लंबे समय से आ रही दिक्क्तों और अन्य कुछ विषयों पर स्थानीय लोगों से न्यूज़लॉन्ड्री की बातचीत.
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम जब अपनी चुनावी यात्रा को दैरान उत्तरप्रदेश के बांदा जिले में पहुंची, तब यहां के बबेरू कस्बे में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर, सड़क किनारे मरी हुई गायों और दूसरे मवेशियों की लाशें दिखाई दे रही थीं.
यहां बबेरू ओरन रोड पर एक मुक्तिधाम है. मुक्तिधाम के गेट के बगल में नाले के आसपास लगभग 10 गायें और दूसरे मृत जानवर नजर आते हैं. उन्हें कुत्ते और पक्षी नोचकर खाते दिखाई देते हैं. इसी के आसपास कई घर भी हैं.
हमने यहां कुछ लोगों से बात कर जानने की कोशिश की, कि ये मरी हुई गायें सड़क किनार नाले के पास क्यों फेंकी गई हैं?
स्थानीय निवासी प्रदीप चतुर्वेदी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, "शहर में कोई मवेशी मरे, या कहीं और, सरकारी कर्मचारी इन्हें लाकर यहीं फेंक जाते हैं. केवल सरकारी कर्मचारी ही नहीं, बल्कि मवेशी मालिक भी इधर ही लाकर फेंकते हैं. यहां इतनी बदबू आती है कि आना-जाना मुश्किल हो जाता है. पास में ही हरौड़ नाम की एक जगह मृत मवेशियों की अंतिम क्रिया के लिए आरक्षित की गई थी, लेकिन उस जगह पर कब्जा हो गया."
क्या सरकार ने वह कब्जा हटवा कर इन पशुओं की अंतिम क्रिया का इंतजाम नहीं किया? इस सवाल पर चतुर्वेदी जवाब में कहते हैं, "कब्जा छुड़ाया गया या नहीं, हमें नहीं पता. लेकिन ये अब भी यही लाकर फेंक जाते हैं.''
पास में ही किराने की दुकान चलाने वाले उदयभान कहते हैं, "इससे इतनी दुर्गन्ध आती है कि खाना मुश्किल हो जाता है. हमारी कोई सुनवाई नहीं करता. हम दो बार एप्लीकेशन भी लिख कर दे चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है. इस जगह को अड्डा बना दिया गया है. स्थानीय लोग और सरकारी आदमी भी यहीं पर पशु फेंक कर चले जाते हैं."
इस मामले को लेकर हमने भाजपा नेता और बबेरू के चेयरमैन विजय पाल सिंह से बात की. उन्होंने बताया, "इसके लिए जमीन की तलाश है. हमने ग्राम पंचायत से जमीन की मांग की है. हम डीएम साहब से दोबारा बात करेंगे कि ग्राम पंचायत हमें जमीन मुहैया कराए, जहां हम पशुओं को दफना सकें."
बबेरू के निवासियों से इस समस्या के निवारण में लंबे समय से आ रही दिक्क्तों और अन्य कुछ विषयों पर न्यूज़लॉन्ड्री की यह रिपोर्ट.