दिल्ली सरकार 2015 से “दिल्ली उच्च शिक्षा और कौशल विकास गारंटी योजना” चला रही है. इसके तहत एक छात्र को 10 लाख रुपए तक का लोन मिलता है, जिसकी गारंटी सरकार लेती है.
2016 में, जब इस योजना की वेबसाइट को लांच किया गया, तो सिसोदिया ने कहा था कि पोर्टल के आने से बैंक जाने की जरूरत नहीं होगी. सब कुछ भर कर बस बैंक में प्रिंट आउट जमा कराना होगा. बैंक बिना कारण लोन के लिए मना नहीं कर सकेगा.
इस सब के बावजूद इतनी कम संख्या में छात्रों को लाभ क्यों मिला? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने मनीष सिसोदिया को फ़ोन किया लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें अपने सवाल भेजे हैं, अगर उनकी ओर से जवाब आता है तो खबर में जोड़ दिया जाएगा.
एक साल में विज्ञापन पर 19 करोड़ रुपए खर्च
एक तरफ जहां “दिल्ली उच्च शिक्षा और कौशल विकास गारंटी योजना” का लाभ बहुत कम छात्रों को मिल पाया, वहीं सरकार ने इसके विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए. योजना के प्रचार के लिए प्रिंट और टेलीविजन मीडिया में विज्ञापन दिए गए.
न्यूज़लॉन्ड्री ने आरटीआई के जरिए यह जानकारी मांगी थी कि योजना की शुरुआत से लेकर अब तक इसके विज्ञापन पर कितने रुपए खर्च किए गए. जवाब में सिर्फ वित्त वर्ष 2021-22 का ही आंकड़ा दिया गया. जिसके मुताबिक इस दौरान प्रिंट मीडिया में 46 लाख 22 हज़ार 685 रुपए और टेलीविजन मीडिया को 18 करोड़ 81 लाख 618 रुपए के विज्ञापन दिए गए. यानी कुल मिलाकर 19 करोड़ 27 लाख रुपए योजना के विज्ञापन पर खर्च हुए, जबकि इस साल योजना का लाभ सिर्फ दो छात्रों को मिला.
हमने इस विषय पर भी मनीष सिसोदिया से सवाल किए हैं.
इस योजना के तहत कम छात्रों को मिले लाभ और विज्ञापन पर हुए खर्च को लेकर भाजपा नेता हरीश खुराना कहते हैं, ‘‘भाजपा हमेशा कहती है कि अरविंद केजरीवाल घोषणा और विज्ञापन मंत्री हैं. सीएजी ने हाल ही में बताया कि ऐसी 39 योजनाएं हैं, जिसकी घोषणा दिल्ली सरकार ने की लेकिन वो जमीन पर नहीं उतरी हैं. यह दिल्ली सरकार का शिक्षा मॉडल है. केजरीवाल जी जगह-जगह जाकर गारंटी की बात कर रहे हैं. अगर ऐसी गारंटी है तो भगवान ही मालिक है.’’
यह पहला मौका नहीं है जब दिल्ली सरकार ने योजना की लागत से ज़्यादा उसके विज्ञापन पर खर्च किया है. न्यूज़लॉन्ड्री ने ही अपनी रिपोर्ट में बताया था कि प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए दिल्ली सरकार ने बायो डी-कंपोजर का छिड़काव कराया था. जहां दो सालों में इस छिड़काव पर 68 लाख रुपए खर्च हुए, वहीं इस योजना के विज्ञापनों पर 23 करोड़ रुपए खर्च किए गए. इसी प्रकार हवा साफ करने के लिए कनॉट प्लेस में स्मॉग टॉवर लगवाए गए थे. ये टॉवर लगाने में 19 करोड़ रुपए खर्च हुए, वहीं इसके विज्ञापन पर सरकार ने 5.58 करोड़ रुपए खर्च किए.
बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 में दिल्ली सरकार ने विज्ञापन पर 490 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
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