राजस्थान के पाली में क्या है गैरकानूनी जातिगत बोर्ड के पीछे की सच्चाई

15 मार्च 2022 को पाली के बारवा गांव के रहने वाले जितेंद्र मेघवाल की हत्या कथित तौर पर मूंछ रखने के लिए हुई थी.

WrittenBy:आकांक्षा कुमार
Date:
   

राजस्थान के पाली जिले में गांवों के बाहर 'राजपुरोहितन' बोर्ड एक आम बात है. पाली के ही ढोला शासन गांव के रहने वाले लाल सिंह का कहना है कि इन बोर्ड का जाति से कोई लेना देना नहीं है और ये यहां की प्रथा का हिस्सा है. लेकिन पास ही के गुला एंडला गांव में जहां मीणाओं की संख्या ज्यादा है, वहां के मेघवाल समुदाय के एक व्यक्ति अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर यह बताते हैं कि किस तरह राजपुरोहित पंडित उन्हें मंदिर में बैठने पर फटकार लगाते हैं.

15 मार्च 2022 को पाली के बारवा गांव के रहने वाले जितेंद्र मेघवाल की हत्या कथित तौर पर मूंछ रखने के लिए हुई थी. आरोपी पक्ष ऊंची जाति के राजपुरोहित समुदाय से था और मूंछों को लेकर 2020 में भी दोनों के बीच कहा-सुनी हुई थी.

पाली से अपनी पहली ग्राउंड रिपोर्ट में न्यूज़लॉन्ड्री ने बताया था कि किस तरह ये जातिगत बोर्ड दो समुदाय के लोगों के बीच के मान-मुटाव का कारण बना, जिसने जितेंद्र मेघवाल के केस में एक वीभत्स रूप ले लिया.

पाली से दूसरी ग्राउंड रिपोर्ट में न्यूज़लॉड्री ने पिछड़े वर्ग के कुछ ऐसे लोगों से बात की जिन्होंने जातिगत मामले में पुलिस और न्यायपालिका की भूमिका के बारे में विस्तार से बातचीत की.

Also see
article imageक्या जितेंद्र मेघवाल को मूंछों की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी?
article imageयह दलित राजनीति की त्रासदी का स्वर्णिम काल है या पतनकाल?

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like