उत्तर प्रदेश में गोरखपुर विधानसभा क्षेत्र सबसे चर्चित सीट है. यहां के मुसलमान, ठाकुर और ब्राह्मण किसे विजयी बनाएंगे यह देखना दिलचस्प होगा.
विशाल का कहना है, “ब्राह्मण समाज सक्षम और प्रगतिशील है लेकिन उसके स्वाभिमान से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस बार ब्राह्मणों के मुखर नेता विनय शंकर तिवारी को वोट डालेंगे. ब्राह्मणों को ये समझना होगा कि एक बार ब्राह्मणों ने हुंकार भर ली तो वह शासन को हिलाने का काम करेगी."
25 वर्षीय पूनम चतुर्वेदी घर पर अपनी सास के साथ रहकर गृहस्थी का काम-काज संभालती हैं. पूनम विनय शंकर तिवारी के किए काम गिनवाते हुए बताती हैं, "विनय शंकर तिवारी ने सड़क बनवाई और उसका चौड़ीकरण भी किया है. वही गांव में बिजली लेकर आए."
हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान विनय शंकर तिवारी ने एक पर्चा जारी किया. इसमें विधायक निधि में मिले पैसों का ब्योरा लिखा है.
पूनम भाजपा को वापस वोट न देने की वजह बताती हैं, "इस सरकार में महंगाई बढ़ गई है. तेल और गैस के दाम आसमान छू रहे हैं. हमारे लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है."
विनय शंकर तिवारी के पिता श्रीशंकर तिवारी का एक लंबा इतिहास रहा है. 1985 के विधानसभा चुनाव में पंडित हरिशंकर तिवारी निर्दलीय विधायक हुए. 1997 से 2000 तक यूपी सरकार में मंत्री रहे. 2017 चुनाव में विनय शंकर तिवारी, भाजपा के राजेश त्रिपाठी को हराकर विधायक बने.
विनय शंकर तिवारी ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा, "पूरे प्रदेश का ब्राह्मण उपेक्षित महसूस कर रहा है. किसी भी सरकार का कार्यकाल ही उसका वास्तविक चिट्ठा होता है. भाजपा ने पांच साल ब्राह्मणों का उत्पीड़न किया. सीतापुर का नरसंहार, विवेक तिवारी की हत्या, गोरखपुर के अंकुर शुक्ला की हत्या, ये सब ब्राह्मण-विरोधी कुछ घटनाएं हैं. बिकरू हत्याकांड में, जानबूझकर एनकाउंटर के नाम पर ब्राह्मणों की हत्या की गई. पूरे प्रदेश का ब्राह्मण आज इस बात से आंदोलित है कि पांच साल भाजपा ने ब्राह्मणों का उत्पीड़न किया है."
गोरखनाथ मठ और तिवारी हाता के बीच अंतर बताते हुए विनय शंकर तिवारी कहते हैं, "विचारधारा का अंतर है. वो लोग रूढ़िवादी सोच के हैं और हम सर्व समाज की बात करते हैं."
हालांकि गोरखनाथ मंदिर के पास रहने वाले पवन ऐसा नहीं सोचते. भाजपा कार्यकर्ता पवन कुमार त्रिपाठी गोरखपुर विकास प्राधिकरण के सदस्य भी हैं. गोरखनाथ मंदिर और तिवारी हाता से जुड़े ब्राह्मण-ठाकुर विवाद पर वह कहते हैं, "पिछले चुनाव में 86 फीसदी ब्राह्मणों ने अपना वोट भाजपा को दिया था. इस बार भी हमें उम्मीद है कि 90 फीसदी से ज्यादा ब्राह्मण भारतीय जनता पार्टी को वोट देंगे."
पवन आगे कहते हैं, "एक दौर था जब गोरखपुर में दो माफिया हुआ करते थे. वे आपस में अपना वर्चस्व बनाकर लड़ते थे और जातिगत नारे देकर लोगों को बरगला कर रखते थे. मंदिर आस्था का स्थान है. उसे गुंडों का स्थान नहीं बताया जाए."
गोरखनाथ मंदिर, मुस्लिम राजनीति और देश में सीएम की छवि
योगी सरकार एक के बाद एक लव-जिहाद और गोकशी पर कानून लेकर आई. फैजाबाद का नाम बदलकर ‘अयोध्या छावनी’ करने जैसे बदलाव, 'अब्बा जान', 80 बनाम 20 जैसे बयानों से ऐसा लगता है कि सत्ता किसी कट्टर हिन्दू नेता को संभालने के लिए दे दी गई है.
लेकिन प्रदेश की राजनीति में चाहे जितने उबाल आते हों, गोरखनाथ मठ के आसपास साम्प्रदायिक दुर्भाव नहीं दिखाई देता. गोरखनाथ मंदिर में हर साल मकर संक्रांति पर खिचड़ी मेला लगता है. इस मौके पर मंदिर परिसर में कई मुसलमान दुकानदार अपनी दुकान लगाते हैं. इस मेले मे मुस्लिम महिलाओं की अच्छी खासी भीड़ जुटती है. मुसलामानों और गोरखनाथ मठ के बीच एक आर्थिक निर्भरता है लेकिन उनके कुछ स्थानीय मुद्दे भी हैं.
मठ से दस कदम दूर मुस्लिम महोल्ला है. साल 2019 में 55 वर्षीय फिर्दोसिया खातून को साल 2019 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान मिला था. लेकिन आर्थिक मदद काफी नहीं थी इसलिए उन्होंने घर बनवाने के लिए कर्ज लिया था. लॉकडाउन के बाद से ही काम मिलना मुश्किल हो गया है. फिर्दोसिया कपड़े का धागा बनाने का काम करती हैं, जिससे वो महीने में करीब 2000 रुपए ही कमा पाती हैं.
सर पर छत और मुफ्त राशन ने गरीबी में उनका जीवन कुछ आसान बनाया है, लेकिन हर महीने केवल 2000 रूपए कमाने वाली फिर्दोसिया को महंगाई और कर्ज ने गरीबी से उठने नहीं दिया है.
फिर्दोसिया कहती हैं, "महंगाई बढ़ गई है. सिलिंडर में जैसे-तैसे गैस भरवाते हैं. तेल, चना, आटा सब महंगा हो गया है." लेकिन उनका मानना है कि योगी सरकार में मिल रहे मुफ्त राशन से उनकी काफी मदद हुई है. वे अपनी बात पूरी करते हुए कहती हैं, "योगी सरकार ने हमें मुफ्त राशन दिया. अगर सरकार वो न देती तो हम सड़क पर आ जाते. हमें उनका काम बहुत अच्छा लगा."
फिर्दोसिया के पड़ोस में रहने वाली 35 वर्षीय मीना खातून भी मुफ्त राशन और आवास के लाभ से खुश हैं, हालांकि लॉकडाउन के बाद से बिना काम के घर चला पाना मुश्किल हो गया है. जब हमने पूछा कि वह किसे सत्ता में देखना चाहती हैं, तो मीणा ने जवाब दिया, "हमें जिसने छत दी हम उसी को वोट देंगे. हम मोदी को पसंद करते हैं."
50 वर्षीय चौधरी कैफुल वरा गोरखनाथ मठ के सामने एक दुकान चलाते हैं. योगी आदित्यनाथ ने छह महीने पहले ही उन्हें उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी का अध्यक्ष चुना है.
कहा जाता है कि योगी सरकार मुस्लिम विरोधी कानून लेकर आई. इन सभी कानूनों को एक-एक कर कैफुल समझाते हैं, "जिसके पास लाइसेंस है वो बूचड़खाना चला रहा है. जो अवैध काम कर रहा है बस उसी के लिए रुकावट आई है. लव जिहाद जैसा कोई कानून नहीं है. हमारे धर्म में यह लिखा है कि जिस से शादी करिए, उसका धर्म परिवर्तित करा कर ही उस से शादी कर सकते हैं. इसलिए किसी अन्य धर्म के लोगों के साथ शादी करिए ही नहीं."
वह आगे कहते हैं कि सपा को लगता है कि उन्होंने मुसलामानों को "खरीद" लिया है. कैफुल अपनी बात रखते हैं, "सपा को लगता है कि मुसलमान उन्हीं को वोट देंगे. ऐसा नहीं है. मुझसे कई लोग पूछते हैं- आप गोरखनाथ मंदिर के पास रहते हैं, आपको डर नहीं लगता? मेरा जवाब 'नहीं' होता है. हमारी जो भी परेशानियां होती हैं महाराज जी सुनते हैं."
गोरखपुर की नौ विधानसभा सीटों पर 3 मार्च को मतदान होगा. जिसके बाद 10 मार्च को परिणाम घोषित होंगे.