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एनएल चर्चा के इस अंक में बिहार की राजनीति प्रमुख विषय रही. इसके अलावा उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज, कर्नाटक हिजाब विवाद, हरियाणा विधानसभा में पेश हुआ धर्मांतरण विरोधी विधेयक, पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के दामों में वृद्धि, यूक्रेन रूस संघर्ष, उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ को चुना गया सत्ता पक्ष का नेता और भारत सरकार ने ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ की रिपोर्ट को मानने से इनकार किया आदि विषयों पर बातचीत हुई.
चर्चा में इस हफ्ते बतौर मेहमान स्वतंत्र पत्रकार अनीश अंकुर और बार एंड बेंच की पत्रकार ज़ेब हसन शामिल हुईं. न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस ने भी हिस्सा लिया. चर्चा का संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
बिहार की राजनीति पर बात करते हुए अतुल अनीश से सवाल पूछते हैं, "भाजपा और जेडीयू दोनों दल अलायंस में हैं. इस बीच कड़वाहट की स्थिति भी पैदा हो गई है. दोनों दलों को ही रास्ता निकलना होगा, जो बीच का रास्ता निकला है क्या वो सम्मानजनक है? आपको क्या लगता है कौन किस हद तक सही और गलत था?"
इसका जवाब देते हुए अनीश कहते हैं, "जब पिछली बार विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था उसी वक्त ये लगने लगा था कि ये मतभेद होंगे. जिस तरीके से चार राज्यों में भाजपा की जीत हुई उससे भाजपा का मनोबल बहुत बढ़ा है. इस तू-तू मैं-मैं के बाद राजनीति काफी गर्म हो गई थी बाद में विधानसभा अध्यक्ष को नीतीश कुमार के साथ सुलहनामा करना पड़ा, अंडर द टेबल."
बिहार की राजनीति पर आगे मेघनाद अपनी बात जोड़ते हुए कहते हैं, "2020 में बिहार में जो चुनाव हुए थे उसमें एक दम काया पलट गई थी. पहले जो नीतीश कुमार की जेडीयू थी उसकी 71 सीटें मिली थीं जो 2020 में आकर 43 हो गईं और भाजपा की 53 थीं जो 74 हो गईं. इसका मतलब है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो हैं लेकिन जो होल्ड असेंबली का है वो भाजपा के हाथ में है. स्पीकर का चुनाव जो हुआ था उससे पहले वहां जेडीयू के वरिष्ठ नेता थे उनको रिप्लेस करा कर भाजपा का आदमी वहां बिठाया गया."
आगे अतुल उमर खालिद पर ज़ेब हसन से सवाल करते हैं, "पुलिस के पास ऐसे क्या सबूत हैं जो दो साल होने को आ रहे हैं इतने लंबे वक्त तक किसी को जमानत जैसे मूलभूत जो हक हैं उससे भी उसको वंचित रखा जाए."
जवाब में ज़ेब हसन कहती हैं, "नहीं, उमर खालिद एक व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा थे. उसमें सीएए, एनआरसी से ताल्लुक कंट्रोवर्शियल बातें हो रही थीं. भले ही वो उसमें पार्टिसिपेट नहीं कर रहे थे. दूसरी बात जो कोर्ट में हो रही है वो ये हो रही है कि कुछ गवाह हैं जिनके नाम भी नहीं मालूम हैं वो ये कह रहे हैं कि हमने खालिद को देखा था. हमने उसको फलां से ये बात करते सुना था. एक आखिरी बात उन्होंने ये राखी है कि दंगों के वक्त कॉल्स के दौरान कई दफा खालिद का नाम मेंशन किया गया."
बिहार की राजनीति और उमर खालिद के अलावा और भी कई मुद्दों पर विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइमकोड
00:00 - 01:47 - इंट्रो
01:47 - 05:55 - हेडलाइंस
05:55 - 55:22 - बिहार की राजनीति, हिजाब विवाद और अन्य मुद्दे
55:23 - 01:14:16 - हरियाणा विधान सभा में पेश हुआ धर्मांतरण विरोधी विधेयक
01:14:17 - सलाह और सुझाव
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पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
मेघनाद एस
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ट्रांसक्राइब - फ़ूरक़ानउल्लाह ख़ान