तिखार साहब कह रहे हैं मुझे भी कई भूकंप याद हैं. वह भूकंप जिसमें चेर्नोबिल रिएक्टर का हादसा हुआ था वह बहुत बड़ा था. वह भारत से लेकर अफगानिस्तान और रूस तक था. उसमें बहुत नुकसान हुआ था खास तौर पर बिहार में. लेकिन इस वक्त खास ध्यान देने वाली बात है कि भारत के बड़े अखबारों के पहले पन्ने पर टॉप हेडलाइन ये भूकंप बना, इसकी क्या वजह हो सकती है सोचना चाहिए.”
इस विषय पर अपने विचार रखते हुए शार्दूल कहते हैं, “दूसरा आफ्टर शॉक था वह 7.5 था. सामान्यतः अधिकतर आफ्टर शॉक कम अंतराल के लिए आते हैं और उनका केंद्र जमीन में ज्यादा नीचे होता है. लेकिन यहां जो पहला शॉक था उसका केंद्र 10 या 11 किलोमीटर नीचे था तो वहीं पहले आफ्टर शॉक का केंद्र मात्र 6 किलोमीटर नीचे था और उसका असर काफी देर तक रहा.”
इसके अलावा संसद में हुए हंगामे पर भी विस्तार से बात हुई. सुनिए पूरी चर्चा.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:13:32 - इंट्रो हेडलाइंस व जरूरी सूचनाएं
00:13:32 - 00:36:38 - तुर्की में भूकंप से मची तबाही
00:36:38 - 00:46:51 - सबस्क्राइबर्स के मेल
00:46:51 - 01:14:45 - अडानी पर संसद में हंगामा
01:14:46 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
आलोक जोशी
जॉर्ज ऑरवेल की किताब - 1984
अमेरिकी ड्रामा सीरीज - पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट
नेटफ्लिक्स की फिल्म - वध
इफ्तिखार गिलानी
स्टीफेन किंजर की किताब - क्रिसेंट एंड स्टार तुर्की बिटवीन टू वर्ल्ड्स
अनुराधा भसीन की किताब - अ डिस्मेंटल्ड स्टेट
शार्दूल कात्यायन
NPR पर तुर्की भूकंप संबंधी रिपोर्ट- अ टर्किश कैसल दैट विथस्टुड सेंचुरीज़ ऑफ इनवेज़न इज़ डैमेज्ड इन द अर्थक्वेक
नेचर.काम पर गायत्री वैद्यनाथन का लेख - हाउ इंडिया इज बैटलिंग डेडली रेन
अतुल चौरसिया
बागेश्वर बाबा पर प्रतीक गोयल की रिपोर्ट
हिलाल अहमद की किताब - अल्लाह नाम की सियासत
ट्रांसक्राइब- वंशज यादव
प्रोड्यूसर - चंचल गुप्ता
एडिटर - उमराव सिंह
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