आज से ठीक एक दशक पहले, राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने हमारे समाज को आइना दिखाया था. समाज में अपना वह वीभत्स रूप देखने के बाद एक ऐसी हलचल मची कि कानून तक बदल डाले गए. नए नियम बने, नई योजनाएं शुरू की गईं.
इन 10 सालों में निर्भया कांड के बाद प्रतिक्रिया के रूप में हुई कार्रवाइयों का क्या अंजाम हुआ? औरतों की सूरतेहाल में क्या बदलाव आया? क्या औरतों के खिलाफ होने वाले जुर्मों में कमी आई? इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे सारांश के इस अंक में.
देखिए पूरा वीडियो -
क्या मीडिया सत्ता या कॉर्पोरेट हितों के बजाय जनता के हित में काम कर सकता है? बिल्कुल कर सकता है, लेकिन तभी जब वह धन के लिए सत्ता या कॉरपोरेट स्रोतों के बजाय जनता पर निर्भर हो. इसका अर्थ है कि आपको खड़े होना पड़ेगा और खबरों को आज़ाद रखने के लिए थोड़ा खर्च करना होगा. सब्सक्राइब करें.