गांव-गांव घूमकर ‘अग्निपथ’ योजना के फायदे बता रही उत्तर प्रदेश पुलिस

अग्निपथ योजना को लेकर जागरुकता फैला रही बुलंदशहर पुलिस के साथ न्यूज़लॉन्ड्री का एक दिन.

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बुलंदशहर की तर्ज पर ही संभल जिले की पुलिस भी गांव-गांव जाकर, युवाओं को अग्निपथ योजना के फायदे गिना रही है.

संभल जिले में तैनात बनियाठेर थाने के एसआई अजय यादव कहते हैं, "अग्निपथ योजना के बारे में हम गांव-गांव जाकर फायदे बता रहे हैं. हम अपनी एक टीम बना लेते हैं जिसमें एक महिला कांस्टेबल, सब इंस्पेक्टर और सिपाही होते हैं. इस दौरान टीम के पास पैम्फलेट होता है जो कि महिला कांस्टेबल बांटती हैं. जिसमें अग्निपथ योजना के फायदे लिखे हुए हैं."

बुलंदशहर देहात के पुलिस अधीक्षक बजरंगबली चौरसिया पुलिस के जागरुकता अभियान के बारे में कहते हैं, "बीच-बीच में पुलिस अधिकारी, मजिस्ट्रेट बच्चों से मिलते हैं और इस योजना के बारे में समझाते हैं. हमने गांव-गांव जाकर लोगों को समझाया कि आप ऐसा आक्रामक रुख न अपनाएं."

वह आगे कहते हैं, “कोई भी सरकार अपने ही लोगों की दुश्मन कैसे हो सकती है? समझाने का असर हुआ है. लोगों को धीरे धीरे समझ आ रहा है. पहले तो लोगों ने बिना जाने ही हल्ला काटना शुरू कर दिया था.”

क्या इस तरह से लोगों को समझाने के लिए सरकार की ओर से आदेश मिला है? इस सवाल का उत्तर देते हुए चौरसिया कहते हैं, "शासन लेवल पर देखिए, आप लोगों ने तो पेपर में भी निकाला है, मुख्यमंत्रीजी का बयान भी छपा है पेपरों में कि अधिकारी बच्चों को समझाएं कि क्या स्थिति है. उनको सही तथ्यों से अवगत कराएं, जो लोग गुमराह हो रहे हैं उनको गुमराह होने से बचाएं."

साथ में वो ये भी जोड़ते हैं कि हमें लिखित में कोई आदेश नहीं मिला है.

बुलंदशहर से दिल्ली वापस लौटते वक्त जिले के सिकंदराबाद में सड़क के किनारे एक मैदान में काफी युवा सेना में भर्ती की तैयारी करते दिखे. ग्राउंड में मौजूद इन युवाओं ने हमारी गाड़ी को अंदर आने नहीं आने दिया. उनका कहना था कि यह हमारी रोजी-रोटी है, इस पर गाड़ी मत चलाइए.

वे ऐसा क्यों कह रहे हैं यह पूछने पर उन्होंने कहा, “इस ग्राउंड से सैंकड़ों लड़के आर्मी में नौकरी करने गए हैं. हम यहां सेना में जाने की तैयारी करते हैं. इसलिए यह ग्राउंड हमारी रोजी रोटी है.”

सेना में भर्ती की नई योजना से यहां के युवा खासे नाराज दिखे. वहां तैयारी कर रहे 22 वर्षीय हरीश यादव कहते हैं, "हम सेना की नई भर्ती योजना से खुश नहीं हैं. हम तो अब इसलिए तैयारी कर रहे हैं ताकि घरवाले और मोहल्ले-पड़ोस के ताने नहीं सुनने पड़ें. वरना हम चार साल के लिए तो बिल्कुल न जाएं. हम अब इज्जत की खातिर तैयारी कर रहे हैं.”

वह आगे कहते हैं, “पहले इस ग्राउंड में करीब 100 से 150 लड़के रोजाना तैयारी करने आते थे. उनका सेना में जाने का ही सपना था लेकिन जब से सरकार ने ये चार साल की भर्ती योजना निकाली है, तब से काफी लड़कों ने यहां आना ही बंद कर दिया है.”

वहां मौजूद 21 वर्षीय दीपक सैनी कहते हैं, “यह अग्निपथ योजना अब चेंज तो हो नहीं सकती है, बहुत कोशिश कर ली है बच्चों ने. अब जो होगा देखा जाएगा. लेकिन हम इससे खुश नहीं हैं.”

अग्निपथ योजना के तहत सरकार साढ़े सत्रह साल से 23 साल तक के युवाओं को सेना के तीनों अंगों में अल्पकालिक सेवा का मौका दे रही है. नयी योजना के तहत भर्ती होने वाले सभी जवानों को अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा. चार साल के कार्यकाल से पहले इन जवानों को छह महीने ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद उन्हें चार साल सेना में बिताने होंगे. चार साल की नौकरी के बाद सरकार अधिकतम 25 फीसदी तक ‘अग्निवीरों’ को मेरिट के आधार पर स्थायी कमीशन दिया जाएगा. बाकी 75 फ़ीसदी ‘अग्निवीरों’ को रिटायर कर दिया जाएगा. ऐसे जवानों को 12वीं का सर्टिफिकेट और 11.75 लाख रुपए एकमुश्त दिए जायेंगे.

सरकार अपने तमाम अंगों के जरिए इस योजना के फायदे गिना रही है, लेकिन बहुत से युवा इन वादों से अभी तक संतुष्ट नहीं हैं.

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