“हम पहले मोदी भक्त थे. लेकिन मोदी जी ने ‘सबका साथ-सबका विकास’ के नाम पर विश्वासघात किया है. निजीकरण देश के लिए खतरनाक है."
17 नवंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्रमिक क्षेत्र के संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) द्वारा सार्वजनिक एवं सरकारी उद्यमों को बचाने के लिए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया गया. इस प्रदर्शन में देश के कोयला, रक्षा, रेलवे, बैंकिंग सहित तमाम सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के कर्मचारियों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया. प्रदर्शन में करीब 10 हज़ार लोग शामिल हुए.
प्रदर्शन में भारतीय मजदूर संघ की तीन प्रमुख मांगें रखीं. पहला, सार्वजनिक उद्यमों का निजीकरण बंद हो. दूसरा, सरकारी उद्यमों का निगमीकरण बंद हो, और बीएमएस की तीसरी मांग थी कि संविदा या कॉन्ट्रैक्ट/आउटसोर्सिंग पर रखे गए मजदूरों को नियमित किया जाए.
प्रदर्शन के दौरान रेलवे कर्मचारी काजल विश्वास ने कहा, "हम पहले मोदी भक्त थे. लेकिन मोदी जी ने ‘सबका साथ-सबका विकास’ के नाम पर विश्वासघात किया है. निजीकरण देश के लिए खतरनाक है."
भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री मुकेश सिंह ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "सरकार के सलाहकार, सरकार को सलाह देते हैं कि देश की संपत्ति को बेच कर या प्राइवेट हाथों में देकर देश को आगे बढ़ाया जा सकता है. लेकिन हम सरकार की इस नीति से सहमत नहीं हैं क्योंकि सरकारी उद्योगों का रहना बहुत जरूरी है. सरकारी उद्योग रहेगा तो मजदूर रहेगा, और मजदूर रहेगा तो देश का जीवन चलता रहेगा."
वहीं प्रदर्शन में शामिल रेलवे कर्मचारी अजय कुमार कहते हैं, "हमारे बाप-दादा ने इस देश की सरकारी संपत्तियों को बनाया और मोदी जी उन संपत्तियों को बेच रहे हैं. देश की संपत्ति को बेच कर विश्व गुरु बना जाता है क्या?"
वहीं रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे हैं और भारतीय मजदूर संघ के जोनल महामंत्री कुंवर सिंह कहते हैं, "सरकारी संपत्ति बेच कर हम कभी विश्व गुरु बन ही नहीं सकते. जैसे डिफेंस सेक्टर की बात करें तो आज हमारे पास सरकारी कंपनियां हैं, तो हम अपनी आवश्यकता के अनुरूप उत्पादन कर सकते हैं. लेकिन अगर वही प्राइवेट हाथों में चली गई तो प्राइवेट कंपनी देश की जरूरत के हिसाब से कभी उत्पादन नहीं करेगी, बल्कि उस वक्त में सरकार को प्राइवेट कंपनी के हाथों ब्लैकमेलिंग का शिकार होना पड़ेगा."
वहीं पूर्व मध्य रेलवे के महामंत्री बिजेंद्र कंचन कहते हैं, "अगर यह सरकार मजदूरों के विरुद्ध काम करेगी तो इस सरकार को उखाड़ फेंकने में हम कोई संकोच नहीं करेंगे."
नरेंद्र मोदी के 8 साल के शासनकाल में यह पहली बार है जब संघ परिवार के किसी संगठन ने सरकार के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया हो. प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना था कि हम जंतर-मंतर पर सरकार को जगाने आए हैं. अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानती और निजीकरण को नहीं रोकती, तो हम व्यापक देशव्यापी आंदोलन करेंगे.
देखिए यह रिपोर्ट-
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