हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
एनएल चर्चा के इस अंक में विशेष तौर पर कश्मीर फाइल्स फिल्म पर चर्चा हुई. साथ ही विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस की बैठक और जी-23 के नेताओं की बैठक, जम्मू कश्मीर पर संसद में पेश हुआ बजट, कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब बैन को ठहराया सही, भारत से गलती से दगी मिसाइल पाकिस्तान में गिरी, भगवंत मान बने पंजाब के सीएम और सिर्फ कुछ ही पत्रकारों को चुनाव आयोग द्वारा प्रेस ब्रीफ्रिंग में बुलाए जाने पर हुए विवाद समेत कई अन्य विषयों पर बातचीत हुई.
चर्चा में इस हफ्ते बतौर मेहमान मुंबई से फिल्म समीक्षक मयंक शेखर और दिल्ली से वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र शामिल हुए. साथ ही न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस ने भी हिस्सा लिया. चर्चा का संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल चर्चा की शुरुआत फिल्म द कश्मीर फाइल्स के मुद्दे पर मयंक से करते है. अतुल कहते हैं मैं पहले ही साफ कर देना चाहता हूं कि मैनें, मेघनाद और मनोजजी ने यह फिल्म नहीं देखी है इसलिए हम फिल्म के कंटेंट पर नहीं बल्कि उसके इर्द गिर्द उठ रहे विवाद पर बात करेगें.
मयंक कहते हैं, “जी, बिल्कुल मैने फ़िल्म तो देखी है क्योंकि मेरा यही काम है. असल में फ़िल्म देखना मेरा काम नहीं होता है, उस पर लिखना असल काम होता है. ये मैं ज़रूर कहना चाहूंगा कि फिल्म या उसके कंटेंट को लेकर जो चर्चाएं होती हैं हम उस पर ध्यान नहीं देते की लोग अगर आकर्षित हो रहे हैं तो कुछ बात होगी उसमें. कश्मीरी पंडितों पर पहले भी फ़िल्म बन चुकी हैं, अशोक पंडित ने भी फिल्म बनाई है. लेकिन यह फिल्म लोगों को होल्ड करती है.”
वह आगे कहते हैं, “भले ही इंटरनेट पर विवेक अग्निहोत्री की जो भी छवि हो लेकिन यह फिल्म लोगों को पकड़ कर रखती है. इसलिए फिल्म की कमाई का आंकड़ा आप को चौंकाता है. मैने बॉम्बे के बांद्रा इलाके में इस फिल्म को देखा, जो की पॉश इलाका है मुंबई का लेकिन लोगों ने फिल्म खत्म होने के बाद तालियां बजाई.”
बातचीत के बीच में मनोज मिश्र हस्तक्षेप करते हुए कहते हैं, “1990 के समय जो केंद्र सरकार समस्या थी वह यह थी कि, उस समय की वीपी सिंह की सरकार बहुत ही ज्यादा अस्थिर थी. वह खुद असंमजस में थे. दूसरा उन्होंने जगमोहन को राज्यपाल बनाकर भेजा, जिन्हें कश्मीर में बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग पंसद नहीं करते थे और फिर कुछ दिनों बाद वीपी सिंह की सरकार गिर गई. इन सब गलतियों और प्रशासन की शून्यता का लाभ उठाकर कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार किया गया.”
मेघनाद बातचीत पर अपनी टिप्पणी करते हुए कहते हैं, “मैंने सिनेमाघरों में हो रही नारेबाजी के मैंने तो वीडियो देखे. ऐसा पहले नहीं देखा की लोगों इस तरह से हाल के अंदर नारेबाजी करे. अगर किसी को फिल्म पंसद आती हैं तो वह ताली बजाते है या हाल से बाहर आकर पत्रकारों से बातचीत करते है. लेकिन नारेबाजी करना या भाषण देना ऐसा आम दर्शक नहीं करता.”
कश्मीर फाइल्स फिल्म के अलावा कश्मीर के अन्य मुद्दों को लेकर भी चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइमकोड
00-01:00 - इंट्रो
01:00 - 5:40 - हेडलाइंस
5:44 - 50:00 - कश्मीर फाइल्स फिल्म और अन्य मुद्दे
50:01 - 1:15:35 - कांग्रेस पार्टी और बीजेपी की राजनीति
1:15:35 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
मेघनाद एस
मनोज मिश्र
जवाहर लाल कौल की किताब - द वाउंडेड पैराडाइज
मयंक शेखर
फिल्म - इवाक
फिल्म- झुंड
फिल्म - गंगूबाई काठियावाड़ी
अतुल चौरसिया
कश्मीर और कश्मीरी पड़ित - किताब
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प्रोड्यूसर- रौनक भट्ट
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह