एमसीडी चुनाव अभियान: चेहरों के दम पर वोटरों को लुभाने की मुहिम

भारतीय जनता पार्टी एमसीडी चुनावी अभियान में भी मोदी फैक्टर पर ज़्यादा निर्भर दिखाई दे रही है.

WrittenBy:आकांक्षा कुमार
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"न बातें, न वादे, केवल काम के इरादे" - ये शब्द आपको आजकल भाजपा द्वारा लगाए गए पोस्टरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ दिल्ली के रोहिणी इलाके में देखने को मिल जायेंगे. इसी प्रकार पूरी दिल्ली में, पार्टी द्वारा लगाए गए प्रधानमंत्री की तस्वीर वाले होर्डिंग भी आपको जगह-जगह दिखाई दे जायेंगे. इन होर्डिंग में "सेवा ही विचार, नहीं खोखले प्रचार" लिखा है, जिस नारे के साथ भाजपा एमसीडी के चुनावी मैदान में उतरी है.

एमसीडी चुनावी अभियान की शुरुआत होते ही भाजपा एक निगम स्तर के चुनाव में भी मोदी फैक्टर पर ज़्यादा निर्भर दिखाई दे रही है. क्या इसकी वजह पिछले 15 सालों में भाजपा-शासित एमसीडी में ज़्यादा कुछ न दिखा पाने की असमर्थता है, या फिर पार्टी का अति-आत्मविश्वास? क्योंकि मोदी है, तो क्या वाकई में मुमकिन है?

जहां एक ओर भाजपा ने चुनाव से पहले एक कैंपेन गीत जारी किया है, वहीं आम आदमी पार्टी ने भी चुनाव का आगाज़ एक कैंपेन गीत के ऑडियो संस्करण के साथ किया है. दिल्ली सरकार के कामों की गिनती कराता मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का भाषण, प्रत्याशियों द्वारा चुनावी अभियान के दौरान स्पीकर पर सुनाई पड़ता है. 

वहीं उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, केंद्र और राज्य सरकार के बीच होने वाली तू-तू मैं-मैं का हवाला देते हुए "एमसीडी में भी केजरीवाल" को लाने की बात कहते सुनाई पड़ते हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने रोहिणी में भाजपा के प्रत्याशी और गौतमपुरी में आप के प्रत्याशी से बात कर ये समझने का प्रयास किया कि आखिर इन चुनावों में प्रचार के क्या तरीके हैं, और किन मुद्दों पर दोनों पार्टियां वोटरों को लुभाने में लगी हुई हैं?

देखिए यह ग्राउंड रिपोर्ट-

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