मानव विकास सूचकांक एक सांख्यिकीय तरीका है, जिसका उपयोग किसी देश में रहने वाले लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास को मापने में किया जाता है. यह एक देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, आय और जीवन स्तर की स्थिति को बताता है.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी वैश्विक मानव विकास सूचकांक या ग्लोबल ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, 191 देशों की इस सूची में भारत 132वें पायदान पर है. रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका, चीन, भूटान और बांग्लादेश सूचकांक में भारत से ऊपर हैं. इससे पहले 2020 में जारी रिपोर्ट में भारत 131वें स्थान पर था. वहीं 2019 में भारत 129वें स्थान पर रहा था यानी 2019 से अब तक, भारत इस सूची में 3 पायदान नीचे खिसक गया.
मानव विकास सूचकांक एक सांख्यिकीय तरीका है, जिसका उपयोग किसी देश में रहने वाले लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास को मापने में किया जाता है. यह एक देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, आय और जीवन स्तर की स्थिति को बताता है.
30 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत ने लगातार दो वर्षों में मानव विकास सूचकांक में गिरावट दर्ज कराई है. सूचकांक में इस गिरावट के कारण भारत को मानव विकास की मध्यम श्रेणी में रखा गया है. इस साल की रिपोर्ट में स्विट्जरलैंड पहले स्थान पर रहा.
आज के एनएल सारांश में हम मानव विकास सूचकांक की रिपोर्ट पर बात करेंगे, और जानेंगे कि भारत के संदर्भ में इस रिपोर्ट के क्या मायने हैं. साथ ही यह भी देखेंगे कि वैश्विक स्तर पर मानव विकास की क्या स्थिति है.