दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
बीते हफ्ते श्रद्धा वाल्कर का सनसनीखेज हत्याकांड खबरिया चैनलों पर छाया रहा. एबीपी न्यूज़ ने जिस तरह से इस हृदय विदारक हत्याकांड का नाटकीय मंचन पूरे देश के सामने किया, उससे इस चैनल की संपादकीय पेशेवरता और खबर को चुटकुले में बदल देने की क्षमता चहुं ओर निर्विवाद स्थापित हो गई. चैनल ने एक-एक कर अपने आठ जेम्स बॉन्डों, शरलॉक होम्स, माताहारियों और आना चैपमैनों को श्रद्धा हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए जंगल में उतार दिया.
श्रद्धा की दुखद मौत पर सियासत का नंगा नाच भी देखने को मिला. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह काबिले जिक्र हैं क्योंकि उन्होंने भारत के संविधान की शपथ ले रखी है. भारत सरकार के मंत्री हैं. इनकी जुबान से, व्यवहार से इस देश के सवा अरब नागरिक उम्मीद करते हैं कि जब ये मुंह खोलें तो कानून सम्मत, संविधान सम्मत बात ही बोलें. लेकिन इन्होंने उल्टा बोलने की शपथ संविधान की शपथ से ऊपर रखी है.
बीते हफ्ते आरोप लगा कि अरविंद केजरीवाल अपने नेता सत्येंद्र जैन को गलत तरीके से तिहाड़ जेल के भीतर लाभार्थी बना रहे हैं. पर केजरीवालजी का कहना है कि उनकी सरकार ने कुछ भी गलत नहीं किया. केजरीवाल जी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के वक्त हमेशा शिकायत करते थे कि नेताओं को जब जेल जाने की नौबत आती है तब वो बीमार पड़ जाते हैं. अब केजरीवाल ने बीमार नेताओं को वो सारी सुविधाएं जेल में मुहैया करवा दी जाएंगी जिसके लिए नेता बीमारी का बहाना करते थे. इस तरह उन्होंने अपना एक और वादा पूरा कर दिया है.