जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का पूरी दुनिया इस वक्त अनुभव कर रही है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले 20 से 30 वर्षों में स्थितियां और विकट हो सकती हैं.
इस आधार पर देखें तो हीट एंड कोल्ड श्रेणी में सतह की गर्मी और चरम तापमान के बढ़ने का अनुमान सबसे ज्यादा लगाया गया है. जबकि ठंड और कोहरे में बड़ी कमी का आसार जताया गया है. इसी तरह वेट एंड ड्राई श्रेणी में भारी वर्षा और वर्षा वाली बाढ़ की प्रबल संभावना है जबकि मौसमी आग लगने की घटना का भी मध्यम अनुमान है.
अन्य श्रेणी में सतह पर वातावरणीय सीओटू के बढ़ने का सबसे ज्यादा अनुमान जताया गया है. इसके अलावा तटीय इलाकों में समुद्रों के गर्म होने, बाढ़ आने की घटनाओं में वृद्धि को भी आंका गया है. आईपीसीसी की यह रिपोर्ट 1990 के बाद से 6वीं है और 2013 के बाद से पहली.
वैज्ञानिक समूह ने सीधा और सरल संदेश दिया है कि मानव जनित जलवायु परिवर्तन चरम घटनाओं, लू और भारी वर्षा व सूखे का कारक है. यदि चीजें नहीं संभली तो यह और तेज व गंभीर होने जा रहा है.
(साभार- डाउन टू अर्थ)
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