ध्रुवीकरण पर आधारित बीजेपी के चुनाव प्रचार एजेंडे में अयोध्या का बदलता चेहरा महत्वपूर्ण है. पार्टी राम मंदिर प्रोजेक्ट को 2024 के लिए भी एक महत्वपूर्ण हथियार के रूप में बनाए रखना चाहती है.
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पवन पांडे कहते हैं अयोध्या सिर्फ अखबारों और टीवी चैनलों में सुंदर दिखती है क्योंकि बीजेपी मीडिया संस्थानों को नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी के सरकारी विज्ञापन दे रही है. पांडे आरोप लगाते हैं कि अफसरों और नेताओं के बीच राम के नाम पर अयोध्या में “जमीन की बंदरबांट” हुई है.
न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में पांडे ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी ने लोगों को प्रभु राम के नाम पर ठगा है. अयोध्या के नाम पर वोट मांगा जाता है और प्रभु राम की जनता का उत्पीड़न हो रहा है. अगर विकास के नाम पर किसी के घर या दुकान पर बुलडोजर चल रहा है तो उसे पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए.”
बेरोजगारी और मंदी के सवाल बरकरार
चुनावी नारों के बीच अयोध्या में बेरोजगारी, महंगी शिक्षा और बाजार में मंदी जैसे सवालों को अनदेखा नहीं किया जा सकता. अयोध्या के बाजार में आनंद मलकानी कहते हैं कि जमीन की कीमतें तो बहुत बढ़ी हैं लेकिन व्यापारियों का कारोबार ठप्प पड़ा है.
वह कहते हैं, “मार्केट बहुत डाउन है. मार्केट से ही तो पहचान बनती है. राम मंदिर जरूरी था जरूरी है और जरूरी रहेगा लेकिन हमारी भी तो सोचिए. छोटा व्यापारी कहां जाएगा मेरे भाई.”
मलकानी से करोड़ों रुपए की लागत से बन रहे मंदिर पर सवाल करने पर वह जवाब देते हैं ट्रस्ट का पैसा व्यापारियों के काम का नहीं है.
मलकानी के मुताबिक मंदिर ट्रस्ट बना रही है और सारा पैसा ट्रस्ट के पास है अगर ट्रस्ट चाहे तो व्यापारियों की मदद कर सकता है लेकिन ये नहीं हो रहा.
उधर सरयू तट पर राम की पैड़ी पर काफी चहल पहल है. आरती और सरयू का प्रवाह पहले से अधिक नियमित है लेकिन बीजेपी से जुड़े व्यापारी मोहन गुप्ता कोरोना की दूसरी लहर में यहां बिछी लाशों को नहीं भूल पाते. वो राम मंदिर के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं.
गुप्ता कहते हैं, “स्वास्थ्य सुविधाओं का सबसे अधिक अभाव है. हमारा इसी पर फोकस होना चाहिए. स्वास्थ्य सबसे पहले जरूरी है. ये जरूरी है. मंदिर आस्था का विषय है. इसे आप अलग कर दीजिए क्योंकि अगर हम स्वस्थ रहेंगे तो राम मंदिर का निर्माण भी कर लेंगे.”