दिल्ली के आंदोलनजीवी: यूट्यूबर्स और कथित एक्टिविस्टों की सांठगांठ का खेल

इस नए गठजोड़ का नतीजा है कि पहले जो नफरती संदेश व्हाट्सएप के जरिए लोगों तक पहुंचते थे, वह अब न्यूज़ के फॉर्मेट में, यूट्यूब चैनलों के जरिए लोगों तक पहुंच रहे हैं.

WrittenBy:अनमोल प्रितम
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राजधानी दिल्ली में पेशेवर आंदोलनकारियों के दो ठिकाने हैं. पहला जंतर-मंतर, दूसरा राजीव चौक मेट्रो का गेट नंबर 6. जंतर-मंतर पर आपको कई सरकार विरोधी चेहरे मिल जाएंगे जो खुद को आंदोलनकारी कहलाना पसंद करते हैं. साथ ही कई यूट्यूबर्स का जमावड़ा भी यहां देखने को मिलेगा.

ऐसी ही कुछ स्थिति राजीव चौक पर भी देखने को मिल जाएगी. यहां पर कथित कट्टर हिंदुत्ववादी, सरकार के समर्थक और यूट्यूबर आपको हर शाम बहस करते दिख जाएंगे.

इन दोनों जगहों की खूबी है कि यहां पर रोजाना एक ही चेहरे नजर आते हैं. चाहे प्रदर्शन कोई भी हो, मुद्दा कोई भी हो. जहां राजीव चौक पर आंदोलनकारी किसी फिल्म का बायकॉट करते हैं, तो वहीं जंतर-मंतर के आंदोलनकारी उस फिल्म के समर्थन में जुट जाते हैं. और इनके पीछे यूट्यूबर्स का जमावड़ा होता है.

यह सभी कथित आंदोलनकारी यूट्यूब पर एक ऐसा दोहरापन बनाते हैं जिससे विमर्श हिंदू-मुस्लिम मुद्दों तक ही सीमित रह जाता है. वैसे ही जैसे टीवी पर होने वाली ‘डिबेट’ के पैनल में तथाकथित मौलानाओं और संतों को बैठाकर जबरन दो पक्ष खड़े किए जाते हैं. फर्क बस इतना है कि वहां चैनल एक होता है और यहां कई यूट्यूबर्स. यह रिपोर्ट ऐसे ही पेशेवर आंदोलनकारियों और उनके पीछे छुपे चेहरों की पड़ताल करती है.

2020 में शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान सोशल मीडिया ने एक बड़ी भूमिका निभाई. जहां एक तरफ मेनस्ट्रीम मीडिया से किसानों को बदनाम करने के नए-नए एजेंडे चलाए जा रहे थे, तो वहीं सोशल मीडिया किसानों की आवाज बनकर सामने आया.

आंदोलन के दौरान अपनी हाजिर जवाबी और बयानों के कारण पंकज श्रीवास्तव तिलकधारी, मोहित शर्मा, पूनम पंडित, हरिंदर ताउ, बिल्लू ताऊ जैसे लोग सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए. यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर इनको खूब देखा और सराहा गया. यह लोग नियमित तौर पर किसान आंदोलन में पहुंचते और वहां पर मौजूद यूट्यूबर्स को बयान देते थे. किसान आंदोलन के दौरान इन लोगों ने काफी शोहरत कमाई. आंदोलन खत्म होने के बाद पूनम पंडित ने राजनीति की राह पकड़ी और यूपी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर बुलंदशहर की स्याना सीट से मैदान में उतरीं. हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

हरिंदर ताऊ ने सपा के पक्ष में प्रचार किया. लेकिन मोहित शर्मा और पंकज श्रीवास्तव ने आंदोलनों को पेशे की तरह अख्तियार किया और प्रोफेशनल आंदोलनकारी बन गए. जिसका नतीजा यह हुआ कि कभी बंगला साहिब में लंगर खाकर रात काट देने वाले पंकज श्रीवास्तव के पास आज अपनी खुद की चार पहिया गाड़ी, ड्राइवर और दिल्ली में शानदार फ्लैट है.

बकौल पंकज श्रीवास्तव किसान आंदोलन के बाद से वह जंतर मंतर के करीब 200 प्रदर्शनों में शामिल हो चुके हैं. मोहित शर्मा भी 150 से अधिक प्रदर्शनों में शामिल हुए. पंकज श्रीवास्तव और मोहित शर्मा कहते हैं कि वह छात्रों, मजदूरों, किसानों और आम जनता की आवाज उठाने के लिए इन प्रदर्शनों में शामिल होते हैं. हालांकि हमारी पड़ताल में उसकी हकीकत कुछ और ही निकल कर आई.

दरअसल इनका प्रदर्शनों में शामिल होने का मकसद यूट्यूबर्स को क्लिकबेट यानी लोगों का ध्यान खींचने वाला कंटेंट उपलब्ध कराना होता है. मसलन प्रदर्शन चल रहा है सफाई कर्मचारियों का, लेकिन ये लोग ज्ञानवापी मुद्दे पर बात कर रहे होते हैं. क्लिकबेट की यह लीला, यूट्यूबर्स और पेशेवर आंदोलनकारियों की सांठगांठ का नतीजा है.

आप लोग हर प्रदर्शन में हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर ही क्यों बातें करते हैं? इस सवाल के जवाब में पंकज श्रीवास्तव कहते हैं, “यूट्यूब वाले यही चाहते हैं और लोगों को भी यही सब देखना पसंद है, इसलिए वह हमसे यही बुलवाते हैं.”

आंदोलनों से मिली प्रसिद्धि के दम पर यूट्यूबर्स से सांठगांठ कर यह आंदोलनकारी पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों में भी पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे. लेकिन पंकज श्रीवास्तव सबसे एक कदम और आगे निकल गए. वह अपने साथ 18 अन्य यूट्यूबर्स को लेकर हाल ही में सम्पन्न हुए गुजरात चुनावों में उतर गए थे.

इसी दौरान कनॉट प्लेस यानी राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 6 पर, पालिका बाजार के ठीक सामने की जगह कट्टर हिंदुत्ववादियों का गढ़ बनती गई. दिल्ली का दीपक, खुशबू पांडे, पवन राय, रवि दुबे राष्ट्रवादी, मनोहर जैसे कई नाम हैं, जो नियमित तौर पर यहां देखे जा सकते हैं. इसी लीक के यूट्यूब चैनल हैं द न्यूज़ पेपर, ओ न्यूज़ हिंदी, हेडलाइंस इंडिया, टीएनएन वर्ल्ड आदि. यह चैनल मुस्लिम विरोधी कंटेंट की वजह से काफी देखे जाते हैं.

पंकज श्रीवास्तव उर्फ तिलकधारी

पंकज को जंतर-मंतर के आंदोलनकारियों का रणनीतिक गुरु भी कहा जाता है. 38 वर्षीय पंकज मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं. पंकज ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है. वो बताते हैं कि पारिवारिक परिस्थिति ठीक न होने के कारण उन्होंने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी.

साल 1998 में पंकज बिहार से काम की तलाश में दिल्ली आए और पहाड़गंज में काम करने लगे. कुछ साल काम करने के बाद उन्होंने पहाड़गंज में कारगो का बिजनेस शुरू किया लेकिन असफल रहे. तब से छुटपुट काम करके आजीविका चलाते रहे. दिल्ली में एंटी सीएए आंदोलन के दौरान वह पहली बार किसी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. यहां से उनको थोड़ा बहुत पहचाना जाने लगा था. इसके बाद किसान आंदोलन ने उनको एक नई पहचान दी. पंकज की बोलने की शैली, वेशभूषा, पीएम मोदी और मीडिया पर अतिवादी टिप्पणियों से उनके वीडियो, लाखों लोगों द्वारा देखे जाने लगे. माथे पर तिलक लगाने के कारण पंकज का नाम तिलकधारी पड़ गया.

पंकज पहली बार चुनाव प्रचार के लिए यूट्यूबर्स के साथ पश्चिम बंगाल गए. इस दौरान पब्लिक रिएक्शन बैंक (पीआरबी) नाम से यूट्यूब चैनल चलाने वाले दानिश अंसार ने बंगाल के एक होटल से पंकज का इंटरव्यू भी लिया. बता दें कि दानिश के मुताबिक वह पंकज के साथ ही दिल्ली से बंगाल गए और साथ ही रहे.

पंकज श्रीवास्तव

इस इंटरव्यू को यूट्यूब पर 10 लाख से ज्यादा बार देखा गया. बंगाल चुनाव के दौरान पंकज ने करीब डेढ़ महीने तक अलग-अलग इलाकों में ममता के पक्ष में प्रचार किया. पंकज खुद ही बताते हैं, "मैंने बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और यूपी में अखिलेश यादव के पक्ष में प्रचार किया."

पंकज यह नहीं बताते कि उनकी बंगाल और यूपी यात्रा के दौरान, उनके होटलों में रहने और खाने-पीने के खर्च कौन वहन करता था.

उनके साथ पश्चिम बंगाल गए एक अन्य यूट्यूबर नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "पंकज और मोहित शर्मा, दोनों को हम यूट्यूबर ही लेकर गए थे. इनके रहने, खाने और आने-जाने का इंतजाम भी हमने ही किया था. हम यूट्यूबरों, और पंकज व मोहित शर्मा के बीच झगड़ा भी हो गया था. इसकी वजह थी कि ये दोनों हमसे रुपयों की मांग करने लगे थे.”

यूट्यूबर्स की कमाई देख पंकज के दिमाग में भी यूट्यूब चैनल खोलने का लालच आ गया और उन्होंने सितंबर 2021 में स्पीक इंडिया न्यूज़ नाम से पहला चैनल शुरू किया. इसके बाद सितंबर 2022 में माटी के लाल नाम से एक दूसरे चैनल की शुरुआत की. दोनों चैनलों के क्रमशः 8.92 हज़ार और 16.2 हज़ार सब्सक्राइबर्स हैं. इस दौरान पंकज जंतर-मंतर पर विभिन्न आंदोलनों में शामिल होते रहे.

भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत में पंकज अपने साथ आठ यूट्यूबर्स को लेकर कन्याकुमारी पहुंचे. इनमें टाइम्स वर्ल्ड, होप हिंदुस्तान, सोशल टीवी हिंदी, नेशनल दस्तक, R24 न्यूज़ शामिल हैं.

यहां ध्यान देने वाली बात है कि पहले यूट्यूबर पंकज को लेकर जाते थे, लेकिन अब पंकज यूट्यूबर्स को अपने खर्चे पर लेकर जाने लगे.

सोशल टीवी हिंदी नाम से यूट्यूब चैनल चलाने वाले मोहम्मद फैसल बताते हैं, "भारत जोड़ो यात्रा में जाने से पहले पंकज हमारे पास आए और उन्होंने कहा कि मेरी इज्जत का सवाल है, सब लोग चलिए. जब हम लोग उनके साथ कन्याकुमारी पहुंचे तो उनका व्यवहार बदल गया. कुछ दिन पहले तक जो पंकज यूट्यूबरों से खाना खाते थे, वह आज यूट्यूबरों को गालियां देने लगे और पैसे का रोब जमाने लगे. ऐसा लग रहा था जैसे पंकज के पास इतना पैसा आ गया है कि वह पागल हो गया है."

फैसल आगे कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा में पंकज के व्यवहार से दुखी होकर कुछ यूट्यूबर वापस लौट आए. इसके बाद पंकज ने यूट्यूबर्स की एक नई टीम बनाई और उनको लेकर गुजरात चुनावों में मोदी के खिलाफ प्रचार करने अहमदाबाद पहुंच गए. इस जमात में न्यूज़ प्लेटफार्म, स्वराज टाइम्स, एमएसओ न्यूज़, स्वराज टाइम्स, लोकतंत्र टीवी, द हिंट, पब्लिक दस्तक, माटी के लाल, इंडिया स्पीक्स न्यूज़, आवाज चैनल, टीएचजी न्यूज़, बीबी न्यूज़ आदी यूट्यूबर शामिल थे. इनमें से कई चैनलों के 50 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं जबकि कुछ के बेहद कम हैं.

गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान, उपरोक्त यूट्यूबर्स के अलावा पंकज के साथ विजय शर्मा बाल योगी भी मौजूद थे. इस किरदार से थोड़ा आगे मिलेंगे.

द हिंट नाम से यूट्यूब चैनल चला रहे पवन कुमार ने बताया कि गुजरात चुनावों के दौरान, पंकज दिल्ली से दो गाड़ियों में 18 यूट्यूबर्स और आंदोलनकारियों को लेकर गए थे.

वे बताते हैं, "शुरुआत में दिल्ली से 18 लोग गुजरात गए थे, लेकिन बाद में कुल 25 लोग हो गए. सभी 25 लोगों के रहने और खाने का खर्चा एक दिन का करीब 50-60 हजार रुपए होता था, जो पंकज देते थे. इसके अलावा गाड़ी के पेट्रोल का 10 हजार और ड्राइवर का खर्चा भी वही देते थे."

उनके मुताबिक यह सिलसिला एक महीने से ज्यादा समय तक जारी रहा.

पंकज श्रीवास्तव ने इन सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया. उन्होंने बताया, "मैंने कभी किसी से कोई चंदा नहीं लिया. न ही गलत तरीके से कोई पैसा कमाया है.”

पंकज के साथी आंदोलनकारी बालयोगी विजय शर्मा उनके बारे में कहते हैं, "वह मेरे रणनीतिक गुरु हैं. हमें कब, किस चीज का विरोध करना है और क्या लाइन लेनी है, यह सब वही तय करते हैं."

आपकी आमदनी का सोर्स क्या है? इस पर पंकज कहते हैं, "मैं आज भी बेरोजगार हूं. मेरे पास आमदनी का कोई निश्चित साधन नहीं है."

गाड़ी और घर के सवाल पर पंकज ठिठक जाते हैं और कहते हैं, "यह सब मेरा नहीं है."

पंडित विजय शर्मा उर्फ बाल योगी

पंडित विजय शर्मा इन पेशेवर आंदोलनकारियों की जमात के सबसे नए सदस्य हैं. शर्मा गले और हाथों में रुद्राक्ष, तन पर भगवा चादर और तिलक लगाते हैं. बोलने के अंदाज और नाटकीय प्रस्तुति के कारण शर्मा यूट्यूब पर बाल योगी नाम से मशहूर हैं.

इन्होंने आंदोलन का रास्ता लॉकडाउन के बाद चुना. यह दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने आए थे लेकिन आज आंदोलनकारी बन गए हैं. मूल रूप से प्रयागराज के रहने वाले विजय शर्मा 2018 में दिल्ली आए थे. उन्होंने ध्येय आईएएस में दाखिला भी लिया लेकिन यूपीएससी में सफलता हाथ नहीं लगने के बाद विजय शर्मा ने आंदोलन को पेशा बना लिया.

पंकज श्रीवास्तव के कहने पर विजय शर्मा गुजरात चुनावों में भी गए. वहां उन्होंने एक महीने से ज़्यादा समय तक भाजपा के खिलाफ प्रचार किया.

यूट्यूब पर उनके वीडियो के थंबनेल ऐसे दिए जाते हैं, जिससे दर्शकों को यह लगता है कि कोई सचमुच का योगी बोल रहा है. लेकिन सच्चाई इससे उलट है.

अपनी आर्थिक स्थिति बताते हुए शर्मा भावुक हो जाते हैं और कहते हैं, "यूट्यूबर हमारी वजह से लाखों कमाते हैं, लेकिन हमको एक भी रुपया नहीं देते. यहां तक कि त्योहारों पर भी कुछ नहीं देते. मैं बहुत मिन्नत करता हूं तब जाके कोई हजार-दो हजार रुपए देता है."

दिल्ली में शर्मा का आंदोलनों में शामिल होने का मकसद नाम कमाना है. ताकि भविष्य में वह लोकसभा चुनाव लड़ सकें. वह कहते हैं, "मेरा मकसद मनोज तिवारी के खिलाफ चुनाव लड़ना है, और जीतकर संसद में जाना है."

मोहित शर्मा

22 वर्षीय मोहित शर्मा सबसे कम उम्र के आंदोलनकारी हैं. मोहित शर्मा को भी किसान आंदोलन के दौरान ही पहचान मिली. इसी पहचान का इस्तेमाल करते हुए मोहित ने भी पेशेवर आंदोलनकारी बनने का फैसला लिया और किसान आंदोलन खत्म होने के बाद जंतर-मंतर पर नियमित तौर पर प्रदर्शनों में शामिल होते रहे. 

मोहित बताते हैं पहले वह पीआरबी यूट्यूब चैनल के एडिटर दानिश अंसार के करीबी थे. दानिश ही मोहित शर्मा को बंगाल और उत्तर प्रदेश के चुनावों में लेकर गए. इतना ही नहीं मोहित दानिश के साथ उनकी गाड़ी में घूमा करते थे, साथ में खाते पीते और एक ही होटल में रहते थे. इनके बीच समझौता था कि दानिश को मोहित से कंटेंट मिलता था, और मोहित को पापुलैरिटी.

आमदनी के सवाल पर मोहित शर्मा कहते हैं, "मैं मेरठ से एलएलबी की पढ़ाई कर रहा हूं. इसलिए दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में इंटर्नशिप भी करता हूं. मेरी पहचान की वजह से मुझे बहुत सारे केस मिलते हैं, जिन्हें मैं अपने सीनियर को ट्रांसफर कर देता हूं. जिसके बदले मेरे सीनियर मुझे कुछ कमीशन देते हैं."

नियमित तौर पर आंदोलनों में शामिल होने के सवाल पर मोहित कहते हैं कि “अब मैं थोड़ा कम जाने लगा हूं, क्योंकि मेरा मन एक्टिविज्म से ऊब रहा है. मैं सोच रहा हूं कि अपनी पढ़ाई पूरी करूं और वकालत करूं.”

खुशबू पांडे उर्फ हिंदू शेरनी

20 जुलाई, 2022 को, खबर इंडिया यूट्यूब चैनल पर खुशबू पांडे का एक वीडियो रिलीज़ हुआ. इस वीडियो में वो मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाते हुए कहती हैं, "यह जो बुर्का पहनकर आप निकलती हो ताकि आपका चेहरा कोई नहीं देख सकता. बाकी सब कुछ पूरा खानदान देख ले. मतलब आपको (मुसलमानों को) यह नहीं पता कि आपकी बहन कौन है, चचेरी बहन कौन है, आपकी बीवी कौन है, और आप हमें संस्कृति बताओगे?"

इस वीडियो को अब तक 20 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है. इस वीडियो का थंबनेल कहता है - "ज्ञानवापी पर भिड़ीं दो लड़कियां..तो बीच सड़क पर हो गई जंग..किसके बाप का ज्ञानवापी?"

खबर इंडिया उन हिंदुत्ववादी चैनलों में से एक है, जिसे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इंटरव्यू दिया था. खबर इंडिया के यूट्यूब पर कुल 8 लाख 30 हजार सब्सक्राइबर्स हैं.

21 वर्षीय खुशबू पांडे मूलरूप से बिहार के जमुई की रहने वाली हैं. पालिका बाजार से मिली प्रसिद्धि के कारण उनके प्रशंसक उन्हें ‘हिंदू शेरनी’ के नाम से बुलाते हैं.

वह कहती हैं, "मेरी बचपन से इच्छा थी कि लोग मुझे जानें, मुझे पहचाने. आज लाखों लोग मुझे जानते हैं, मुझे हिंदू शेरनी कहते हैं. यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है."

वह बताती हैं कि राजनीति में उनके आदर्श स्मृति ईरानी और कपिल मिश्रा हैं. हालांकि वह किसी पार्टी से नहीं जुड़ी हैं. वह कहती हैं, “मैं भाजपा से राजनीतिक रूप से इसलिए नहीं जुड़ी क्योंकि मैं हिंदुत्व के जिन विचारों को आजाद होकर आगे बढ़ाती हूं, वह पार्टी में रहकर संभव नहीं है. मैं हिंदुत्व के मुद्दे पर काम करती हूं.”

पालिका बाजार में नियमित आना और हिंदुत्व के मुद्दे को उठाना खुशबू अपना धर्म समझती हैं. वह मानती हैं कि भारत को वेदों की ओर लौटना चाहिए और पुरानी सनातन संस्कृति अपनानी चाहिए.

बेरोजगारी और महंगाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब हमारी सनातन संस्कृति थी तब न तो कोई बेरोजगारी थी न महंगाई थी. सारी समस्याओं का समाधान सनातन धर्म है. इसके अलावा वह बेरोजगारी और महंगाई के लिए अल्पसंख्यकों को जिम्मेदार मानती हैं. वे कहती हैं, "जब अल्लाह के नाम पर बच्चे पर बच्चे पैदा किए जा रहे हैं, तो बेरोजगारी बढ़ेगी ही."

खुशबू पांडे यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली आईं थीं. उनका कहना है कि वह पढ़ाई और धर्म, दोनों की लड़ाई साथ-साथ लड़ रही हैं.

पालिका बाजार: कट्टर हिंदुत्ववादियों का अड्डा

जैसे जंतर-मंतर पर पेशेवर आंदोलनकारियों का जमावड़ा रहता है, वैसे ही राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 6 के पास पालिका बाजार के ठीक सामने भी कथित कट्टर हिंदुत्ववादी यूट्यूबर और एक्टिविस्टों का ग्रुप सक्रिय रहता है. 20-25 लोगों के इस समूह में यूट्यूबर और एक्टिविस्ट, दोनों ही शामिल हैं. 

खबर इंडिया, प्यारा हिंदुस्तान, यूथ मीडिया टीवी, ओ न्यूज़ हिंदी, द न्यूज़ पेपर, टीएनएन वर्ल्ड, हम हैं रक्षक जैसे दर्जन भर यूट्यूब चैनल शाम होते-होते गेट नंबर 6 पर पहुंच जाते हैं. वहीं खुशबू पांडे, दिल्ली का दीपक, पवन राय, रवि दुबे राष्ट्रवादी, मनोहर भैया, अवनीश जैसे दर्जनभर एक्टिविस्ट भी यहां एकत्रित हो जाते हैं. यह एक्टिविस्ट अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरती बयानबाजी, मुस्लिम विरोधी बातें और अति राष्ट्रवादी विचार प्रकट कर इन यूट्यूब चैनलों के जरिए लाखों लोगों तक पहुंच रहे हैं. इन यूट्यूब चैनलों पर काम करने वाले ज्यादातर रिपोर्टर युवा हैं. इन युवाओं की खबरों को वायरल करने की कला, दर्शकों की नज़रें खींचने वाले थंबनेल और कट्टरपंथी विचारों को न्यूज़ की तरह प्रस्तुत करने की क्षमता, मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा फैलाए जा रही घृणा से कहीं ज्यादा खतरनाक है.

यह इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि पहले जो घृणास्पद मैसेज व्हाट्सएप के जरिए लोगों तक पहुंचते थे, अब वह न्यूज़ के फॉर्मेट में लोगों तक पहुंच रहे हैं. 

इस नफरती ग्रुप की कार्यशैली और इसके पीछे छुपे चेहरों का पता लगाने के लिए हमने पांच कथित एक्टिविस्टों (नयन मार्कन, रामेश्वर भैया, सुमन पांडे, पवन राय और खुशबू पांडे) से संपर्क किया और उनसे बात करने की कोशिश की.

पहले तो सबने हामी भर दी, लेकिन बाद में ज्यादातर लोगों ने यह कहकर मना कर दिया कि हम न्यूजलॉन्ड्री से बात नहीं करेंगे. अंत में पवन राय और खुशबू पांडे इंटरव्यू के लिए तैयार हुए. 

26 दिसंबर की शाम को करीब 6 बजे राजीव चौक मेट्रो के गेट नंबर 6 पर हमने खुशबू पांडे और पवन राय से बात की. इस दौरान वहां कुछ लोग खुशबू के पैर छू रहे थे. बता दें कि खुशबू की उम्र महज 22 साल है. उन्हें लोग ‘हिंदू शेरनी’ कहकर संबोधित करते हैं.  

न्यूज़लॉन्ड्री से बात करने के बाद खुशबू पांडे "हम हैं रक्षक" यूट्यूब चैनल को बाइट देने लगीं. इस दौरान हमने खुशबू पांडे की मर्जी से उनकी भी फोटो खींचे. पवन राय के भी फोटो खींचे. लेकिन तभी मनोहर भैया नाम के एक शख्स ने मेरा हाथ पकड़ लिया और फोन छीन लिया. उनका सारा ग्रुप इकट्ठा हो गया जिसमें कुल 25-30 लोग थे. कुछ लोगों ने शराब भी पी रखी थी और वे गालियां भी देने लगे. इन कथित ‘भैया’ ने हमारे फोटो खींचने पर आपत्ति जताई और मनोहर के कहने पर खुशबू ने भी हमें अपने फोटो डिलीट करने के लिए कहा.

मैंने देखा कि वहां मौजूद यूट्यूबर और एक्टिविस्ट, इन ‘मनोहर भैया’ के पैर छू रहे थे. 

इंडिया फाउंडेशन और इस ग्रुप के नियमित सदस्य पवन राय ने हमें खास बातचीत में बताया, "मनोहर भैया ही हम लोगों के रणनीतिक गुरु हैं. यह जिसको चाहते हैं उस यूट्यूब चैनल को इंटरव्यू दिया जाता है. यहां मौजूद सबकी सुरक्षा और किसको क्या करना है इस बात का दिशा निर्देश भी मनोहर भैया ही देते हैं." 

पवन राय ने हमें यह भी बताया कि किसी फिल्म का बायकॉट करना हो या किसी मुद्दे पर कोई स्टैंड लेना हो, यह सब मनोहर ही तय करते हैं. लेकिन मनोहर को भी ऊपर से आदेश आता है. मनोहर भैया को आदेश कौन देता है, इस सवाल को पवन अनसुना कर देते हैं.

पवन ने हमें बताया कि वह शुरू में मौज-मस्ती के लिए यहां आ जाते थे, लेकिन फिलहाल वह सक्रिय रूप से हिंदुत्व के लिए काम कर रहे हैं. हमने इस दौरान मनोहर भैया से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमसे से बात करने से मना कर दिया.

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