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एनएल चर्चा 242: तिहाड़ जेल से लीक सत्येंद्र जैन का वीडियो और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

     

एनएल चर्चा के इस अंक में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति पर उठाए सवाल, मेटा ने जारी की पारदर्शिता रिपोर्ट, सत्येंद्र जैन का जेल का वीडियो मीडिया में नहीं दिखाने का कोर्ट का आदेश, गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बागी अपने 12 नेताओं को पार्टी से निकाला, मंगलूरू ऑटो ब्लास्ट केस की एनआईए करेगी जांच, बुल्डोजर कल्चर पर सख्त गुवाहाटी हाईकोर्ट, आसिम मुनीर बने पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ समेत कई अन्य विषयों का जिक्र हुआ.

चर्चा में इस हफ्ते वकील सारिम नावेद, स्वतंत्र पत्रकार सौरभ दास और पत्रकार स्मिता शर्मा शामिल हुई. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन ने किया.

शार्दूल ने चर्चा की शुरुआत सत्येंद्र जैन के जेल से लीक हुए वीडियो और उसपर कोर्ट के आदेश से किया. वह सारिम से सवाल करते हुए कहते हैं, “कोर्ट ने यह वीडियो जारी नहीं करने को लेकर क्यों कहा? इस देश में दो कल्चर की बात होती है वीआईपी और नान वीआईपी वह यहां भी दिख रहा है. क्या कारण हो सकता है कि कोर्ट ने यह आदेश दिया. जनता को कारण जानने का हक है?”

सारिम जवाब देते हुए कहते हैं, “कोर्ट ने यह आदेश इसलिए दिया है क्योंकि यह राइट टू प्राइवेसी है. वीडियो में जो दिख रहा है वह गलत हो या नहीं, लेकिन अलग मुद्दा है. लेकिन सवाल है कि किसी के प्राइवेसी भंग नहीं होनी चाहिए. दूसरा हमारे जेलों में कई ऐसे लोग है जिनकी हालत बहुत खराब है. ऐसे बहुत से लोग है जिनकी मेडिकल स्थिति ठीक नहीं है. यहां मेडिकल व्यवस्था ठीक नहीं है. सत्येंद्र जैन नैतिकता के पैमाने पर भी फेल हो गए है. जो अमीर लोग होते है उनके पास वकील होते है जो जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते है लेकिन गरीब लोगों के लिए कोई नहीं है.”

सौरभ दास कहते हैं, “सत्येंद्र जैन के केस जेल में सुधार की बात के लिए उदाहरण है. हमारे यहां आम धारणा है कि जब कोई जेल जाता है तो वह वहां कैसे और किन हालातों में होगा उससे किसी को फर्क नहीं पड़ता. जबकि जेल एक सुधार गृह है लेकिन सुधार के नजरिए से कोई देखता नहीं. सत्येंद्र जैन को जेल में जो सुविधाएं दी जा रही है उसके बाद जेल में बंद दूसरे अंडर ट्रायल आरोपियों की क्या स्थिति है इसपर भी बात होनी चाहिए.”     

स्मिता शर्मा कहती हैं, “यह सत्ता का खेल है. सत्ता का नशा है. पॉक्सो का आरोपी सत्येंद्र जैन की मालिश कर रहा है. जब कोई बहुत ऊंचे सपने दिखाता हो और वह उसे पूरा नहीं करता तो लोगों को निराशा भी बहुत होता है. अंडर ट्रायल के तहत जेल में बंद आरोपियों को कुछ सुविधाएं तो मिलनी चाहिए ताकि वह स्वस्थ रहे. तिहाड़ जेल में अगर कोई वीआईपी अंडर ट्रायल के तहत जेल में आते है तो वह मीटिंग करते है. लेकिन गरीब लोग जो अंडर ट्रायल के तहत जेल में आते है उन्हें भी सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए जो नेताओं और बड़े लोगों को मिलती है.” 

इस विषय के विभिन्न पहलुओं के अलावा चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति के विषय पर भी विस्तृत बात हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

टाइम कोड

00:00:00 - 00:13:30 - इंट्रो, हेडलाइंस और जरूरी सूचना

00:13:30 - 00:49:16 - सत्येंद्र जैन का जेल से लीक वीडियो

00:49:16 - 1:06:30 -  चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 

1:06:30 - सलाह और सुझाव

पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए

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शोशना जुबॉफ़ की किताब - एज ऑफ सर्विलांस कैपलिटिजम

सारिम नावेद

नेटफ्लिक्स टीवी सीरीज - 1899

रेसिपी फॉर लव एंड मर्डर

***

हर सप्ताह के सलाह और सुझाव

चर्चा लेटर 

***

प्रोड्यूसर-  चंचल गुप्ता

एडिटिंग - उमराव सिंह  

ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह

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