हमने भाजपा नेता के बनाए गए ऑनलाइन तंत्र के टेलीग्राम ग्रुप में यह जानने के लिए सेंध लगाई, कि वह कैसे और क्या काम करते हैं.
अगर हिंदू राष्ट्र की बढ़ती सच्चाई एक बहुत बड़ी दावत हो, तो कपिल मिश्रा उसके रसोइए होंगे और उनके हिंदू इकोसिस्टम के मेहनती सदस्य रसोई घर में उनके साथी होंगे जो सांप्रदायिक नफरत और धर्मांधता के पकवान, हिंदुत्व के वर्क में लपेट कर जनता को अनवरत पेश कर रहे हैं. यह काम बहुत ही गुप्त लेकिन सुव्यवस्थित तरीके से किया जा रहा है.
पिछले साल 16 नवंबर को भारतीय जनता पार्टी के नेता और आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा, जिन पर फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों को भड़काने का आरोप भी कई पीड़ित और आंदोलनकारी लगाते हैं, ने एक ऑनलाइन फॉर्म ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा कि जो भी उनके द्वारा बनाए गए हिंदू इकोसिस्टम का सदस्य बनना चाहते हैं वह उसे भरें.
फॉर्म बिल्कुल सीधा साधा है जिसमें एक प्रश्न को छोड़कर लोगों के नाम, मोबाइल नंबर, राज्य और आप किस देश में रहते हैं ऐसे ही साधारण सवाल थे. यह हिंदू इकोसिस्टम के संभावी कार्यकर्ता से उनके एक "विशिष्ट रुचि का क्षेत्र" बताने को कहता है और अगर आप न समझे हो तो उसके लिए कुछ उदाहरण भी देता है.
फॉर्म उन्हें एक "घोषणा" करने को भी कहता है कि वो समूह का ऑनलाइन और ज़मीन पर हिस्सा बन रहे हैं. इस सब ने हमारी जिज्ञासा बनाई और हम भी इस समूह का हिस्सा बन गए. हमने फॉर्म भरा और टेलीग्राम के ग्रुप का हिस्सा बन गए. हमें इससे जुड़े हुए दूसरे समूहों में भी बाद में जोड़ दिया गया.
हिस्सा बनने के बाद हमें प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला कि यह तंत्र कैसे काम करता है, अपने प्रचार प्रसार की सामग्री कैसे बनाता है, कैसे यह विषैले कथानक गढ़ता है और कैसे यह सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर सांप्रदायिक नफरत और धर्मांधता की भावना भड़काने के साथ-साथ हिंदुत्व को समर्थन मिलने वाले ट्रेंड का निर्माण करता है. और हां यह लोग भी टूलकिट साझा करते हैं, वैसी ही जैसी पर्यावरण संरक्षण समर्थक ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में की थी जिसकी वजह से दिल्ली पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की और एक युवा आंदोलनकारी दिशा रवि को गिरफ्तार कर लिया.
हमें जो भी मिला उसका संक्षेप में विवरण यह है- कपिल मिश्रा 20,000 लोगों से ज्यादा का एक नेटवर्क चला रहे हैं जो संगठित तरीके से सांप्रदायिक नफरत पैदा करने और बढ़ाने के लिए काम करता है.
नफरत के कारखाने में स्वागत है
27 नवंबर को कपिल मिश्रा ने अपने नेटवर्क के लोगों के लिए एक वीडियो जारी कर यह घोषणा की कि उनका पहला अभियान उस दिन सुबह 10:00 बजे हैशटैग #JoinHinduEcosystem का इस्तेमाल कर शुरू होगा.
उन्होंने कहा कि करीब 27000 लोगों ने फॉर्म भरा है और लगभग 15000 लोग टेलीग्राम ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं. इसके साथ ही साथ करीब 5000 लोगों ने हिंदू इकोसिस्टम की ट्विटर टीम में भी नाम लिखवा दिया है. यह कोई बड़े आश्चर्य की बात नहीं है कि इन समूह के अधिकतर सदस्य किस सामाजिक और लैंगिक वर्ग से आते होंगे, ज्वाइन करने वाले उनके नामों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकतर लोग सवर्ण हिंदू पुरुष हैं.
समूह में एक ऐसा भी था जो आजकल हिंदुत्व के लाडले और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नाम से भी समूह में आ गया था.
पहला अभियान पूर्व निर्धारित हैशटैग के द्वारा कुछ सैंपल ट्वीटों के जरिए और लोगों को समूह का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चलाया गया था.
उसी दिन कपिल मिश्रा ने एक समांतर अभियान की घोषणा लोगों को ऑर्गेनाइजर और पांचजन्य के सब्सक्राइबर बनने के लिए की, जो हिंदुत्ववादी विचारधारा और संगठनों की गंगोत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र हैं.
इस उद्देश्य के नियत से हिंदू इकोसिस्टम के टेलीग्राम समूह में वीडियो शेयर किए गए जिनमें केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और सांसद मनोज तिवारी पांचजन्य का प्रचार कर रहे थे.
लेकिन यह तो केवल प्रारंभ था. जल्दी ही समूह में ऐसे दस्तावेजों की बाढ़ आ गई जिनसे हिंदुत्व को बचाने, बढ़ाने और समर्थन करने के लिए बड़े स्तर पर दूर-दूर तक प्रभाव करने वाले अभियान चलाए जा सकें.
स्पैम की महामाया
हिंदू इकोसिस्टम ट्विटर पर स्पैम करने में विश्वास रखता है. इसका अर्थ है एक से संदेशों को लगातार भेजते रहना. हर हफ्ते वह एक विषय चुनकर उसके लिए आक्रामक अभियान चलाते हैं, जो हिंदुत्व को बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर भ्रामक जानकारियों, झूठी खबरों और अपशब्दों से भरा होता है. इतना ही नहीं अपने टेलीग्राम ग्रुप में उन्होंने एक संदेश चिपकाकर रखा है जो आने वाले संगठित अभियानों के विषयों को इंगित करता है.
सैंपल ट्वीट कैसे काम करती है इसे जानने के लिए इस दस्तावेज को देखें जो इस टेलीग्राम ग्रुप में साझा किया गया था. यह इस प्रकार की सामग्री से भरा हुआ है.
ऊपर दिखाया गया यह एक यूआरएल है, जब आप इसके ऊपर क्लिक करते हैं तो यह आपको ट्विटर पर ले जाता है और यह होता है.
इस पूरे तंत्र के सभी सदस्यों को केवल ट्वीट बटन दबाना पड़ता है और बस, ट्विटर स्पैम हो गया. अगर पर्याप्त संख्या में लोग सही समय पर ये कर देते हैं तो यह हैशटैग ट्रेंड होने लगता है. उदाहरण के लिए इस ट्रेंड को देखें और आपको यह पता चल जाएगा कि यह कैसे होता है.
टेलीग्राम ग्रुप में ऐसे कई दस्तावेज हैं जिनमें विस्तार से निर्देश लिखे हैं कि कब और कैसे ट्वीट करना है. यह एक #AntiHinduCAAriots और दिल्ली दंगों पर है.
और यह रहा उसका नतीजा. इस प्रकार के ट्वीट हजारों की संख्या में पोस्ट किए गए.
लेकिन यह लोग केवल ट्विटर को स्पैम ही नहीं करते, यह लोग सोशल मीडिया पर नजर भी रखते हैं कि कुछ प्रभाव पड़ रहा है या नहीं. स्क्रीनशॉट समूह में साझा किए जाते हैं जो बताते हैं की ट्वीट कैसा प्रदर्शन कर रहा है. और क्या और बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है.
संसाधन सामग्री
सैंपल ट्वीटों के अलावा इस समूह में संसाधन सामग्री और टूलकिट आमतौर पर साझा की जाती है. यह अधिकतर इस प्रकार के शीर्षकों के साथ आती हैं, "इस्लाम न्यूज़", "गैर जिम्मेदार चीन" या "चर्च बोलता है".
इन दस्तावेजों में क्या लिखा होता है? निम्नलिखित "इस्लाम न
इस युक्ति के पीछे ईसाइयत, इस्लाम और चीन के खिलाफ लगातार बहस बाज़ी के तुर्रे मुहैया कराना है. क्योंकि समाचार बिंदुओं के अलावा कभी-कभी यह सुझाव भी दिए जाते हैं कि एक घटना के समाचार को कैसे पेश किया जाए.
ग्रेटा थनबर्ग के द्वारा ट्वीट की गई टूलकिट को एक अंतरराष्ट्रीय साजिश साबित करने के लिए एक मुख्य बात यह कही जा रही है कि उसमें किसान आंदोलन पर ध्यान आकर्षित करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों की तिथिबद्ध सूची दी गई थी. हिंदू इकोसिस्टम भी यही काम करता है लेकिन जहां ग्रेटा ने दस्तावेज एक उचित उद्देश्य के लिए साझा किया था, कपिल मिश्रा का समूह हर दिन अनेकों दस्तावेज़ अनेकों अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए साझा करता है.
अगर आप उनके भविष्य के अभियानों में रुचि रखते हो तो इसके लिए उन्होंने मार्च का कैलेंडर भी दिया है. कृपया आनंद लें.
Generation of content अर्थात कंटेंट की उत्पत्ति. जानना चाहते हैं यह कैसे काम करता है, हम इस पर रोशनी डाल सकते हैं.
जुड़े हुए समूह
यह हिंदू इकोसिस्टम फैला हुआ है. मुख्य समूह एडमिन लोगों के अलावा किसी और को संदेश भेजने नहीं देता, जिनमें कपिल मिश्रा भी शामिल है. लोगों की भागीदारी के लिए और जुड़े हुए समूह हैं. हमारे बिना कहे हमें तीन और समूह जिनके नाम प्रशासक समिति जिसके 33000 सदस्य हैं, अनुशीलन समिति जिसके 10000 सदस्य हैं और राम राम जी जिसके 1900 सदस्य हैं, में स्वत: ही शामिल कर दिया गया.
राम राम जी समूह जिस विवरण के साथ आता है उससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि वहां क्या होता है.
यह जुड़े हुए समूह वीडियो, चित्र और बड़ी संख्या में आप इंडिया के लेख फैलाने के लिए काम में आते हैं. सामग्री नियमित तौर पर संकलित कर सभी सदस्यों को उपलब्ध कराई जाती है. जब हम इस समूह में थे तो हमने जन कार्यक्रमों को कई तरीकों से पेश किए जाते और हिंदुत्व समर्थक कथानक में गढे जाते देखा. इसके कुछ उदाहरण हमने नीचे दिए हैं. जिस मात्रा में नफरत पैदा की जा रही है यह अचंभित करने वाला है.
हिंदू इकोसिस्टम के सदस्यों की लगन और समर्पण चौंकाने वाले हैं. किसी घटना को हुए कुछ मिनट भी नहीं होते कि एलित मशीन की तरह यहां से झूठे वीडियो, लेख, पोस्टर, हैशटैग, सामूहिक ट्वीट के लिंक- ट्विटर पर तूफान मचाने के लिए निकलने लगते हैं और इसके लिए तरह-तरह के बेवकूफाना और अविश्वसनीय यथार्थ ढूंढ कर लाते हैं.
इतने विश्वास से, खुले में इतना आक्रामक होकर फेक न्यूज़ को बनते हुए देखना अलौकिक से कम नहीं था.
तांडव को लीजिए. यह वेब सीरीज 15 जनवरी को रिलीज हुई और उसी दिन कपिल मिश्रा ने सदस्यों को उसके खिलाफ बहिष्कार अभियान चलाने के लिए प्रोत्साहित किया.
जिसके बाद यह हुआ:
या गणतंत्र दिवस की हिंसा को लें. टीवी पर यह समाचार आने के कि ट्रैक्टर मार्च निकालने वाले किसानों की पुलिस के साथ झड़प हो रही है के कुछ ही मिनट बाद इस समूह में सिख विरोधी और "सिख आतंकियों" की मनगढ़ंत बातें साझा किए जा सकने वाली सामग्री के साथ, जैसे कि पोस्टर वीडियो और ट्वीट जैसे #TerrorAttackOnDelhi, की बाढ़ ही आ गई थी.
आपको तथाकथित "अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी षड्यंत्र" तो याद ही होगा जो भारत के समाचार जगत पर रिहाना के ट्वीट करने के बाद 2 फरवरी को छाया हुआ था, जिस पर बाद में मियां खलीफा और ग्रेटा थनवर्ग ने भी ट्वीट किया.
उस दिन यह समूह ऐसा दिख रहा था:
यह वह पोस्ट हैं जो हमने व्यक्तिगत तौर पर साझा किए जाते देखीं, इसके बाद हमने इन सबका संकलन देखा.
अगर आप इस खालिस्तान षड्यंत्र की कहानी में हिस्सा लेना चाहते हैं तो हिंदू इकोसिस्टम के पास सैकड़ों पेजों की पीडीएफ फाइल है, जिनका नाम जाहिर तौर पर "सिख आतंकवादी पोस्ट" है.
इनमें कुछ इस तरह के चित्र हैं:
इन सब चीजों का पर्याय और उद्देश्य, सिख समाज को बदनाम करना और उन्हें किसी तरह खालिस्तान के प्रेत से संबंधित दिखाकर आतंकवादी साबित करना है. इस पर सोने पर सुहागे की तरह इस सब में मुसलमानों को बदनाम करना भी है. यह सभी पोस्ट टेलीग्राम ग्रुप में साझा की जाती हैं जो सदस्यों के द्वारा डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध होती हैं.
यह एक दस्तावेज तो सही में अंतहीन है, अकेला नहीं है इसके जैसे दो और हैं.
इसमें राज्य और क्षेत्र के अनुसार "हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों" के बारे में पीडीएफ फाइल भी हैं.
यह ऑनलाइन में रहने वाले लोगों के द्वारा की जाने वाली बेवकूफियां लग सकती हैं. लेकिन याद रखिए कि इस प्रकार की सामग्री भारतीय समाज में खतरनाक रूप से बढ़ते हिस्से को अच्छी लगती है जो यह मानता है और हमेशा याद कराया जाता है कि हिंदू खतरे में है.
यह रिपोर्ट पब्लिश होने तक हम इन सभी समूहों से निकल गए हैं क्योंकि हमारा पत्रकार के रूप में जायजा लेने का उद्देश्य पूरा हो गया है.
अगर आपको हिंदू इकोसिस्टम जैसे समूहों की गंभीरता का अंदाजा नहीं हुआ है, तो उसे हम स्पष्ट कर देते हैं. यह समूह गलत जानकारी, प्रपंच और सुनियोजित नफरत के स्रोत हैं. यह संगठित रूप में हिंदू प्रभुत्व, अल्पसंख्यक के खिलाफ ज़हर और सांप्रदायिक नफरत पैदा करते और फैलाते हैं.
हम कपिल मिश्रा के समूह मैं बिना किसी पूर्वानुमान के, केवल नफरत और प्रपंच के कारखाने को चलता देखने के लिए शामिल हुए. 20,000 से ज्यादा लोग सांप्रदायिक नफरत पैदा करने के लिए सुनियोजित तरीके से काम कर रहे हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या घटना हो उनके समक्ष आए, वह उसको तुरंत ही नफरत ही जामा पहनाकर एक षड्यंत्र की शक्ल दे देते हैं, जहां पर इसके लिए चित्र, वीडियो और साझा की जाने वाली सामग्री द्वेष फैलाने के लिए उपलब्ध होती है.
जब हम इस समूह से निकलने ही वाले थे तो हमने देखा कि नफरत के इस कारखाने में एक वीडियो फैलना शुरू हो गया था जो कथित तौर पर एक भीड़ को एक घर पर हमला करते हुए दिखाता है जहां पर पुलिस मूकदर्शक बनी खड़ी है.
समूह में शेयर की गई एक पोस्ट दावा करती है कि यह घर उसका है जिसने कथित तौर पर रिंकू शर्मा की दिल्ली के मंगोलपुरी में हत्या की. पुलिस अभी भी अपने वक्तव्य पर कायम है कि रिंकू की मौत एक असफल व्यापार से जुड़ी हुई है, लेकिन हिंदुत्व खेमा इसे मुसलमानों के द्वारा की गई सांप्रदायिक हत्या के रूप में पेश कर रहा है.
स्पष्ट है कि यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है.
अगर हिंदू राष्ट्र की बढ़ती सच्चाई एक बहुत बड़ी दावत हो, तो कपिल मिश्रा उसके रसोइए होंगे और उनके हिंदू इकोसिस्टम के मेहनती सदस्य रसोई घर में उनके साथी होंगे जो सांप्रदायिक नफरत और धर्मांधता के पकवान, हिंदुत्व के वर्क में लपेट कर जनता को अनवरत पेश कर रहे हैं. यह काम बहुत ही गुप्त लेकिन सुव्यवस्थित तरीके से किया जा रहा है.
पिछले साल 16 नवंबर को भारतीय जनता पार्टी के नेता और आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा, जिन पर फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों को भड़काने का आरोप भी कई पीड़ित और आंदोलनकारी लगाते हैं, ने एक ऑनलाइन फॉर्म ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा कि जो भी उनके द्वारा बनाए गए हिंदू इकोसिस्टम का सदस्य बनना चाहते हैं वह उसे भरें.
फॉर्म बिल्कुल सीधा साधा है जिसमें एक प्रश्न को छोड़कर लोगों के नाम, मोबाइल नंबर, राज्य और आप किस देश में रहते हैं ऐसे ही साधारण सवाल थे. यह हिंदू इकोसिस्टम के संभावी कार्यकर्ता से उनके एक "विशिष्ट रुचि का क्षेत्र" बताने को कहता है और अगर आप न समझे हो तो उसके लिए कुछ उदाहरण भी देता है.
फॉर्म उन्हें एक "घोषणा" करने को भी कहता है कि वो समूह का ऑनलाइन और ज़मीन पर हिस्सा बन रहे हैं. इस सब ने हमारी जिज्ञासा बनाई और हम भी इस समूह का हिस्सा बन गए. हमने फॉर्म भरा और टेलीग्राम के ग्रुप का हिस्सा बन गए. हमें इससे जुड़े हुए दूसरे समूहों में भी बाद में जोड़ दिया गया.
हिस्सा बनने के बाद हमें प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला कि यह तंत्र कैसे काम करता है, अपने प्रचार प्रसार की सामग्री कैसे बनाता है, कैसे यह विषैले कथानक गढ़ता है और कैसे यह सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर सांप्रदायिक नफरत और धर्मांधता की भावना भड़काने के साथ-साथ हिंदुत्व को समर्थन मिलने वाले ट्रेंड का निर्माण करता है. और हां यह लोग भी टूलकिट साझा करते हैं, वैसी ही जैसी पर्यावरण संरक्षण समर्थक ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में की थी जिसकी वजह से दिल्ली पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की और एक युवा आंदोलनकारी दिशा रवि को गिरफ्तार कर लिया.
हमें जो भी मिला उसका संक्षेप में विवरण यह है- कपिल मिश्रा 20,000 लोगों से ज्यादा का एक नेटवर्क चला रहे हैं जो संगठित तरीके से सांप्रदायिक नफरत पैदा करने और बढ़ाने के लिए काम करता है.
नफरत के कारखाने में स्वागत है
27 नवंबर को कपिल मिश्रा ने अपने नेटवर्क के लोगों के लिए एक वीडियो जारी कर यह घोषणा की कि उनका पहला अभियान उस दिन सुबह 10:00 बजे हैशटैग #JoinHinduEcosystem का इस्तेमाल कर शुरू होगा.
उन्होंने कहा कि करीब 27000 लोगों ने फॉर्म भरा है और लगभग 15000 लोग टेलीग्राम ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं. इसके साथ ही साथ करीब 5000 लोगों ने हिंदू इकोसिस्टम की ट्विटर टीम में भी नाम लिखवा दिया है. यह कोई बड़े आश्चर्य की बात नहीं है कि इन समूह के अधिकतर सदस्य किस सामाजिक और लैंगिक वर्ग से आते होंगे, ज्वाइन करने वाले उनके नामों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकतर लोग सवर्ण हिंदू पुरुष हैं.
समूह में एक ऐसा भी था जो आजकल हिंदुत्व के लाडले और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नाम से भी समूह में आ गया था.
पहला अभियान पूर्व निर्धारित हैशटैग के द्वारा कुछ सैंपल ट्वीटों के जरिए और लोगों को समूह का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चलाया गया था.
उसी दिन कपिल मिश्रा ने एक समांतर अभियान की घोषणा लोगों को ऑर्गेनाइजर और पांचजन्य के सब्सक्राइबर बनने के लिए की, जो हिंदुत्ववादी विचारधारा और संगठनों की गंगोत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र हैं.
इस उद्देश्य के नियत से हिंदू इकोसिस्टम के टेलीग्राम समूह में वीडियो शेयर किए गए जिनमें केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और सांसद मनोज तिवारी पांचजन्य का प्रचार कर रहे थे.
लेकिन यह तो केवल प्रारंभ था. जल्दी ही समूह में ऐसे दस्तावेजों की बाढ़ आ गई जिनसे हिंदुत्व को बचाने, बढ़ाने और समर्थन करने के लिए बड़े स्तर पर दूर-दूर तक प्रभाव करने वाले अभियान चलाए जा सकें.
स्पैम की महामाया
हिंदू इकोसिस्टम ट्विटर पर स्पैम करने में विश्वास रखता है. इसका अर्थ है एक से संदेशों को लगातार भेजते रहना. हर हफ्ते वह एक विषय चुनकर उसके लिए आक्रामक अभियान चलाते हैं, जो हिंदुत्व को बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर भ्रामक जानकारियों, झूठी खबरों और अपशब्दों से भरा होता है. इतना ही नहीं अपने टेलीग्राम ग्रुप में उन्होंने एक संदेश चिपकाकर रखा है जो आने वाले संगठित अभियानों के विषयों को इंगित करता है.
सैंपल ट्वीट कैसे काम करती है इसे जानने के लिए इस दस्तावेज को देखें जो इस टेलीग्राम ग्रुप में साझा किया गया था. यह इस प्रकार की सामग्री से भरा हुआ है.
ऊपर दिखाया गया यह एक यूआरएल है, जब आप इसके ऊपर क्लिक करते हैं तो यह आपको ट्विटर पर ले जाता है और यह होता है.
इस पूरे तंत्र के सभी सदस्यों को केवल ट्वीट बटन दबाना पड़ता है और बस, ट्विटर स्पैम हो गया. अगर पर्याप्त संख्या में लोग सही समय पर ये कर देते हैं तो यह हैशटैग ट्रेंड होने लगता है. उदाहरण के लिए इस ट्रेंड को देखें और आपको यह पता चल जाएगा कि यह कैसे होता है.
टेलीग्राम ग्रुप में ऐसे कई दस्तावेज हैं जिनमें विस्तार से निर्देश लिखे हैं कि कब और कैसे ट्वीट करना है. यह एक #AntiHinduCAAriots और दिल्ली दंगों पर है.
और यह रहा उसका नतीजा. इस प्रकार के ट्वीट हजारों की संख्या में पोस्ट किए गए.
लेकिन यह लोग केवल ट्विटर को स्पैम ही नहीं करते, यह लोग सोशल मीडिया पर नजर भी रखते हैं कि कुछ प्रभाव पड़ रहा है या नहीं. स्क्रीनशॉट समूह में साझा किए जाते हैं जो बताते हैं की ट्वीट कैसा प्रदर्शन कर रहा है. और क्या और बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है.
संसाधन सामग्री
सैंपल ट्वीटों के अलावा इस समूह में संसाधन सामग्री और टूलकिट आमतौर पर साझा की जाती है. यह अधिकतर इस प्रकार के शीर्षकों के साथ आती हैं, "इस्लाम न्यूज़", "गैर जिम्मेदार चीन" या "चर्च बोलता है".
इन दस्तावेजों में क्या लिखा होता है? निम्नलिखित "इस्लाम न
इस युक्ति के पीछे ईसाइयत, इस्लाम और चीन के खिलाफ लगातार बहस बाज़ी के तुर्रे मुहैया कराना है. क्योंकि समाचार बिंदुओं के अलावा कभी-कभी यह सुझाव भी दिए जाते हैं कि एक घटना के समाचार को कैसे पेश किया जाए.
ग्रेटा थनबर्ग के द्वारा ट्वीट की गई टूलकिट को एक अंतरराष्ट्रीय साजिश साबित करने के लिए एक मुख्य बात यह कही जा रही है कि उसमें किसान आंदोलन पर ध्यान आकर्षित करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों की तिथिबद्ध सूची दी गई थी. हिंदू इकोसिस्टम भी यही काम करता है लेकिन जहां ग्रेटा ने दस्तावेज एक उचित उद्देश्य के लिए साझा किया था, कपिल मिश्रा का समूह हर दिन अनेकों दस्तावेज़ अनेकों अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए साझा करता है.
अगर आप उनके भविष्य के अभियानों में रुचि रखते हो तो इसके लिए उन्होंने मार्च का कैलेंडर भी दिया है. कृपया आनंद लें.
Generation of content अर्थात कंटेंट की उत्पत्ति. जानना चाहते हैं यह कैसे काम करता है, हम इस पर रोशनी डाल सकते हैं.
जुड़े हुए समूह
यह हिंदू इकोसिस्टम फैला हुआ है. मुख्य समूह एडमिन लोगों के अलावा किसी और को संदेश भेजने नहीं देता, जिनमें कपिल मिश्रा भी शामिल है. लोगों की भागीदारी के लिए और जुड़े हुए समूह हैं. हमारे बिना कहे हमें तीन और समूह जिनके नाम प्रशासक समिति जिसके 33000 सदस्य हैं, अनुशीलन समिति जिसके 10000 सदस्य हैं और राम राम जी जिसके 1900 सदस्य हैं, में स्वत: ही शामिल कर दिया गया.
राम राम जी समूह जिस विवरण के साथ आता है उससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि वहां क्या होता है.
यह जुड़े हुए समूह वीडियो, चित्र और बड़ी संख्या में आप इंडिया के लेख फैलाने के लिए काम में आते हैं. सामग्री नियमित तौर पर संकलित कर सभी सदस्यों को उपलब्ध कराई जाती है. जब हम इस समूह में थे तो हमने जन कार्यक्रमों को कई तरीकों से पेश किए जाते और हिंदुत्व समर्थक कथानक में गढे जाते देखा. इसके कुछ उदाहरण हमने नीचे दिए हैं. जिस मात्रा में नफरत पैदा की जा रही है यह अचंभित करने वाला है.
हिंदू इकोसिस्टम के सदस्यों की लगन और समर्पण चौंकाने वाले हैं. किसी घटना को हुए कुछ मिनट भी नहीं होते कि एलित मशीन की तरह यहां से झूठे वीडियो, लेख, पोस्टर, हैशटैग, सामूहिक ट्वीट के लिंक- ट्विटर पर तूफान मचाने के लिए निकलने लगते हैं और इसके लिए तरह-तरह के बेवकूफाना और अविश्वसनीय यथार्थ ढूंढ कर लाते हैं.
इतने विश्वास से, खुले में इतना आक्रामक होकर फेक न्यूज़ को बनते हुए देखना अलौकिक से कम नहीं था.
तांडव को लीजिए. यह वेब सीरीज 15 जनवरी को रिलीज हुई और उसी दिन कपिल मिश्रा ने सदस्यों को उसके खिलाफ बहिष्कार अभियान चलाने के लिए प्रोत्साहित किया.
जिसके बाद यह हुआ:
या गणतंत्र दिवस की हिंसा को लें. टीवी पर यह समाचार आने के कि ट्रैक्टर मार्च निकालने वाले किसानों की पुलिस के साथ झड़प हो रही है के कुछ ही मिनट बाद इस समूह में सिख विरोधी और "सिख आतंकियों" की मनगढ़ंत बातें साझा किए जा सकने वाली सामग्री के साथ, जैसे कि पोस्टर वीडियो और ट्वीट जैसे #TerrorAttackOnDelhi, की बाढ़ ही आ गई थी.
आपको तथाकथित "अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी षड्यंत्र" तो याद ही होगा जो भारत के समाचार जगत पर रिहाना के ट्वीट करने के बाद 2 फरवरी को छाया हुआ था, जिस पर बाद में मियां खलीफा और ग्रेटा थनवर्ग ने भी ट्वीट किया.
उस दिन यह समूह ऐसा दिख रहा था:
यह वह पोस्ट हैं जो हमने व्यक्तिगत तौर पर साझा किए जाते देखीं, इसके बाद हमने इन सबका संकलन देखा.
अगर आप इस खालिस्तान षड्यंत्र की कहानी में हिस्सा लेना चाहते हैं तो हिंदू इकोसिस्टम के पास सैकड़ों पेजों की पीडीएफ फाइल है, जिनका नाम जाहिर तौर पर "सिख आतंकवादी पोस्ट" है.
इनमें कुछ इस तरह के चित्र हैं:
इन सब चीजों का पर्याय और उद्देश्य, सिख समाज को बदनाम करना और उन्हें किसी तरह खालिस्तान के प्रेत से संबंधित दिखाकर आतंकवादी साबित करना है. इस पर सोने पर सुहागे की तरह इस सब में मुसलमानों को बदनाम करना भी है. यह सभी पोस्ट टेलीग्राम ग्रुप में साझा की जाती हैं जो सदस्यों के द्वारा डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध होती हैं.
यह एक दस्तावेज तो सही में अंतहीन है, अकेला नहीं है इसके जैसे दो और हैं.
इसमें राज्य और क्षेत्र के अनुसार "हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों" के बारे में पीडीएफ फाइल भी हैं.
यह ऑनलाइन में रहने वाले लोगों के द्वारा की जाने वाली बेवकूफियां लग सकती हैं. लेकिन याद रखिए कि इस प्रकार की सामग्री भारतीय समाज में खतरनाक रूप से बढ़ते हिस्से को अच्छी लगती है जो यह मानता है और हमेशा याद कराया जाता है कि हिंदू खतरे में है.
यह रिपोर्ट पब्लिश होने तक हम इन सभी समूहों से निकल गए हैं क्योंकि हमारा पत्रकार के रूप में जायजा लेने का उद्देश्य पूरा हो गया है.
अगर आपको हिंदू इकोसिस्टम जैसे समूहों की गंभीरता का अंदाजा नहीं हुआ है, तो उसे हम स्पष्ट कर देते हैं. यह समूह गलत जानकारी, प्रपंच और सुनियोजित नफरत के स्रोत हैं. यह संगठित रूप में हिंदू प्रभुत्व, अल्पसंख्यक के खिलाफ ज़हर और सांप्रदायिक नफरत पैदा करते और फैलाते हैं.
हम कपिल मिश्रा के समूह मैं बिना किसी पूर्वानुमान के, केवल नफरत और प्रपंच के कारखाने को चलता देखने के लिए शामिल हुए. 20,000 से ज्यादा लोग सांप्रदायिक नफरत पैदा करने के लिए सुनियोजित तरीके से काम कर रहे हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या घटना हो उनके समक्ष आए, वह उसको तुरंत ही नफरत ही जामा पहनाकर एक षड्यंत्र की शक्ल दे देते हैं, जहां पर इसके लिए चित्र, वीडियो और साझा की जाने वाली सामग्री द्वेष फैलाने के लिए उपलब्ध होती है.
जब हम इस समूह से निकलने ही वाले थे तो हमने देखा कि नफरत के इस कारखाने में एक वीडियो फैलना शुरू हो गया था जो कथित तौर पर एक भीड़ को एक घर पर हमला करते हुए दिखाता है जहां पर पुलिस मूकदर्शक बनी खड़ी है.
समूह में शेयर की गई एक पोस्ट दावा करती है कि यह घर उसका है जिसने कथित तौर पर रिंकू शर्मा की दिल्ली के मंगोलपुरी में हत्या की. पुलिस अभी भी अपने वक्तव्य पर कायम है कि रिंकू की मौत एक असफल व्यापार से जुड़ी हुई है, लेकिन हिंदुत्व खेमा इसे मुसलमानों के द्वारा की गई सांप्रदायिक हत्या के रूप में पेश कर रहा है.
स्पष्ट है कि यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है.