न्यूज़लॉन्ड्री ने वरिष्ठ पत्रकार कु़र्बान अली से बात की और यह जानने का प्रयास किया कि आखिर वे हेट स्पीच को लेकर नई गाइडलाइंस की मांग क्यों कर रहे हैं.
अगस्त 2021 और दिसंबर 2021 में दिल्ली तथा हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन किया गया था, जिसमें मुसलमानों के जनसंहार की बातें खुले मंच से की गई थीं. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. इसके बाद पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की थी.
लगातार हेट स्पीच के माध्यम से माहौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ क्या कोई नए कानून की जरूरत है? इन सभी बातों और शिकायतों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार क़ुर्बान अली एक जनहित याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में क़ुर्बान अली हेट स्पीच को "गृह युद्ध छेड़ने के प्रयास" के रूप में देखते हैं. वे कहते हैं, "ये आइडिया ऑफ़ इंडिया को तोड़ने की सुनियोजित साज़िश है."
इस केस में अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी.
हालांकि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने तहसीन पूनावाला केस में लिंचिंग से संबंधित मामलों के परिपेक्ष्य में कुछ गाइडलाइंस जारी की थीं, लेकिन क़ुर्बान अली का कहना है कि हेट स्पीच को लेकर जिम्मेदारी तय करना बाकी है. ये केस सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनी जा रही उन 12-13 जनहित याचिकाओं का हिस्सा है जो हेट स्पीच को लेकर शीर्ष न्यायालय में एक बेंच के रूप में सुनी जा रही हैं.
इस जनहित याचिका और स्वयं एक पत्रकार के रूप में सांप्रदायिक दंगों की रिपोर्टिंग को लेकर क़ुर्बान अली क्या कहते हैं, जानने के लिए देखिए ये पूरा इंटरव्यू.