हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
एनएल चर्चा के इस अंक में चंडीगढ़ प्रशासन में केंद्रीय सेवा शर्तों का लागू होना, डगमगाई हुई श्रीलंका की अर्थव्यवस्था, पाकिस्तान में डगमगाए हुए इमरान खान, पेट्रोल और डीजल के दाम, पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों से अफस्पा का हटना, कर्नाटक में मदरसों और हलाल मीट बंद करने की मांग, पश्चिम बंगाल के बीरभूम अग्निकांड में अब तक 9 लोगों की मौत और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर भाजपा कार्यकर्ताओं की तोड़फोड़ समेत कई अन्य विषयों पर बातचीत हुई.
चर्चा में इस हफ्ते बतौर मेहमान पंजाब से पत्रकार शिव इंदर सिंह, न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन और सहसंपादक शार्दूल कात्यायन ने हिस्सा लिया. चर्चा का संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल चर्चा की शुरुआत चंडीगढ़ में केद्रीय सेवा की शर्ते लागू करने के मुद्दे से करते हुए शिव इंदर से पूछते हैं, “केंद्रीय गृहमंत्रालय के इस फैसले से चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे में किस तरह का बदलाव आ सकता है?”
शिव इंदर कहते हैं, “अमित शाह ने जो बयान दिया है उसके मुताबिक अभी तक केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में कर्मचारियों पर पंजाब सरकार के नियम कानून लागू होते थे लेकिन अब वहां केंद्रीय कर्मचारी नियमों को लागू कर दिया गया. इससे कर्मचारियों को तो फायदा होगा. लेकिन इस फैसले से लोगों में नाराजगी है. केंद्र को लेकर पंजाब में यह धारणा है कि वह कही न कहीं संघवाद के खिलाफ है. केंद्र के फैसले के विरोध में पंजाब विधानसभा में केंद्रीय सेवा कानून लागू करने के विरोध में प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. तो अब इस पर आगे भी राजनीति होती रहेगी.”
शिव इंदर आगे कहते हैं, “पंजाब के लोगों की हमेशा से मांग रही है कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी हो. इसको लेकर कई लोगों ने बलिदान भी दिया. पंजाब का पुराना इतिहास है चंडीगढ़ को लेकर इसलिए पंजाब के लोगों को लगता है कि यह पंजाब का है और इस फैसले से लोगों में रोष भी है.”
आनंद वर्धन इस विषय पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं, “यह केंद्र सरकार की तात्कालिक प्रतिकिया नहीं है यह पहले से चली जा रही है. पंजाब में बीजेपी बड़ी पार्टी नहीं है, लेकिन वह कोशिश कर रही जैसे अन्य राज्य में करती है. हालांकि पार्टी की चंडीगढ़ में पैठ है. उसे हाल ही में नगर निगम के चुनावों में हार मिली है लेकिन फिर भी उसने अपना मेयर बनाया है. दूसरा केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारियों में हमेशा केंद्रीय कर्मचारी नियमों का आर्कषण रहा है. इस फैसले से शहरी कर्मचारियों को फायदा होगा ही साथ इससे बीजेपी को भी राजनीतिक तौर पर फायदा होगा.”
अतुल, इस विषय पर शार्दूल को चर्चा में शामिल करते हुए कहते हैं, “दिल्ली में 2019 के चुनावों में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के अधिकारों में कटौती की, बंगाल में हार के बाद बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया, हाल ही में दिल्ली के एमसीडी चुनावों की तारीखों को आखिरी समय पर बदल दिया गया. और अब पंजाब में आप की सरकार बनने के बाद चंडीगढ़ को केंद्रीय सेवा के तहत लाया जा रहा है. बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी है, इसके बावजूद वह छोटी-मोटी हार पर अपनी खिसियाहट को छिपा क्यों नहीं पाती. देश की बड़ी आबादी ने उसे समर्थन दे रखा है फिर भी बीजेपी इस तरह की ओछी राजनीति क्यों कर रही है?”
इस पर शार्दूल कहते हैं, “चंडीगढ़ में पशोपेश की स्थिति है. कर्मचारियों के स्तर पर भी और राज्य सरकार के लिए भी. पंजाब में एक नई पार्टी की सरकार आने के कारण बीजेपी ने यह बदलाव किया है. क्योंकि राजनीति में पावर के लिए ही लड़ाई है और उससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. जैसे दिल्ली में अधिकारों में कटौती की गई वैसे ही अब पंजाब में किया जा रहा है जिससे दोनों ही पार्टियों में खींचतान बढ़ेगी.”
इस मुद्दे के अलावा कर्नाटक में हलाल और मदरसे बंद करने के मुद्दों को लेकर भी चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइमकोड
00-01:12 - इंट्रो
01:15 - 11:40 - हेडलाइंस
11:41 - 35:29 - चंडीगढ़ कर्मचारी नियमों में बदलाव
35:30 - 58:32 - हलाल और मदरसे पर जारी बहस
58:33 - 1:06:15 - श्रीलंका में गृह युद्ध जैसी स्थिति और अर्थव्यवस्था
1:06:16 - 1:15:15 - बंगाल बीरभूम हिंसा
1:15:16 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
शिव इंदर सिंह
शार्दूल कात्यायन
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प्रोड्यूसर- रौनक भट्ट
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह