उत्तर प्रदेश चुनाव 2022: महिलाओं के लिए कैसी रही योगी सरकार?

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर मिशन शक्ति की शुरुआत की थी. लेकिन एक के बाद एक बलात्कार, अपहरण और हत्या के चलते महिला अपराधों में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा है.

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उत्तर प्रदेश, अपराधियों का प्रदेश

एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा महिला से जुड़े - 39,385 मामले दर्ज हुए. इनमें बलात्कार के 2,779, और अपहरण के सबसे ज्यादा 12,913 मामले दर्ज हुए हैं. यानी महिला अपराधों की बात करें, तो प्रदेश में रोजाना 135 अपराध दर्ज हुए हैं. वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक उत्तर प्रदेश में साल 2020 की तुलना में, साल 2021 के अंदर महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों को लेकर की गई शिकायतों में 30% की बढ़ोतरी हुई है.

2017 में, उन्नाव से भाजपा के तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप लगा था. यह आरोप पीड़िता की मां आशा सिंह ने लगाया था. इस मामले में शीर्ष अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया और उम्र कैद की सजा सुनाई थी. लेकिन इस मामले में पीड़िता के पिता की मौत पुलिस हिरासत में ही हो गई थी. 2018 में कुलदीप सिंह के बड़े भाई ने पीड़िता के पिता पर मारपीट की एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस हिरासत में पिता की मौत हो गई. 2019 में पीड़िता अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ गाड़ी से जा रही थी, हाईवे पर उसकी टक्कर ट्रक से हुई. पीड़िता के चाचा ने कुलदीप सिंह सेंगर पर हत्या का आरोप लगाया जो बाद में अदालत में खारिज हो गया, लेकिन 2010 में 'हत्या के प्रयास' के एक मामले में उन्नाव अदालत ने पीड़िता के चाचा को जेल में डाल दिया.

आशा सिंह

आशा सिंह

पीड़िता निशा (बदला हुआ नाम) और मां आशा सिंह उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की पीड़ित हैं. आशा सिंह इस बार खुद चुनावी मैदान में उतरी हैं. कांग्रेस ने 'मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं' अभियान के तहत आशा सिंह को उन्नाव सदर सीट से टिकट दिया है. आशा सिंह का दावा है कि वे इंसाफ दिलाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं.

आशा सिंह बेहद साधारण परिवार से आती हैं. वह घरेलू महिला हैं जिन पर परिवार संभालने की जिम्मेदारी रहती है. सुबह से वह चुनाव प्रचार के लिए लग जाती हैं. जब हम उनसे मिलने के लिए पहुंचे तो उनकी बेटी निशा सुबह का नाश्ता तैयार कर रही थी. एक बाल्टी में रॉड डालकर नहाने के लिए पानी गरम किया जा रहा था. हाथ में गुलाबी बैंड बांधकर, नारंगी साड़ी में आशा सिंह हमसे मिलने के लिए आईं.

योगी सरकार में पुलिस के काम के बारे में उन्होंने हमें बताया, "योगी सरकार हत्यारी सरकार है. भाजपा सरकार में हमें न्याय नहीं मिला. हमें अदालत ने न्याय दिया. योगी सरकार में पुलिस पर दबाव रहता है. इसलिए किसी लड़की को इंसाफ नहीं मिलता, जब तक कि वो लापता न हो जाए या उसकी हत्या हो जाए. अगर पुलिस अपना काम समय पर करती तो उन्नाव में लड़की की लाश जमीन से नहीं निकलती."

वे आगे कहती हैं, "प्रियंका गांधी शुरू से अब तक हमारे साथ खड़ी रहीं. 'मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं,' यह नारा उन्होंने दिया है. मैं सभी लड़कियों को इंसाफ दिलाना चाहती हूं. प्रियंका गांधी ने मुझपर विश्वास जताया है."

2017 दुष्कर्म पीड़िता निशा रसोई में खाना बना रही थीं, तब हमारी मुलाकात उनसे हुई. वह कॉलेज में बीए की पढ़ाई करती हैं और नौकरी की तलाश में हैं. "मैंने पीएम और मुख्यमंत्री दोनों को खत लिखे, लेकिन कहीं से जवाब नहीं आया." निशा ने कहा.

किसे वोट देंगी महिलाएं?

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में, महिलाओं के प्रमुख मुद्दे सफाई, खुले में शौच, घरेलू हिंसा, पुलिस की मनमानी और छेड़छाड़ हैं, लेकिन पार्टियां इन मुद्दों पर चुनाव नहीं लड़ रही. न्यूज़लॉन्ड्री की टीम उन्नाव की कांशीराम कॉलोनी और उन्नाव सदर क्षेत्र में महिलाओं का मूड जानने के लिए पहुंची.

अर्चना और मोहसीना

अर्चना और मोहसीना

40 वर्षीय अर्चना कहती हैं, "मैं पास के थाने में घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराने गई थी. वहां की महिला कांस्टेबल हाथ के नाखून काट रही थीं और उल्टा मेरे पहनावे पर टिपण्णी करने लगीं. मैंने जींस और टी-शर्ट ही पहना हुआ था. इसमें गलत क्या था?"

अर्चना के बगल में खड़ी 38 वर्षीय मोहसीना ने कहा, "योगी जी कहते हैं कि उन्होंने जगह-जगह पुलिस खड़ी कर रखी है, लेकिन शाम होते ही कांशीराम कॉलोनी इलाके में आवारागर्दी शुरू हो जाती है. हम अपनी बेटियों को खुद स्कूल और ट्यूशन छोड़ने जाते हैं. उन्हें अकेले कहीं बाहर नहीं निकलने देते. यहां का माहौल अच्छा नहीं है."

35 वर्षीय ज्योति एक हाथ से दिव्यांग हैं. वह पिछले 10 साल से पेंशन पाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन उन्हें कोई सरकारी सहूलियत नहीं मिल पाती, क्योंकि ऑफिस पहुंचते ही अधिकारी ज्योति को लौटा देते हैं. उनके दो छोटे बच्चे हैं और पति का एक्सीडेंट हो गया है, जिसके बाद से घर की जिम्मेदारी पूरी तरह से ज्योति के कंधों पर आ गई है.

ज्योति

ज्योति

ज्योति कहती हैं, "हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है. मुफ्त राशन देने से क्या होता है? सब्जी, तेल और गैस के लिए पैसा चाहिए. मेरे हाथ के कारण मुझे कहीं काम नहीं मिलता. लॉकडाउन के समय घर की स्थिति ऐसी हो गई थी कि पड़ोसियों से खाना मांगकर अपने बच्चों को खिलाया."

इतना कहकर ज्योति रोने लगती हैं.

आंसू पोंछकर ज्योति ने हिम्मत बांधी और आगे कहा, "मैं सुबह 9 बजे से काम की तलाश में निकली हूं लेकिन मुझे कही काम नहीं मिल रहा. मेरे बच्चे भूखे हैं."

हमने इन महिलाओं से पूछा कि वे यूपी चुनाव में किस पार्टी को सत्ता पक्ष में देखना चाहती हैं.

अर्चना ने कहा, "मायावती और सपा सरकार ने योगी सरकार से अच्छा काम किया है."

ज्योति ने कहा, "हम उसे वोट देंगे जिसने हमें रहने के लिए छत दी. मायावती."

55 वर्षीय हमीदा उमर पेशे से पुलिस में काउंसलर हैं. वह महिलाओं के पारिवारिक मामलों में उनकी काउंसलिंग करती हैं. महिलाओं के प्रति पुलिस के रवैये पर वह बताती हैं, "महिलाएं जब शिकायत लिखवाने आती हैं तो पुलिस उल्टा महिलाओं के पहनावे और काम पर तंज कसने लगती हैं. पुलिस कहती है कि तुमने ही कुछ गलत किया होगा और महिलाओं को भगा देती हैं. योगी राज में पुलिस और सरकार ने कुछ काम नहीं किया. महिला सुरक्षा के नाम पर तो यूपी सरकार बिल्कुल निकम्मी निकली."

हमीदा को कांग्रेस पर विश्वास है. "मायावती ने अपने उद्धार के अलावा कुछ नहीं किया. उन्होंने बस बड़े-बड़े हाथी बनवाए लेकिन महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया. एक मौका प्रियंका गांधी को मिलना चाहिए."

इन सभी के विपरीत भाजपा समर्थकों का कहना है कि लव जिहाद जैसा कानून लाकर, योगी सरकार ने महिला सुरक्षा का एक नया आयाम छू लिया है. भाजपा महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष (उन्नाव) साधना दीक्षित ने हमसे कहा, "उन्नाव में पीड़िता के साथ जो हुआ वह विरोधियों की साजिश है. योगी जी लव जिहाद पर कानून लाए. हम महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं."

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