भाजपा के पुजारियों की मांग: “मौलानाओं की तरह हमें भी मिले मानदेय”

इस प्रदर्शन में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी भी शामिल हुए. जिन्होंने कहा कि गैर भाजपा सरकारें हिंदुओं के साथ सौतेला व्यवहार कर रही हैं.

WrittenBy:अनमोल प्रितम
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दिल्ली भाजपा मंदिर प्रकोष्ठ ने पुजारियों के वेतन की मांग को लेकर 7 फरवरी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर धरना दिया. मंदिर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष करनैल सिंह ने कहा, "हमारी मुख्य मांग है कि पुजारियों को भी वेतन दिया जाए. जब केजरीवाल सरकार मौलवियों को वेतन दे सकती है तो पुजारियों को क्यों नहीं."

इस प्रदर्शन में करीब 500 लोग शामिल हुए. इस मौके पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी, सांसद रमेश बिधूड़ी, दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा भी मौजूद रहे. 

बता दें कि इस विवाद की वजह साल 2019 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के द्वारा लिया गया एक फैसला है. इस फैसले में इमामों का वेतन 10 हजार से बढ़ाकर 18 हजार और सहायक का वेतन 9 हजार से बढ़ाकर 16 हजार कर दिया गया. 

प्रदर्शन में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी भी शामिल हुए. उन्होंने कहा, “भाजपा शासित राज्यों में मौलानाओं को वेतन नहीं दिया जाता है. बल्कि वह पैसा जनता के विकास पर खर्च किया जाता है. जबकि केजरीवाल जनता के पैसों से मौलवियों को सैलरी देते हैं, और हिंदुओं के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं.”

जब हमने बिधूड़ी के दावे की पड़ताल की तो उनका यह दावा गलत साबित हुआ. ऐसा नहीं है कि केवल दिल्ली में ही मस्जिद के इमामों को वेतन दिया जाता है, बल्कि देश के कई राज्यों में इमामों को वेतन मिल रहा है जिनमें मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक जैसे भाजपा शासित राज्य भी शामिल हैं. इसके अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और आंशिक रूप से उत्तर प्रदेश में यह सुविधा इमामों को मिल रही है.

यहां यह जान लेना जरूरी है कि सरकार प्रत्यक्ष रूप से इमामों को वेतन नहीं देती, बल्कि सरकार वक्फ बोर्ड को संपत्ति संरक्षण के लिए अनुदान देती है. वक्फ बोर्ड इस अनुदान को पांच मदों जैसे इमामों को वेतन, विधवाओं को पेंशन, संपतियों के रखरखाव, वक्फ के विकास और स्टाफ के वेतन पर खर्च करता है.  

इसके अलावा वक्फ बोर्ड  की आय मस्जिदों के जमीन पर बनी दुकानों के किराए, दरगाह और खानकाह के जरिए होती है. जिसका इस्तेमाल भी इमामों के वेतन और संपत्तियों के प्रबंधन पर होता है.

इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं और युवा भी शामिल हुए. हैरानी की बात है कि इनमें से ज्यादातर लोगों को यह नहीं मालूम था कि प्रदर्शन का मुद्दा क्या है.

वहीं प्रदर्शन में शामिल कुछ पुजारी बेहद नाराज दिखे. मंडावली के श्री राम मंदिर के पुजारी मनीष त्रिपाठी कहते हैं, “हमें खाने और 500 रुपए दक्षिणा का निमंत्रण देकर बुलाया गया था, लेकिन जब हम यहां पहुंचे तो पता चला कि यहां तो धरना चल रहा है. हमें दक्षिणा भी नहीं दी गई.”

वहीं प्रदर्शन में शामिल एक अन्य पुजारी पंडित देवी दीक्षित गुस्से में कहते हैं, “यह लोग केवल ब्राह्मणों के नाम पर राजनीति करते हैं. हमें झूठ बोलकर यहां लाया गया. खाना भी बासी दिया गया.”

देखें पूरा वीडियो-

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