उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव की कवरेज के दौरान नोएडा स्थित लेबर चौक पर मजदूरों से न्यूज़लॉन्ड्री की बातचीत.
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव की कवरेज के लिए न्यूज़लॉन्ड्री की टीम नोएडा के लेबर चौक पहुंची, जहां हमारी बातचीत कुछ मजदूरों से हुई. एक सवाल के जवाब में झूंड में खड़े मजदूर कहते हैं कि उन्हें राशन नहीं रोजगार चाहिए. सत्ता में बैठे लोगों को इस बारे में सोचना चाहिए कि क्या पांच किलो राशन से पेट भर जाएगा?
चुनाव में रोजगार के मुद्दे पर बरेली के रहने वाले बृजेश कहते हैं, "ठंड की वजह से बहुत कम काम मिल रहा है. मैंने एक महीने में लगभग 10 से 12 दिन काम किया है. इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार है. किसी की भी सरकार हो उससे मतलब नहीं है पर रोजगार सबको मिलना चाहिए.”
कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के इंतजाम पर कन्नौज से आए राजीव कुमार कहते हैं, "गांव में कोई सुविधा नहीं है. बस राशन मिल रहा है. हमें राशन नहीं रोजगार चाहिए. राशन से पेट नहीं भरता है. सरकार को रोजगार मुहैया करवाना चाहिए. सरकार ने दूसरी लहर के समय कहा था कि हम गांव में रोजगार मुहैया करवाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हमें गांव में रोजगार मिले तो ये हमारे लिए अच्छा है."
यहां हमारी मुलाकात बदायूं के रहने वाले भोला शंकर से भी हुई. भोला शंकर ने बीएससी और बीएड की डिग्री हासिल की है. भोला शंकर लेबर चौक की स्थिति के बारे में कहते हैं, "लेबर चौक की स्थिति इतनी खराब है कि यहां पर एक आदमी काम करवाने आता है लेकिन काम करने चार लोग भागते हैं. रोजगार नहीं है. शिक्षित होने के बावजूद मजदूरी करना बहुत बुरा लगता है. बस अपना गुजारा कर रहे हैं यहां पर.”
भोला शंकर आगे कहते हैं, "लॉकडाउन के समय हम पैदल घर गए थे. सरकार ने कोई रोजगार नहीं दिया. वो केवल अफवाहें थीं. जो सरकार बोलती है वो कभी नहीं करती.”
(ट्रांसक्राइब- सृष्टि)
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