सुप्रीम कोर्ट: सीजेआई रमना को विरासत में मिले मामले और उनकी स्थिति

निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल में कोर्ट ने अनुच्छेद 370, नागरिकता कानून और इलेक्टोरल बॉण्ड जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों पर बहुत कम प्रगति की है.

   bookmark_add
सुप्रीम कोर्ट: सीजेआई रमना को विरासत में मिले मामले और उनकी स्थिति
Kartik Kakar
  • whatsapp
  • copy

सबरीमाला फैसले की समीक्षा

2018 में केरल के सबरीमाला मंदिर में मासिक धर्म की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था. कोर्ट ने माना था कि इस प्रकार का बहिष्कार हिंदू धर्म की एक अनिवार्य प्रथा नहीं है. इस मामले ने महिलाओं के लिए उपासना के समान अधिकार का प्रश्न खड़ा कर दिया, और 2018 के फैसले की समीक्षा के लिए शीर्ष अदालत में 50 से अधिक याचिकाएं दायर हुईं. मामला फरवरी 2020 से लटका हुआ है.

नागरिकता संशोधन अधिनियम

जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं सबके लिए सर्वोपरि हैं. लेकिन कोर्ट ने नए कानून को लागू करने वाली सरकारी अधिसूचना पर रोक नहीं लगाई.

अधिकांश याचिकाओं में दलील दी गई कि संविधान के अनुच्छेद 14 ने सबके लिए विधि के समक्ष समता का अधिकार सुनिश्चित किया है और संसद ऐसे कानून नहीं बना सकता जो लोगों के समूहों के बीच मनमाने ढंग से या तर्कहीन रूप से भेदभाव करते हैं. नए कानून में विशेष रूप से मुसलमानों को छोड़कर इसी प्रकार भेदभाव किया गया है.

जून 2021 से इस मामले की सुनवाई नहीं हुई है, हालांकि कोर्ट में इससे जुड़ी 140 से ज्यादा याचिकाएं दायर हो चुकी हैं.

नोटबंदी

नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत के अधिकांश नोटों को अमान्य कर देने के बाद से देश ने पांच मुख्य न्यायाधीश देखे हैं. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में इस कदम के विरुद्ध कई याचिकाएं दायर हुईं. याचिकाओं पर सुनवाई के लिए गठित तीन जजों की बेंच ने नोटबंदी पर रोक लगाकर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. लेकिन इसने नौ प्रश्न तैयार किए और कहा कि उनपर एक संविधान पीठ द्वारा विचार किया जाएगा. पांच साल से अधिक बीत जाने के बाद भी, जबकि छठे मुख्य न्यायाधीश अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, इस संविधान पीठ का गठित होना अभी बाकी है.

इलेक्टोरल बॉण्ड योजना

इलेक्टोरल बॉण्ड योजना द्वारा राजनीतिक दलों को मिलने वाले गुमनाम और असीमित दान को वैध बनाया गया. इस योजना को चुनौती देने वाली याचिकाएं 2017 से लंबित हैं. जब सुप्रीम कोर्ट ने बॉण्ड की बिक्री पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन कहा था कि वह याचिकाओं पर गहन सुनवाई करेगी क्योंकि केंद्र सरकार और चुनाव आयोग दोनों ने "भारी मुद्दों" को उठाया था जो "देश की चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता पर बड़ा असर" डालते हैं.

तब से कई चुनाव हो चुके हैं, जिनमें इलेक्टोरल बॉण्ड्स के माध्यम से पर्याप्त धन लगा है. चार महीने पहले, सुप्रीम कोर्ट अंततः मामले की सुनवाई करने को तैयार हुई. तब सीजेआई ने कहा था कि यदि महामारी नहीं होती तो वह इस मामले की सुनवाई पहले ही करते. लेकिन उस के बाद से इस मामले की कोई खबर नहीं है.

Also see
कैसे एक बेटे ने 30 साल बाद अपनी मां के बलात्कारियों को पकड़वाने में मदद की
भारत सरकार पेगासस मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रही

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like